वसई – विरार इलाके में एसटी और नाना कंपनी की धमक

विवेक अग्रवाल
मुंबई, 16 अप्रैल 2015

अंधेरी के चार बंगला निवासी बंटी प्रधान के विगत कुछ अरसे से वसई में दफ्तर बनाने को लेकर साफ संकेत मिलते हैं कि समय के साथ भाई ठाकुर गिरोह याने कि बीटी कंपनी और सुभाष सिंह ठाकुर गिरोह याने कि एसटी कंपनी में इलाकों को लेकर मचा घमासान खत्म हो चुका है। यह सूचना मिली है कि और भी कुछ गिरोहों के सदस्यों ने इन इलाकों में डेरा डाल लिया है और हफ्तावसूली कर रहे हैं।

अब एसटी गिरोह और नाना कंपनी के सदस्य मजे में वसई-विरार-नालासोपारा इलाकों में अपने अड्डे बना रहे हैं। ये गुंडे वहां काम भी कर रहे हैं। वे बस इतना ध्यान रखते हैं कि भाई ठाकुर के कामकाज में रोडा न अटके, न ही उनके किसी आदमी के साथ कोई विवाद हो। यही सावधानी भाई ठाकुर गिरोह के सदस्य भी बरत रहे हैं।

वसई से नालसोपारा तक नाना और एसटी कंपनी
बता दें कि बंटी प्रधान उर्फ विजय प्रधान की हत्या मीरा रोड में सोमवार की रात 10 बजे एक बीयर बार पुष्पक के बाहर आने पर दो अज्ञात हत्यारों ने माथे के बीचों-बीच गोली मार कर की थी। उसके बाद यह रहस्य भी सामने आया है कि भाई ठाकुर के अलावा यहां पर सुभाष सिंह ठाकुर और छोटा राजन के गिरोहों से संबद्ध काफी सारे नए-पुराने गुर्गे वसई-विरार से लेकर नालासोपारा तक फैल गए हैं।

इन दोनों ही गिरोहों के गुंडों ने मुख्य रूप से इन इलाकों में जमीनों पर कब्जा करके हफ्तावसूली करने, अवैध कब्जेदारों से जमीन खाली कराने का ठेका लेने, जमीनों की मालिकों के लिए रक्षा करने जैसे कामों में तो लगे ही हैं, छोटे-मोटे बिल्डरों से हफ्तावसूली करने का काम भी कर रहे हैं। इस सिलसिले में एक मजेदार बात यह है कि भाई ठाकुर ने इस तरफ से चूंकी आंख मूंद रखी है, जिसके चलते ये लोग कुछ हद कमाई करने में सफल हो रहे हैं।

एक चुप – सौ भली
कोई बिल्डर या भूखंड मालिक यदि भाई ठाकुर के दरवाजे पर गुहार लगाने पहुंच भी जाता है और उनके दरबार से एसटी या नाना कंपनी के सदस्यों को रेड सिग्नल मिल जाता है तो वे भी चुपचाप वापस हो जाते हैं। आमतौर पर जमीन मालिक या बिल्डर भाई ठाकुर के पास मांडवली के लिए जाना पसंद नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें यह पता होता है कि वहां जाने का मतलब मोटा सेवाशुल्क चुकाना। अमूमन भाई ठाकुर गिरोह के पास जाने पर बिल्डर को सौ से दो सौ रुपए प्रति वर्ग फुट के हिसाब से सेवाशुल्क देना पड़ता है। यदि जमीन का मालिक पहुंच गया तो औने-पौने में जमीन बीटी कंपनी कों सौंपनी पड़ जाती है। इसके चलते वे चुपचाप एसटी या नाना कंपनी के सदस्यों को ही रकम चुकाने में भलाई समझते हैं।

बीटी कंपनी के वैध कारोबार
यह जानकारी आम है कि बीटी कंपनी के सदस्य ही वसई से नालासोपारा तक हर इमारत निर्माण के काम में लगने वाली तमाम सामग्री की आपूर्ती करते हैं। सीमेंट, लोहे के सरिए, रेत, ईंट, बजरी, पत्थर, लकड़ी, मिट्टी सरीखी हर सामग्री स्थानीय बिल्डरों को बीटी कंपनी के सदस्यों से ही लेनी होती है। कोई बिल्डर अगर उनसे माल लेने में आनाकानी करता है तो उसके ठिकाने पर माल की आपूर्ती करने वाले ट्रकों को रोक लिया जाता है। इसके कारण बाहरी लोग वहां माल डालने में कतराते हैं।

इतना ही नहीं, बीटी कंपनी के पास इस पूरे इलाके में पत्थर फोड़ने का कारोबार याने कि स्टोन क्रशर, पत्थरों की खदानें, समंदर से रेत निकाल कर बेचने, खदानों से मिट्टी निकाल कर इमारत निर्माण स्थलों के समतलीकरण का काम, इमारत निर्माण के तमाम कामकाज हैं। इन कारोबारों से बीटी कंपनी को हर साल सैंकड़ों करोड़ रुपए की कमाई होती है। इन कारोबार में बीटी कंपनी से कोई भी न तो प्रतिस्पर्धा कर सकता है, न ही उनके बताए भाव से कम पर माल लेने की बात ही कर सकता है।

इसके अलावा बीटी कंपनी ने इलाके में कई पाठशालाएं और महाविद्यालय बना लिए हैं। इनके कारण एक तरफ जहां बीटी कंपनी को पूरी तरह वैध रकम मिलती है, वहीं आसपास के तमाम लोग तथा युवा उनके साथ जुड़े रहते हैं।

पता चला है कि बीटी कंपनी ने इलाके में कई होटल व रिसॉर्ट भी खोल रखे हैं। इस कारोबार से भी न केवल बीटी कंपनी को मोटी कमाई हो रही है बल्कि बहुत सारे कामकाज के लिए ये होटल उनके लिए मुफीद ठिकाने भी बनते हैं। यह भी कहा जाता है कि एक रेडियो टैक्सी सेवा भी बीटी कंपनी ने शुरू की है, जिसके तहत 2,000 से अधिक टैक्सी का बेड़ा चल रहा है। यह कारोबार भी अच्छा चल रहा है।

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