म्याऊं-म्याऊं बेबी का सेलफोन बंद कराया पुलिसवालों ने

विशेष संवाददाता
मुंबई, 02 जून 2015।

म्याऊं-म्याऊं बेबी याने की शशिकला रमेश पाटनकर की गिरफ्तारी के बाद एक से बढ़ कर एक चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। यह पता चला है कि एक तरफ जहां पुलिस वालोंने उसे सेल फोन बंद कर जांच अधिकारियों से बचने में मदद की थी, वहीं दूसरी तरफ कुछ और वरिष्ठ अधिकारियों पर भी जांच की तलवार लटकी हुई है।

बेबी पाटनकर को गायब रहने और पुलिस से बचने के लिए उसका मोबाईल फोन बंद करने की सलाह देने का आरोप भी इन पुलिस अधिकारियों पर पुलिस रिमांड की प्रति में जांच अधिकारियों ने लगाया है। इसके कारण 24 अप्रैल से वह फरार रही और तीन जिलों की पुलिस उसकी तलाश में जगह-जगह छापामारी करती घूमती रही। इस बीच भी ये पुलिस अधिकारी उससे अन्य तरीकों से संपर्क में थे, यह आरोप भी रिमांड कॉपी में जांच अधिकारियों ने गिरफ्तार हुए पांचों पुलिस अधिकारियों पर सामूहिक रूप से लगाया है। इन पुलिसवालों ने भले ही बेबी को खुद ही छुपाया न हो लेकिन उसे छुपने और फरार होने में अप्रत्यक्ष रूप से मदद की है, जिसके कारण इनकी गिरफ्तारी की है।

नशे की कमाई के लालच में पुलिस इंस्पेक्टर
जांच अधिकारियों का यह भी मानना है कि सब इंस्पेक्टर ज्योतिराम शिवराम माने को यह पता चला कि धर्मराज कालोखे के पास भारी मात्रा में नशे की एक बड़ी खेप पड़ी हुई है। इस केप की जानकारी मिलने पर भी उसने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी नहीं दी। उसने धर्मराज और बेबी को धमका कर यह खेप अपने कब्जे में लेने और उससे फायदा उठाने की कोशिश की थी।


पुलिसवाला मिला बेबी से वरली में
पुलिस अधिकारी गौतम गायकवाड़ को लेकर बी जांच अधिकारियों का दावा है कि 10 मार्च 2015 को वह बेबी के वरली स्थित निवास पर मिलने के लिए गया था। उसे पता था कि बेबी फरार है। इसके बावजूद न तो उसे गिरफ्तार किया, न उसके बारे में अपने वरिष्ठ अधिकारियों को बताया, न ही जांच अधिकारियों को सहयोग किया ताकी बेबी गिरफ्तार हो सकती। उसका नया फोन नंबर भी उपलब्ध नहीं करवाया। इसके उलट उसने ही बेबी से कहा कि वह अपना सेल नंबर बंद कर देगी तो कोई भी उसे तलाश नहीं पाएगा।

पुलिस वाले बिकवाते थे एमडी
दो पुलिसकर्मियों ज्योतिराम माने और यशवंत पार्टे पर जांच अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि वे दोनों न केवल बेबी की मदद करते थे बल्कि उसकी नशे की खेप बाजार में सुरक्षित रूप से बिकवाने में मदद भी करते थे।

कौन हैं वरिष्ठ पुलिस अधिकारी
ये तो कुछ ही खुलासे हैं जो कि अभी सामने आए हैं। जांच अधिकारी जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे बेहद चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ रही हैं। इस मामले में कम से कम दो आईपीएस अधिकारियों पर भी जांच की आंच लग रही है। यह बी संबावना व्यक्त की जा रही है कि इस मामले में यदि इन वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत का मामला तय हो जाता है तो उनकी भी गिरफ्तारी किसी भी क्षण हो सकती है।
हिंदी दैनिक वृत्त मित्र व मराठी दैनिक मुंबई मित्र में प्रथम प्रकाशन (अंक 3 जून 2015)

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