देसी देह की विदेसी मंडी

बारबालाएं देश की सुरक्षा के लिए बनीं खतरा
आतंकी उठा सकते हैं बारबालाओं का फायदा
हजारों करोड़ की काली अर्थव्यवस्था
भारत सरकार को लग रहा है खासा चूना


मुंबई और आसपास के इलाकों में भले बारबालाओं के ठुमकों पर प्रतिबंध लग गया हो... भले ही बारबालाओं की मदमस्त अदाओं के बीच उनके हाथों शराब के छलकते प्याले पीने की स्थिति न बने... मुंबई की रातें रंगीन करने वाली बारबालाओं की दुनिया उजाड़ दिखाई दे... सच तो कुछ और ही है.... आज बारबालाएं न केवल लाखों रुपए के वारे-न्यारे कर रही हैं बल्कि खुफिया एजंसियों की चिंता बढ़ा रही हैं। अब उनके माफिया और आतंकवादियों के हाथों का खिलौना होने की बात से भी इंकार नहीं किया जा रहा है। बारबालाएं विदेशों में कितनी कमाई कर रही हैं और कितनी परेशानहाल हैं, पूरे सिलसिले की पड़ताल की है विवेक अग्रवाल ने।

एक जिस्म का लड़की होना... लड़की होना, ऊपर से बार डांसर होना... इस पर भी गर्म गोश्त के सौदागरों के चंगुल में फंस जाना... निशा जैसी लड़कियों की कहानी यही बताती है कि पैसों की चकाचौंध से भरा ये कारोबार, कुछ और नहीं बल्कि मौत का जाल है। मुंबई समेत तमाम खाड़ी देशों में हर साल ढाई लाख से अधिक निशाएं जाती हैं... और वे टीपू सरीखे देह के धंधेबाजों के जाल में फंस कर सिसकती - रोती - बिलखती जिंदगी जीती हैं... कुछ मर भी जाती हैं... तिलतिल कर रोज मरती इन लड़कियों की जिंदगी में बहता है तो बस दर्द का दरिया... जो इनकी मांओं का सीना हर दिन.. हर पल चाक करता है।

अगस्त 2005 में महाराष्ट्र के डांस बारों पर महाराष्ट्र सरकार ने पुलिस (अमेंडमेंट) बिल पास कर लगाई पाबंदी ने एक रात में तकरीबन डेढ़ लाख बारबालाओं को बेरोजगार कर दिया। इसमें से तकरीबन 20 हजार खाड़ी देशों में काम मिला तो वे मोटी कमाई के लालच में चल दीं। कुछ साल पहले तक खाड़ी देशों के डांस बारों में रूस व पूर्वी यूरोप की लड़कियों का सिक्का था, अब उनकी जगह पूरी तरह भारतीय बारबालाओं ने ले ली है। ये लड़कियां अमूमन उत्तरप्रदेश और राजस्थान के बेड़िया, मध्यप्रदेश की बांछड़ा जनजातियों की हैं। मुस्लिम समुदाय की भी लड़कियां बहुतायत में जाती हैं।

खाड़ी देशों के डांस बारों में नाचने के लिए दो से तीन हजार लड़कियां हर दिन जाती हैं। उनमें से 50 फीसदी नाबालिग होती हैं और उनके पासपोर्ट पर गलत उम्र दर्ज होती है। ये लड़कियां 14 से 18 साल उम्र की भी होती हैं लेकिन पासपोर्ट पर 21 साल या अधिक उम्र लिखवाते हैं।

सरकार डांस बार बंद करने में कामयाब रही लेकिन बारबालाओं हेतु रोजगार जुटाने में नाकामयाब रही। अंधेरी के एक बार मालिक कहते हैं कि बारबालाएं ही नहीं हैं तो धंधा क्या खाक होगा। मेरा धंधा 60 फीसदी कम हो गया। हम पैसे कमाने के लिए बारबालाओं को विदेश भेज रहे हैं। इन्हें एजंट हमारे बार से ले जाते हैं तो कुछ आमदनी हो जाती है।

दुबई में बॉलीवुड गीतों पर नाचने वाली बारबालाओं की खासी मांग है जिससे वहां भारतीय लड़कियों का अच्छा धंधा होता है। यह भी होता है कि मलयालीभाषियों को आकर्षित करने के लिए खाड़ी देशों के बार मालिक केरल के पारंपरिक परिधानों में भी उन्हें नाचने के लिए कहते हैं।

दुबई, ब्रिटेन के शहर लंदन, सिंगापुर, बहरीन, अबूधाबी, अजमान, रासलखेमा, मस्कट, मलेशिया जैसे देशों में हर दिन का आना-जाना हो गया है हिंदुस्तानी बारबालाओं का। क्योंकि यहां लगते हैं हर रात मौज के मेले। और मुंबई में छमछम करने वाली छमिया इन दिनों हुस्न के जलवे यहां बिखेर रही हैं। कभी-कभार ये अमरीका के चक्कर भी लगाती हैं। कोई दलाल या आर्गनाईजर वहां उनकी छमछम के लिए खासतौर पर कुछ समय हेतु एक बंगला लेकर यह काम करवाता है। सिंगापुर, यूएस, यूके, बैंकॉक, थाईलैंड के लिए लड़कियां पूरे साल भेजी जाती हैं।

इन देशों के होटलों में छमछम का मायाजल ही नहीं रचा जाता बल्कि इन देहजीवाओं को अनजान शहर में अकेले रहते दिलों को बहलाने का काम भी सौंपा जाता है। इन देशों के कुल 2,000 होटलों में ये काम धड़ल्ले से जारी है। दुबई में लगभग 300 होटलों में यह काम होता है। हमारी जांच में सामने आया है कि मस्कट में लगभग 200 होटलों में तो रासलखेमा के दो होटलों में ये काम होता है। सूत्रों के मुताबिक बहरीन और मस्कट वे देशों में लड़कियों की पहले चिकित्सा जांच प्रमाण पत्र देने होते हैं।

ब्रिटेन के शहर लंदन का काम बंगलों में होता है जो किराए पर लिए जाते हैं। लंदन में प्राईवेट पार्टियों के नाम पर देह बेचने का कारोबार धड़ल्ले से होता है। पहले लंदन का वीजा आसानी से मिलता था लेकिन जबसे भारत में बमकांडों का सिलसिला शुरू हो गया है... और लंदन भी आतंकियों के निशाने पर आया है, वीजा कम मिलने लगे हैं। ऐसे में मुंबईया फिल्मों के शोज के नाम पर बारबालाओं के दस्तों को देह की मंडी में लंदन के बंगलों में सजाया जाता है, जहां वे तीन से छह माह तक लोगों की रातें हसीन बना कर लौटती हैं। लंदन में अधिकांशत शोज साऊथ हॉल इलाके में होते हैं क्योंकि वहां भारतीय, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिकों की बहुलता है। भारतीय नागरिकों में भी पंजाब व हरियाणा के लोगों की अधिकता होने से दलाल पंजाबी लड़कियां अधिक संख्या में भेजते हैं।

वीजा की भी अपनी कहानी है। तीन महीने के टूरीस्ट वीजा पर इन देहजीवाओं को भेजा जाता है। अब दुबई में थोड़ी कठिनाई आने लगी है इसलिए वर्क वीजा पर भी बारबालाओं कियों को भेजा जा रहा है। दुबई की बल्दिया (महानगरपालिका) कोटे के वीजा देती है जिसे अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता। कई आर्गनाईजर इसका भी उल्लंघन करने से बाज नहीं आते हैं क्योंकि लंगोट के कच्चे शेखों के लिए भारतीय हुस्न की सप्लाई अबाधित हो, इसके कारण वे भी यह गंदा धंधा चलने देते हैं। कुछ हद तक पैसा भी काम करता ही है। वीजा लगवाने के अलग दलाल होते हैं। वे एक वीजा लगवाने के लिए 5,000 रुपए लेते हैं।

ये लड़कियां दो तरह के वीजा पर विदेश जाती हैं। पहला टूरिस्ट वीजा है जो 3 माह के लिए होता है। उन्हें सांस्कृतिक कार्यक्रम करने वाले कलाकारों के विशेष वीजा पर दलाल ले जाते हैं। कई बार महज घूमने के बहाने जाती हैं तो कई बार रिश्तेदारों से मिलने के नाम जाती हैं।

हर लड़की के लिए तय नियम है कि जितना पैसा भारत में बतौर बयाना या एडवांस लेगी, उसका 6.5 गुना विदेश में काम करके चुकाना होगा। लड़कियों को पूरा पैसा नकद में मिलता है। दलालों को दलाली नकद में मिलती है। जो रकम नाचते समय या देह बेच कर कमाते हैं, वह भी नकद होती है। लब्बोलुबाब ये कि सारा कारोबार नकद पर टिका है। यह रकम दूसरे देश पहुंचाने में हवाला और वेस्टर्न यूनियन का इस्तेमाल होता है। इस तरह भारतीय अर्थव्यवस्था को कोई लाभ नहीं होता क्योंकि यह पूरी काली कमाई है। हजारों करोड़ रुपए के इस काले कारोबार से देश को भारी नुकसान झेलना पड़ता है।

पहले इऩ लड़कियों के चयन हेतु ऑडीशन होते थे लेकिन अब ये चलन बंद हो गया है। ऑडीशन में आने के लिए लड़कियों को बाकायदा 500 से 1,000 रुपए तक यात्रा भत्ता मिलता था। आजकल लड़कियां वीसीडी या डीवीडी देती हैं। उन्हें देख दलाल तय करते हैं कि लड़की कितना अच्छा नाचती है। जो बारबाला जितना मादक नाचती है, उसे उतनी अधिक कीमत मिलती है। करार की रकम का 10 से 50 फीसदी मुंबई में अग्रिम भुगतान होता है। विदेश पहुंचने पर 50 हजार से 1 लाख रुपए तक और दिए जाते हैं जो उनके परिवारों को भेजे जाते हैं।

दुबई में लड़कियां शराब से मदहोश ग्राहकों की गोद में भी बैठती हैं। इसके कारण उन पर और अधिक नशा तारी हो जाता है और वे अधिक पैसे उड़ाते हैं। दुबई में लड़कियों को इनाम के तौर पर अब कार्ड दिए जाते हैं। एक कार्ड की कीमत 50 दिरहम है। पहले दुबई में लड़कियों को गुलाब के फूल या चूड़ियां देते थे। जब दुबई सरकार ने यह देने पर रोक लगा दी तो कार्ड सिस्टम शुरू हो गया। किसी लड़की अगर किसी ग्राहक का दिल आ जाए तो वह उसके सिर पर एक ताज या क्राऊन सजाता है। जिस लड़की को सबसे अधिक क्राउन मिलते हैं, उसे रात की रानी का दर्जा देते हैं। ये क्राऊन होटलों में 200 से 500 दिरहम पर मिलते हैं। अजमान में लड़कियों को रुपयों के बदले फूलमालाएं देते हैं। मालाएं दो तरह की होती हैं। एक 25 दिरहम की तो दूसरी 50 दिरहम की होती है।

इस काले कारोबार में बारबाला यदि तीन लाख रुपए लेती है तो उसे तीन महीने में यह रकम आर्गनाईजर के लिए निकालनी ही है। उसके अलावा उस पर लगभग 1 लाख और खर्च होता हैं, उसकी भी भरपाई करनी होती है। उसके बाद फायदा करवाना होता है। यदि बारबाला इस रकम तक नहीं पहुंचती है तो जबरन देहव्यापार करवाया जाता है। ग्राहकों से मिले तमाम उपहार बारबाला के ही होते हैं लेकिन पैसे पूरे नहीं निकाले तो आर्गनाईज तमाम उपहार भी छीन कर पैसों की भरपाई करते हैं। करार की रकम पूरी निकले या न निकले, बारबालाओं पर होटल में होने वाली निछावर की रकम होटल मालिक ही रखता है। पैसे पूरे न होने पर 3 माह और भी रिहाईश बढ़ा देते हैं।

इस धंधे में बारबालाओं से बुरी हरकतें भी होती हैं। कुटिल चाल चलने वाली बारबालाएं भी कारोबार में हैं। लड़की अगर पैसे लेकर भाग जाए तो उससे स्थानीय पुलिस वसूली करके एजंटों को देती है। इसके लिए मीरा रोड और ओशिवारा थाने कुख्यात हैं। सूत्रों के मुताबिक रघु नामक आर्गनाईजर पहले लड़कियों से बहुत मारपीट करता था लेकिन जबसे दुबई में हालात बदले हैं और 999 नंबर पर पुलिस को फोन कर दें पुलिस खाल खींच लेती है। इसके कारण वह बदल चुका है। यह बात और है कि आज भी आर्गनाईजर या होटल मालिक बारबालाओं को मानसिक और शारीरिक यातनाएं देने से बाज नहीं आते हैं।

इस खेल का बेताज बादशाह टीपू है। शकील भी उसके समकक्ष है। पहले कभी मुंबई के होटलों में बेयरे की नौकरी करने वाला राज शेट्टी आज 2 दर्जन होटलों का मालिक है, जिनमें से हर होटल में गर्म गोश्त का कारोबार धड़ल्ले से चलता है। करुणाकर शेट्टी, रघु शेट्‌टी, सुनील बंबानी, उस्मान, शकील, पप्पू नागपुर, विश्वनाथ शेट्‌टी, जीतू चिकना ऐसे नाम हैं जो दुबई में गर्म गोश्त के सबसे बड़े कारोबारी माने जाते हैं। ये सभी मुंबई से काम करते हैं। ये दलाल हर शाम किसी रेस्तोंरा, बार या शराबखाने में लड़कियों के दलालों से मिलते हैं। उनसे लड़कियों की जानकारियां हासिल करते हैं। सोनिया दुबई में ताल बार चलाती है। इकबाल मिर्ची के दुबई में होटल हैं, जिनमें भारतीय लड़कियां नाचने जाती हैं। 

मस्कट में प्रिया, विम्मी, सईद भवन के गिरोह सक्रिय हैं तो सिंगापुर में राकेश बेलानी का गिरोह है। राजेश बेलानी सिंगापुर में संगठित अपराधी गिरोह भी चलाता है। उनके अलावा लगभग 2 दर्जन लोग सिंगापुर में बड़े पैमाने पर देह की मंडी सजाते हैं। अबूधाबी में रंगीला, शौकत भाई हैदराबाद वाले के नाम हैं तो अजमान में योगेश शेट्टी का नाम प्रमुख है।

दलाल लड़कियों की तलाश में एस्कॉर्ट सर्विस और चकलों में काम करने वाली अच्छी लड़कियों से संपर्क में रहते हैं। इन्हें वे एक बार विदेश भेजते हैं। वहां उन्हें अच्छी कमाई होती है तो खुद अगली बार जाती हैं, दलालों के कहने पर अतिरिक्त के लालच में और लड़कियों को विदेश जाने के लिए तैयार करती हैं। ऐसे ये उपदलाल बन जाती हैं और एक लड़की पर 10 से 15 हजार रुपए की अतिरिक्त कमाई हो जाती है। दलालों के एक लड़की तैयार करने के लिए 25 से 35 हजार रुपए तक आमदनी विदेशी डांस बारों से होती है।

ये लड़कियां खाड़ी देशों तक पहुंचती हैं एजेंटों के जरिए। बनारस, मुंबई के उपनगर मीरा रोड, ठाणे और ओशिवरा की बारबालाएं सबसे अधिक जाती हैं। एजेंट ही सारी व्यवस्थाएं करते हैं। उसी कारण लड़कियों को पता तक नहीं चलता कि उनके तमाम दस्तावेज आखिर बने कैसे हैं। खाड़ी देशों के आव्रजन अधिकरियों से भी एजंटों की सांठगांठ होती है जो बारबालाओं के वीजा जांच किए बिना उन्हें आसानी से जाने देते हैं। फर्जी दस्तावेज बनाने वाले एजंट 3 से 5 हजार रुपए लेते हैं। ये दलाल बड़े मजे से पासपोर्ट, राशन कार्ड, बिजली के बिल, वोटर आईडी कार्ड इत्यादि बनवाते हैं। जिस तरह फर्जी दस्तावेज बनाते हैं, वह असल में देश की  आंतरिक सुरक्षा का बड़ा मसला है। इन दलालों के कारनामों से सरकारी भ्रष्टाचार की पोल खुल कर सामने आती है। सुरक्षा पर देश का सैंकड़ों करोड़ रुपया खर्च होता है लेकिन देह के दलाल बड़ी आसानी से इस  सुराः कवच को छेदते हैं। देश के संवेदनशील जगहों में हवाई अड्‌डों का समावेश है लेकिन दलालों की मिलीभगत से ये लड़कियां आसानी से विदेशों तक भेज दी जाती हैं।

इस खेल का सबसे बड़ा भारतीय मोहरा और दलाल है अफगान। उसने कस्टम्स से आव्रजन को साधने, लड़कियों के नकली पासपोर्ट बनने के लिए पैकेज तय कर रखा है। वह प्रति लड़की 40 हजार रुपए लेता है। इसमें उड़ान और पुशिंग का खर्च भी शामिल है।

एक बार जो लड़की दुबई या परदेस में नाचने के नाम पहुंचती है, वहां होटल मालिक की बंधक बन जाती है। उसे मन मसोस कर, जिस्म के धंधे में उतरना ही पड़ता है। ऐसी कितनी बारबालाओं हैं, जो देश वापस जाने के लिए तड़प जाती हैं लेकिन उनकी सुनवाई नहीं होती। कोई बारबाला अधिक हाय-तौबा मचाए तो उनकी खाल खिंचवा ली जाती है। उन्हें कमरों में अकेले बंद रखा जाता है। कई बार उनसे होटल मालिकों के गुर्गे बलात्कार भी करते हैं।

पहले मुंबई बारबालाओं के विदेश जाने का गढ़ था लेकिन आव्रजन नियमों में कड़ाई बरतने और आतंकी घटनाओं के चलते यह आसान नहीं रह गया। अब वे दिल्ली एयरपोर्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं। अब हैदराबाद, चेन्नई और कोलकाता एयरपोर्ट भी इस्तेमाल हो रहे हैं। देश में मामला अधिक गरम हो तो बारबालाओं को सड़क मार्ग से नेपाल पहुंचा कर दुबई समेत किसी भी देश आराम से एजंट पहुंचा देते हैं।

बारों की लड़कियों को विदेशों में किराए के फ्लैट में रखा जाता है, जहां वे पहरे में होती हैं। लड़कियां हर रात बस में भर कर बारों तक निगरानी में लाई जाती हैं। अधिकांश मामलों में विदेश पहुंचते ही बारबालाओं को पहले ही दिन से देहव्यापार में झोंक देते हैं। उनके पासपोर्ट रख लेते हैं, धमकी देते हैं कि वे तब तक वापस करेंगे, जब तक ग्राहकों के बिस्तर गर्म नहीं करेंगी।

मुंबई से दुबई तक बारबालाओं की मांग दिनों-दिन बढ़ रही है। और मुंबई के दलाल दिन-ब-दिन बढ़ती मांग पूरी करने के लगे हैं। विदेशी मंडी में सजी भारतीय देह का यह खेल तोड़ने में सुरक्षा व खुफिया एजंसियां नाकाम ही हैं।

देह का अर्थशास्त्र

दुबई में नियमानुसार तो एक होटल (जिसे इस काले कारोबार में आऊटलेट कहते हैं) में एक बार में 8 लड़कियों के ही ले जाने के लिए कहा जाता है लेकिन मुबंई के देह के दलाल बड़े मजे से एक-एक होटल में 15 से 30 तक लड़कियां रखते हैं। काली कमाई के इस अर्थशास्त्र को समझने के लिए हम मान लेते हैं कि 20 लड़कियां हर होटल में एक बार में रहती हैं। 3 महीने के लिए लड़की को ये दलाल वहां नाच-गाने के नाम पर ले जाते हैं लेकिन वहां जाने के बाद उन्हें गर्म गोश्त के कारोबार में धकेला जाता है।

कई सौ करोड़ की काली कमाई से सरकार को भी किसी किस्म का फायदा नहीं मिल रहा है। पूरे भारत में 200 से अधिक आर्गनाईजर और एजंट हैं। उनके पास कोई लाईसेंस इन लड़कियों को विदेशों भेजने का नहीं है। एक बार में याने एक बैच में लगभग 30 लड़कियों को एक एजंट विदेश भेजता है। इससे अधिक लड़कियों को इसलिए नहीं भेजा जाता है ताकि वे सुरक्षा और जांच एजंसियों की निगाहों में न आ जाएं। इस तरीके से एक एजंट साल में 120 से 150 लड़कियों को विदेश भेजता है। इन आंकड़ों को देखें तो तकरीबन 2.5 लाख लड़कियां देह की मंडी में हर साल पहुंचती हैं।

प्रत्येक लड़की को उसकी गोरेपन, सुंदरता, लंबाई, अंग्रेजी भाषा की जानकारी जैसी कसौटियों पर कसा जाता है और उनकी 3 महीने की फीस तय होती है। यह रकम डेढ़ से पांच लाख रुपए तक 3 महीने के लिए होती है। अमूमन यह रकम 3 लाख रुपए प्रति लड़की होती है। उनके इस कारोबार का लिखित करारनामा होता है, (जिसकी एक प्रति लेख के साथ है) परंतु यह रकम पूरी तरह नकद में दी जाती है और उसकी एक चवन्नी भी भारत सरकार की तिजोरी मे नहीं जाती है। इस काम के लिए साल भर में कितनी लड़कियां विदेश जाती हैं, उसका पुख्ता आंकड़ा तो किसी के पास नहीं, लेकिन माना जाता है कि तकरीबन ढाई लाख लड़कियां हर साल जाती हैं।

लड़कियों के विमान टिकटों पर सालाना खर्च 960 करोड़ रुपए
भारतीय होटलों में लड़कियों के रुकने का सालाना खर्च 200 करोड़ रुपए
लड़कियों का कपड़ों, मेकअप इत्यादि पर शॉपिंग का सालाना खर्च 960 करोड़ रुपए
दलालों की सालाना कमाई 1,440 करोड़ रुपए
हवाई अड्‌डों पर आव्रजन अधिकारियों को रिश्वत 120 करोड़ रुपए
जाली पासपोर्ट व दस्तावेज बनाने पर सालाना खर्च 40 लाख रुपए
बारबालाओं की सालाना कमाई 18,800 करोड़ रुपए है।
भारत में आने-जाने का खर्च सालाना 300 करोड़ रुपए
पुलिस थाने की रिश्वत 40 करोड़ रुपए
एसबी-2 की रिश्वत 40 करोड़ रुपए
विदेशों में बारबालाओं की शापिंग 400 करोड़ रुपए
ये सब जोड़ें तो सालाना कुल रकम होती है 32,700 करोड़ रुपए

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देश-शहर जहां सजती हैं देह की मंडियां

दुबई
अबूधाबी
शारजाह
बहरीन
अजमान
रासलखेमा
मस्कट
मलेशिया
ब्रिटेन (लंदन)
अमरीका
सिंगापुर
जकार्ता

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देश-शहर जहां से आती हैं देहजीवाएं  

भारत
- उत्तरप्रदेश – कानपुर, आगरा, मथुरा
- राजस्थान – धौलपुर, जयपुर
- मध्यप्रदेश – भिंड, मुरैना
- बिहार – मुजफ्फरपुर
- आंध्रप्रदेश
- बंगलूर
- असम
नेपाल
बांग्लादेश
तिब्बत
भूटान

आंतरिक सुरक्षा का सवाल

फर्जी दस्तावेजों पर जितनी आसानी से बनते हैं पासपोर्ट व यात्रा संबंधी अन्य तमाम दस्तावेज, उन्हें देख मुंबई पुलिस ही नहीं बल्कि आईबी भी परेशान है। दलाल राशन कार्ड, पैन कार्ड, बिजली व टेलीफोन के बिल और पासपोर्ट बनवाते हैं। जिन हवाई अड्डों से बारबालाएं जाती हैं, वे सुरभा के लिहाज से संवेदनशील हैं। सुरक्षा अधिकारी कहते हैं कि बारबालाओं की मजबूरियों का फायदा उठा कर इन हवाई अड्डों की रेकी करवाने का काम आतंकी या अपराधी संगठन कर सकते हैं।

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के उपाध्यक्ष जावेद अहमद खान ने पुलिस और महाराष्ट्र गृह मंत्रालय को शहर में आतंक के बढ़ते खतरे से सतर्क करने के लिए पत्र भेज कर चेतावनी दी। मुंबई पुलिस आयुक्त, मुंबई एटीएस और और महाराष्ट्र को भेजे पत्र में खान लिखते हैं कि खाड़ी देशों में बारबालाओं को नाच कर कमाई करने के लालच में वेश्यावृत्ति में धकेला जा रहा है। उनका इस्तेमाल माफिया और आतंकियों हेतु सूचनाएं भेजने में हो सकता है। ये कोई आतंकी घटना अंजाम दे सकती हैं। खान के मुताबिक दिल्ली की एक महिला ने उन्हें बताया कि उनकी बेटी को एजंट दुबई ले गया लेकिन वहां जबरन देहव्यापार में ढकेल दिया। भारत वापसी में उसने बताया कि मुंबई माफिया के कुछ लोग उससे दुबई में मिले थे और कहा कि वापस लौट कर उन्हें जानकारियां उपलब्ध करवाए।

उन्होंने गृहमंत्रालय और पुलिस को सतर्क किया है कि खाड़ी देशों में धंधे के लिए जा रही बारबालाओं से न केवल देह व्यापार करवाया जाता बल्कि वे मुंबई माफिया तक सूचनाएं भेजने हेतु भी इस्तेमाल हो रही हैं।

मुंबई पुलिस के प्रवक्ता निसार तंबोली स्वीकार करते हैं कि पुलिस बारबालाओं को विदेश भेजने वाले एजेंटों पर निगरानी कर रही है। उनके मुताबिक सभी विभागों को शहर में संभावित आतंकी खतरों पर जानकारी जुटाने के लिए कहा है। आतंकियों को सूचनाएं पहुंचने का यह भी एक तरीका हो सकता है, इसके चलते इस पर भी ध्यान दे रहे हैं।
विवेक अग्रवाल

गर्म गोश्त की सबसे बड़ी मंडी - दुबई


रमजान महीना खत्म होते ही कमसीन उम्र लड़कियों की मांग खाड़ी देशों में बढ़ जाती है। बस यह एक महीना ही है जब लड़कियां नहीं जातीं। रमजान के आखिरी सप्ताह के आखिरी तीन दिनों में लगभग 15 हजार बारबालाएं खाड़ी देशों के लिए भारतीय एयरपोर्टों से उड़ान भरती हैं। खाड़ी देशों में नाच-गाने और भोग से दूर रहे लोगों के पास इन लड़कियों की खासी मांग पैदा होती है। सूत्रों के मुताबिक नाबालिग बारबालाओं को जाली दस्तावेजों पर विदेश भेजते है, जिनमें उन्हें वयस्क दिखाते हैं। मुंबई पुलिस की विशेष शाखा के अधिकारियों के मुताबिक ये लड़कियां पर्यटक वीजा पर खाड़ी देश जाती हैं, जदो वहां जाने की वजह रिश्तेदारों से मिलना लिखती हैं।

एक एजंट के मुताबिक बारबालाओं की विदेश जाने हेतु चयन की प्रक्रिया रमजान के दो माह पहले से शुरू होती है। रमजान खत्म होने के तीन दिन पहले से उनका जाना शुरू हो जाता है। खाड़ी देशों में रमजान के दौरान बार बंद रहते हैं इसलिए बारबालाओं को उसके पहले ही वापस भारत भेजा जाता है। एजेंट लड़कियों की तलाश ब्यूटी पार्लरों और मॉल्स में भी करते हैं। कालबेलिया नृत्य के लिए पहचान रखने वाली राजस्थान के बेड़िया समुदाय की लड़कियों की बहुतायत बारबालाओं में है।

कुछ अर्सा पहले पुलिस को एक बारबाला का इतिहास जानने के दौरान पता चला कि वो 30 लाख रुपए में फ्लैट खऱीद रही है तो होश उड़ गए। वह बारबाला एक साल में ही 30 से अधिक चक्कर खाड़ी देशों के लगा चुकि थी। पूछताछ में उसने बताया था कि धंधे के अलावा सूचनाएं लाने – ले जाने का भी अच्छा पैसा मिलता है।
विवेक अग्रवाल

क्रिकेट सट्‌टा, बारबालाएं और माफिया

बारबालाओं पर क्रिकेट बुकियों और माफिया संबंधों के आरोप लगते ही रहे हैं। पुलिस सदा इनके बीच मुखबिर भी तलाशते हैं। उनकी सहायता से माफिया निशाने और शिकार भी चुनता है। उनकी मदद से दुश्मनों को ठिकाने लगाने की जुगत भी भिड़ाता है। बारबाला तरन्नुम का मामला आज भी ताजा है। ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड ऐशेज सिरीज के दौरान लंदन में बसे उसके भाई ने सट्‌टा लगाने और बुकियों की व्यवस्था करने में तरन्नुम की सहायता की थी। इसके 70 लाख रुपए में खरीदे बंगलेनुमा घर 'तनिष्क' पर आयकर विभाग ने छापा मारा था, तो उसके नाम करोड़ों की संपत्ति के दस्तावेज बैंक लॉकर से मिले थे। मुंबई में पैदा तरन्नुम एसएससी के बाद आगरा गई लेकिन कुछ समय बाद डांस बार में काम कर रही बहन के कहने पर लौट आई। वह पहली बार 1997 में दुबई में नाची थी। सूत्रों के मुताबिक इस शो में दाऊद इब्राहिम,  अबू सालेम के साथ मुंबई माफिया के कई दिग्गज थे। उनका तरन्नुम पर दिल आ गया... और वह रातों-रात हुस्न की मलिका से धन कुबेर बन गई। पुलिस उसके माफिया से संबंधों की जांच करके थक गई लेकिन कुछ साबित नहीं कर पाई।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक क्रिकेट सट्‌टे में तरन्नुम बड़ा नाम रही है क्योंकि पूछताछ में उसने मुंबई के सबसे बड़े बुकियों के नाम बताए थे। 2003 में तरन्नुम ने एक मैच पर सट्‌टे में 17 लाख रुपए जीते थे। अपराध शाखा अधिकिरियों ने तरन्नुम के सेलफोन की काल लिस्ट में जिनके नाम पाए, उनमें बड़े-बड़े राजनेता, उद्योगपति, बुकि, समाजसेवक भी थे। ये नाम आज भी पुलिस ने उजागर नहीं किए हैं।

उसके मामले में बुकी मिलिंद धीरज नंदू उर्फ डीजे और नौकर प्रदीप कुंवरजी परमार को पुलिस ने गिरफ्तार किया था, कुल 156 बुकियों को फरार दिखाया था, जिनमें शोभन मेहता व जयंती मालाड के नाम भी थे। तरन्नुम से श्रीलंका के क्रिकेटर मुथय्या मुरलीधरन का नाम जुड़ा था। उन्होंने कहा कि वे फिक्सिंग प्रकरण की बारबाला तरन्नुम खान या उसके किसी बुकी मित्र को न जानते हैं, न वे कभी उनसे मिले हैं। आरोप था कि फिल्म अभिनेता आदित्य पांचोली के साथ वे दीपा बार में तरन्नुम से मिले थे।

माफिया से संबंध रखने वाली बारबालाओं में स्वाति पाल भी है जिसने कोलकाता में खादिम शूज के मालिक पार्थप्रतिम राय बर्मन का अपहरण करवाने और करोड़ों की फिरौती वसूल करवाने में भूमिका अदा की थी। थोड़े समय के लिए ही सही बारबाला रह चुकि चुकि अर्चना शर्मा उर्फ मनीषा अग्रवाल उर्फ मीनाक्षी अग्रवाल कभी बबलू श्रीवास्तव, कभी विक्की गोस्वामी, कभी दाऊद के साथ संबंधों को लेकर चर्चा में रही है।
विवेक अग्रवाल

सिंगापुर में बारबालाएं

धुंए में बेपनाह लापरवाही से नाचते जिस्म... नशे में मदहोश थिरकती लड़कियां... चकाचौंध नजारे... बॉलीवुड गीतों पर बेढंगे रूप से कुल्हे मटकातीं... अश्लील तरीके से हिलती ये लड़कियां कहीं और से नहीं.... मुंबई या दिल्ली से पहुंची हैं, जहां दौलतमंद उन पर पैसे बरसा रहे हैं... यह दृष्य सिंगापुर के अमीर इलाके बोट क्वाय का है। मुंबई के बारों में बारबालाओं का कारोबार ठंडा हुआ तो दो दर्जन बार सिंगापुर में, आधा दर्जन मलेशिया में और चार जकार्ता में चल रहे हैं।

एक बार मालिक कहते हैं कि मुंबईया बारबालाओं की आमदरफ्त सिंगापुर में 1994 से है। ऐसे बार वहां कानूनी हैं इसलिए कोई परेशानी नहीं है। वहां बार खोलने के लिए सरकार से इंटरटेनमेंट और डांसर्स लाइसेंस लेना होता है। एक डांसर के लाइसेंस पर सिंगापुर में 75 हजार रुपए का खर्च है। यहां बारबालाओं के लिए प्रोफेशनल विजिट पास लेते हैं, जिसकी वैधता तीन महीने होती है।

सिंगापुर में अमूमन 12 से 20 कियों का समूह भेजते हैं, जिसमें गायक और संगीतकार भी हैं। बारबालाएं तीन महीने में बदली जाती हैं। मुंबई, दिल्ली और चंडीगढ़ की बारबालाएं यहां भेजी जाती हैं। यहां भी बारबालाओं के पासपोर्ट बार मालिक कब्जे में रखते हैं ताकि पैसे पूरे न निकलें तो वीजा 3 माह के लिए और बढ़वा सकें और लड़कियां दबाव में काम करती रहें। उन्हें बाहर नहीं जाने देते हैं, जाने भी देते हैं तो मालिक के गुर्गे के साथ ही।
विवेक अग्रवाल

यह समाचार साप्ताहिक हमवतन के मई 2012 अंक में प्रकाशित हो चुका है।

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