मुंबई हवाईअड्डे के रनवे के करीब बनाई अवैध इमारत

कभी भी टकरा सकते हैं विमान, हो सकता है बड़ा हादसा, एक चूक की कीमत लाखों जान!

एसआरए के बिल्डरों और अधिकारियों का नापाक गठजोड़ क्या-क्या हरकतें और करने वाला है, यह तो अभी पूरी तरह सामने आया ही नहीं है। अब तक जो भी सामने आ रहा है, वह न केवल चिंता में डालने वाला है, बल्कि बेहद खतरनाक भी है। भ्रष्ट ‘बाबुओं’ के खेल ने न केवल विमान यात्रियों, बल्कि मुंबई के लाखों लोगों का जीवन मुश्किल में डाल दिया है। कभी कोई बड़ा विमान हादसा मुंबई के आसमान में हो जाएगा और जब तक लोगों को पता चलेगा कि इसकी वजह क्या थी, काफी देर हो चुकी होगी। हो सकता है कि हजारों लोगों की जान ही चली जाए! पूरे खतरे की जानकारी दे रहे हैं मुंबई से संजय मिश्रा और विवेक अग्रवाल

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) ने एक बिल्डर को जब 12 मीटर से अधिक ऊंची इमारत नियमों के खिलाफ जाकर तामीर करने की इजाजत नहीं दी, तो उसने एक नया तरीका खोजा। उसने दिल्ली जाकर एएआई के आला अधिकारी को पटाया और 16 मीटर ऊंची इमारत बनाने के आदेश पर हस्ताक्षर करवा लाया। वह भी सांताकू्रज हवाई अड्डे के रनवे से महज 668 मीटर दूरी पर ही, जबकि नियम तो यह कहता है कि रनवे से 2.4 किलोमीटर के दायरे में कोई भी ढांचा 12.2 मीटर से अधिक ऊंचा किसी भी हालत में खड़ा नहीं किया जा सकता है!

यह तो अब साफ हो चला है कि इस शहर में जमीनों को लेकर जो बंदरबांट मची है, उसमें बिल्डरों की छीना-झपटी में पर्यावरण का कितना ही नुकसान हो जाए, वे परवाह नहीं करते! कितने ही नियम-कायदे तोड़ने पड़ें, उन्हें परवाह नहीं। कितने ही लोगों का जीवन दांव पर लग जाए, वे ‘बेपरवाह’ रहते हैं। इसके लिए जिम्मेदार है अफसर-बिल्डर-नेताओं का भ्रष्ट मकड़जाल। विमानों की सुरक्षा को लेकर काफी सारे नियम-कायदे एएआई ने बनाए हैं, लेकिन उनकी ही धज्जियां उड़ा रहे हैं नागरिक उड्डयन मंत्रालय और विभाग के ही कुछ भ्रष्ट अधिकारी। उनका बखूबी साथ दे रहे हैं एएआई के कुछ अफसरान। आश्चर्य तो यह है कि इन्हीं का कारनामा है कि एक बिल्डर को मजे से रनवे नंबर 0927 के पास अवैध रूप से 4 मीटर अधिक ऊंची इमारत खड़ी करने की इजाजत भी मिल जाती है!

इस मामले की तहकीकात की, तो पता चला कि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तमाम आला अफसरान ने अपने ही बनाए नियमों की पूरी तरह से अनदेखी की है और वह भी एक बार नहीं, कई बार! जो  दस्तावेज हाथ लगे हैं, वे साफ बताते हैं कि एएआई मुंबई में एनओसी विभाग की प्रभारी अधिकारी मंगला नरसिम्हा द्वारा चौहान बिल्डर को एनओसी देने से इंकार किया जा चुका था। चौहान बिल्डर तो ठीक रनवे के सामने ही 12.2 मीटर नहीं, बल्कि 22 मीटर ऊंची इमारत बनाना चाहता था। एसआरए के लिए इमारतें बना रहे चौहान बिल्डर ने इसके लिए संभवत: आला पदों पर बैठे सूत्रों को हिलाया... और इसका नतीजा उसके मनमाफिक ही निकला। न केवल एनओसी विभाग की प्रभारी अधिकारी मंगला नरसिम्हा का तबादला किसी और विभाग में, बल्कि एनओसी विभाग के बाहर से किसी अधिकारी से 16.2 मीटर ऊंची इमारत तामीर करने की इजाजत भी हासिल कर ली गई।

एसआरए की भूमिका

सांताक्रूज पश्चिम के खोतवाड़ी इलाके में एसआरए के लिए भूखंड क्रमांक एस-6 पर झोपड़-पट्टी विकास के नाम पर चौहान बिल्डर ने ढेरों नियमों की अनदेखी की। सबसे पहले तो एसआरए ने ऐसी जमीन के लिए इस बिल्डर को इमारतें बनाने की इजाजत दे दी, जो कि एएआई की बिना इजाजत के बन ही नहीं सकती थी! हर व्यक्ति जानता है कि इस इलाके में 12 मीटर की ऊंचाई तक महज चार मंजिली इमारतें ही बन सकती हैं। उससे अधिक ऊंचाई की इमारतें न बनने के कारण यह कभी फायदे का सौदा न था। इसके बावजूद चौहान बिल्डर ने इस इलाके में एसआरए के प्रोजेक्ट हासिल किए, तो खास वजह ही रही होगी!

महाराष्ट्र सरकार के अर्बन डेवलपमेंट डिपार्टमेंट द्वारा बनाए डेवलपमेंट कंट्रोल रेग्यूलेशन फॉर ग्रेटर मुंबई 1971 के नियमों के तहत कोई भी व्यक्ति यदि रनवे से 2.4 किलोमीटर व्यास क्षेत्रफल में कोई निर्माण करता है, तो उसके लिए इजाजत एएआई से लेनी होगी।

यह इजाजत स्थानीय तौर पर ही ले सकते थे, न कि दिल्ली में बैठे मंत्रालय के किसी अधिकारी से। चौहान बिल्डर को इमारत बनाने के लिए जो इजाजत मिली है, वह दिल्ली स्थित एनओसी विभाग के बाहर के किसी अधिकारी से मिली है। यह इमारत भी जूहू स्थित मुंबई के ही एक और हवाई अड्डे से महज 1,128 मीटर की दूरी पर है। इसका मतलब यही है कि इस तरह से एक नहीं, बल्कि दो-दो हवाई अड्डों से आने-जाने वाली उड़ानों को खतरे में डाला गया है।

चौहान का चक्कर
चौहान के लिए तब समस्या खड़ी होनी शुरू हो गई थी, जब उसके लिए एसआरए के तहत बनने वाली इमारतों को लेकर स्थानीय जनता ही विरोध में खड़ी हो गई। उनकी शिकायतों के बाद यहां का काम रोकने के आदेश जारी हो गए थे, लेकिन उन्हें किसी तरह बिल्डर ने पटा लिया। उसके बाद समस्या शुरू हुई एएआई से एओसी हासिल करने की, जिसमें 12.22 मीटर तक ही ऊंची इमारत बनाने के लिए कहा गया था। बिल्डर चौहान 22 मीटर ऊंची ऊमारतें बनाना चाहता था। चूंकि इस मामले में उसकी अर्जी एएआई ने खारिज कर दी थी, इसलिए चौहान बिल्डर ने चार वर्षों तक चुप्पी साधे रखी। दस्तावेजों के मुताबिक, चौहान बिल्डर ने सन् 2009 में फिर से अपना काम शुरू किया। उसने एएआई (वेस्टर्न रीजन) के रीजनल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर को 12 मीटर की ऊंचाई वाले नियम को नजरअंदाज करने के लिए   तैयार कर लिया। उसने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को 20 मीटर ऊंची इमारत का निर्माण करने के लिए इजाजत मांगी एक अर्जी भेज कर। दस्तावेज बताते हैं कि इस बार दिल्ली से इंकार आ गया, फिर भी बिल्डर चौहान ने हार नहीं मानी। उसने सन् 2010 में फिर से एएआई को नई अर्जी भेजी। इस बार उसने दो और भूखंडों को इसमें जोड़ा। एएआई ने तुरंत अर्जी दिल्ली में मंत्रालय के पास भेज दी। तीसरी बार दिल्ली से इंकार आ गया कि 12 मीटर से ऊंची इमारत बनाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। एएआई ने फिर से बिल्डर को एनओसी देने से इंकार कर दिया।

आखिरकार बिल्डर ही जीता

सन् 2010 के दिसंबर माह में अचानक एएआई के मुंबई दफ्तर को मंत्रालय से एक नया आदेश हासिल हुआ, जिसमें बिल्डर चौहान को 16 मीटर ऊंचाई तक की इमारत बनाने की इजाजत देने के लिए एनओसी देने का जिक्र था। मंत्रालय की अपील समिति के पास से आए इस पत्र को पढ़ कर मुंबई में बैठे तमाम अफसरान चकरा गए कि यह अचानक बिल्डर के प्रति इतना प्यार क्यों? दिल्ली में बैठे आला  अफसरान ने क्यों किया ऐसा? हालांकि, उनके सामने एनओसी जारी करने के अलावा कोई और चारा न था, क्योंकि ऊपर से आदेश जो थे। इससे यह तो साफ हो गया कि बिल्डर चौहान असल में किसी न किसी तरह से अपना काम करवाने में कामयाब हो गया। इस मामले में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की गुंजाइश देखते हुए एएआई मुंबई में एनओसी  विभाग की प्रभारी अधिकारी मंगला नरसिम्हा ने एनओसी जारी करने वाले पत्र पर हस्ताक्षर करने से साफ इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि अपील समिति ने गलत फैसला लिया है। उन पर एएआई की पश्चिमी कमान के आला अफसरान ने खासा दबाव डाला, लेकिन वे नहीं झुकीं। उन्होंने इस बारे में एक पत्र नागरिक उड्डयन सचिव नसीम जैदी को लिखा और बाद में इस सिलसिले में जानकारियां देने वाले चार ई-मेल भी भेजे। इसके बाद उन्हें 28 फरवरी 2011 को दिल्ली बुलाया गया। नागरिक उड्डयन विभाग के निदेशक आलोक शेखर की सदारत में बैठक हुई, जिसमें वी.के. दत्ता, जे.एम.एस. नेगी, ज्योति प्रसाद और पूर्प जीडीसीए मुखिया कानू गोहियान मौजूद थे। तीन माह बाद एएआई के एयरोड्रोम विभाग के जनरल मैनेजर एम. मुत्थु ने एएआई मुंबई में एनओसी विभाग की प्रभारी अधिकारी मंगला नरसिम्हा से बात करके उन्हें एनओसी जारी करने के लिए बात करने की कोशिश की, लेकिन वे तब भी नहीं झुकीं।

इसके बाद चमत्कार हो गया। एक अन्य विभाग के अधिकारी प्रदीप मिंज को इस एनओसी पर दस्तखत करने के लिए कहा गया। एनओसी जारी होने के 10 दिनों बाद ही एएआई मुंबई में एनओसी विभाग की प्रभारी अधिकारी मंगला नरसिम्हा का तबादला एवीएशन सेफ्टी डिपार्टमेंट में हो गया। इससे नाराज होकर उन्होंने नागरिक उड्डयन सचिव को एक पत्र भी लिखा, जिसमें उन्होंने रोषपूर्ण तरीके से यह कहा था कि उनकी ईमानदारी का अच्छा फल मिल रहा है!

प्रतिक्रियाएं
भ्रष्टाचार के खिलाफ जाएंगे अदालत

इस मामले को हमने गंभीरता से लिया है। हम इस बारे में पूरी जानकारियां जुटा रहे हैं और कानूनी सलाह ले रहे हैं। दस्तावेजों से यह पता चलता है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय में इन पांच इमारतों को इजाजत देने के मामले में भ्रष्टाचार हुआ है। हम जल्द ही इसके खिलाफ अदालत की शरण में जाएंगे। - वीरेंद्र पांडे, सदस्य, औद्योगिक सेल, भाजपा मुंबई

नहीं चाहिए बिल्डर चौहान
यह स्थानीय लोगों से विश्वासघात है। हमें बिल्डर चौहान अब चाहिए ही नहीं। उसने जो भी काम यहां किया है, वह बिल्कुल गलत है। हम इस बिल्डर और उसके तमाम कामकाज का विरोध करते हैं। उसके खिलाफ हमने सभी विभागों में अर्जियां दी हैं और उसका कामकाज रुकवाने और पूरी योजना को ही खारिज करने की मांग की है। - नारायण गुप्ते, विभाग उपाध्यक्ष, मनसे

हो सीबीआई जांच
बिल्डर चौहान की एनओसी चार बार नकारी गई, लेकिन अपील समिति ने कैसे अपने ही नियमों का उल्लंघन करके उन्हें यह एनओसी दी है, इसकी सीबीआई से जांच करवाई जानी चाहिए। इतना ही नहीं, तुरंत सभी इमारतों के 12.22 मीटर से ऊंचे निर्माण कार्यों को तोड़ा जाना चाहिए। - संतोष तारी, आरटीआई एक्टिविस्ट

अधिकृत नहीं हूं मैं
मैं किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे सकती हूं, क्योंकि मैं मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं हूं। - मंगला नरसिम्हा,  एएआई मुंबई में एनओसी विभाग की प्रभारी अधिकारी

जो कहा गया, वही किया
मैंने वही किया है, जो मुझे दिल्ली मुख्यालय से कहा गया था। जो आदेश आते हैं, उनका पालन हमें करना होता है। इस पद पर होने के कारण मेरी इस मामले में इतनी ही भूमिका थी। - प्रदीप मिंज, जीएम एयरोड्रोम, वेस्टर्न रीजन

मुझे याद नहीं
तमाम अफसरान मुझे हर दिन पत्र लिखते ही रहते हैं। मुझे इस मामले के बारे में अभी याद नहीं है। यदि यह मामला मेरे पास आता है, तो इस पर उचित जांच करवाई जाएगी। - नसीम जैदी, नागरिक उड्डयन सचिव

This news is published in weekly Humvatan on Wednesday, 27 June 2012
http://humwatan.in/index.php?option=com_content&view=article&id=3318:2012-06-27-08-00-19&catid=1:2011-08-10-13-54-25&Itemid=50

Comments

  1. DEAR MR VIVEK PLS LET ME HAVE THE NECCESSARY DOCUMENTS YOU HAVE SO IT WILL HELP US IN FILING CASE AGAINST ALL THE CONCERNED OFFICIALS WHO FACILITATED IN AMENDING THE LAW TO FACILITATE BENEFIT TO CHOUHAN BUILDERS WE HAVE ALSO COME TO UNDERSTAND THAT CHOUHAN BUILDER HAS THE BLESSINGS OF FEW NCP SITTING TOP RANKING POLITICIANS AND HAVE HIGH APPROACH IN AVIATION MINISTRY.

    RGDS

    VIRENDRA PANDEY(SPL INVITEE) BJP MAH IND CELL.

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