अनचाहे एसएमएस मैसेज से परेशान हैं तो ट्राई को करें फॉरवर्ड

नई दिल्ली।। दिन भर आने वाले बेकार के ढेरों एसएमएस से परेशान हैं? टेंशन मत लीजिए। आपकी समस्या जल्द ही दूर होने वाली है। ट्राई ऐसी व्यवस्था करने वाली है कि आपके मेसेज फॉरवर्ड करने भर से टेलिमार्केटिंग कंपनी पर भारी जुर्माना लगेगा।

मिली जानकारी के मुताबिक ट्राई ऐसी व्यवस्था करने जा रही है, जिससे एसएमएस भेजकर मोबाइल यूजर्स को परेशान करने वाले टेलिमार्केटर्स के खिलाफ कड़ा ऐक्शन लिया जाएगा। शुक्रवार को ट्राई ने एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें एसएमएस भेजकर उपभोक्ताओं को परेशान करने वालीं रजिस्टर्ड और गैर-रजिस्टर्ड टेलिकमार्केटिंग कंपनियों पर भारी पेनल्टी लगाए जाने की व्यवस्था है।

अपने प्रस्ताव में टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने यह सुझाव दिया है कि मोबाइल उपभोक्ताओं को कर्मशल मेसेज भेजने वालीं गैर-रजिस्टर्ड टेलिमार्केटिंग कंपनियों से 500 रुपये प्रति एसएमएस वसूल किया जाए। इसके बावजूद अगर कंपनी एसएमएस भेजना बंद नहीं करती तो और भी सख्ती की जाएगी। अगर किसी कंपनी के खिलाफ 10 ऐसे मामले हो जाते हैं तो प्रस्ताव के अनुसार मार्केटिंग कंपनी का फोन कनेक्शन काट दिया जाएगा।

खास बात यह है कि मोबाइल यूजर्स ऐसी कंपनियों के खिलाफ अब आसानी से शिकायत कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें बस इतना करना है कि ऐसे सभी गैर-जरूरी मेसेजों को 1909 पर फॉरवर्ड करना है। इसके बाद मेसेज भेजने वाली कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यही नहीं, मोबाइल यूजर्स चाहे तो इंटरनेट के जरिए या ईमेल से भी अपनी शिकायत रजिस्टर्ड कर सकते हैं।

ट्राई का कहना है कि इस योजना के पीछे मोबाइल उपभोक्ताओं को मिलने वाले गैर-जरूरी एसएमएस को रोकना है। इस व्यवस्था के लागू होने के बाद एक जैसे नंबरों और एक जैसे नामों से आने वाले इन कर्मशल मेसेजों पर रोक लगेगी। हालांकि इससे बैंकों को भी खासी परेशानी होगी क्योंकि आरबीआई के निर्देश के अनुसार बैंक अपने उपभोक्ताओं को हर ट्रांज़ैक्शन के लिए फिलहाल मेसेज भेजता है। इस बारे में ट्राई ने यह सुझाव दिया है कि इस व्यवस्था लागू होने के बाद बैंकों को किसी रजिस्टर्ड टेलिमार्केटिंग कंपनी की ही सेवाएं लेनी होंगी।
साभार
टाइम्स न्यूज नेटवर्क | Aug 4, 2012
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/15349130.cms


अनचाहा मैसेज भेजने को कंपनियों ने ढूंढा नया फंडा

नई दिल्ली।। मेडिकल इंश्योरेंस और रियल एस्टेट के ऑफर वाले अनचाहे एसएमएस भेजने वालों ने ट्राई के नियमों से बचने के लिए नई तरकीब ढूंढ ली है। ऐसे विज्ञापनदाता अपनी सर्विसेज को प्रमोट करने के लिए बल्क मैसेजिंग सर्विसेज के जरिए लोकल ऑपरेटर और इंटरनेट पोर्टल के जरिए मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल कर रहे हैं। एक बल्क टेक्स्ट मैसेज प्रवाइडर ने बताया कि चूंकि यह तरीका टेलिकॉम रेग्युलेटर ट्राई के रेगुलेशन के दायरे में नहीं आता है, इसलिए अनजान नंबरों से टेलिकॉम ग्राहकों को मिलने वाले स्पैम मैसेज में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है।

दरअसल, ये मार्केटिंग कंपनियां ट्राई के साथ रजिस्टर्ड नहीं हैं, इसलिए एंड यूजर के लिए स्पैम मैसेज की पहचान करना मुश्किल है। इसके अलावा, वे ऑपरेटर को 5 पैसे प्रति मैसेज टर्मिनेशनल चार्ज देने के लिए भी जिम्मेदार नहीं है। लिहाजा, इसके जरिए भारी संख्या में मैसेज भेजना सस्ता पड़ता है। मिसाल के तौर पर ट्राई के साथ रजिस्टर्ड रेडियो कैब कंपनी के जरिए भेजा गया मैसेज 'एलएम-एएआरवाईसी' के नाम से आएगा। हालांकि, टेली मार्केटिंग कंपनियों की ओर से नए तरह के प्रमोशनल मैसेज में इस तरह के टैग नहीं होते हैं, बल्कि 10 डिजिट का बाकायदा मोबाइल नंबर होता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि मोबाइल यूजर एक बार मैसेज को जरूर पढ़ेगा।

दिल्ली के एक स्पैम मैसेज प्रवाइडर के मुताबिक, डू-नॉट-डिस्टर्ब (डीएनडी) रजिस्ट्री पर सब्सक्राइबर्स का डाटाबेस महज 9,000 रुपए में उपलब्ध है। इस भुगतान के लिए कंपनी कम से कम रोजाना 1 लाख मैसेज भेजेगी और रिस्पॉन्स सुनिश्चित करेगी। डाटाबेस बेचने वाले ने बताया, 'यह मैसेज मोबाइल नंबर से भेजा जाएगा, जिसका मतलब यह हुआ कि कोई भी कस्टमर एक बार जरूर इसे पढ़ेगा। अगर आप नॉन-डीएनडी ग्राहकों को मैसेज भेजना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको 7,000 रुपए खर्च करने पड़ेंगे।'
साभार
इकनॉमिक टाइम्स (हिंदी) | Jun 6, 2012 गुलवीन औलख
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/13864658.cms

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