विवेक अग्रवाल, मुंबई
इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों की पूरी सूची तो आज तक किसी एजंसी के पास नहीं है लेकिन कुछ गहन जानकारियां जुटाई हैं। आज भी इस आतंकी गिरोह के कम से 13 सदस्य फरार हैं। उनमें यासीन भटकल का नाम भी है। यासीन भटकल पाकिस्तान में विध्वंसकारी गतिविधियों और आईईडी (बम) बनाने का गहन प्रशिक्षण ले चुके हैं। उनके अलावा फिलहाल कितने आतंकियों को और पाकिस्तान भेजा गया, उसकी तफसील नहीं मिल पाई है। लेकिन इतना तय है कि इन दोनों के अलावा किसी और को बम बनाने नहीं आते हैं। इंडियन मुजाहिदीन के भगोड़ों की पूरी तफसील पहली बार सामने आ रही है।
इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों की पूरी सूची तो आज तक किसी एजंसी के पास नहीं है लेकिन कुछ गहन जानकारियां जुटाई हैं। आज भी इस आतंकी गिरोह के कम से 13 सदस्य फरार हैं। उनमें यासीन भटकल का नाम भी है। यासीन भटकल पाकिस्तान में विध्वंसकारी गतिविधियों और आईईडी (बम) बनाने का गहन प्रशिक्षण ले चुके हैं। उनके अलावा फिलहाल कितने आतंकियों को और पाकिस्तान भेजा गया, उसकी तफसील नहीं मिल पाई है। लेकिन इतना तय है कि इन दोनों के अलावा किसी और को बम बनाने नहीं आते हैं। इंडियन मुजाहिदीन के भगोड़ों की पूरी तफसील पहली बार सामने आ रही है।
1. इकबाल इस्माईल
शाहबंदरी उर्फ इकबाल भटकल उर्फ आईबी उर्फ इकबाल भाई
वह एक यूनानी
डाक्टर है। सन 2002 के बातद से
इंडियन मुजाहिदीन के जितने भी बमकांड हुए हैं, उन सभी में उसका हाथ बताया जाता है। वह फिलहाल पाकिस्तान के
शहर कराची में आईएसआई की छत्रझाया में रह रहा है। वह कर्नाटक के मंगलौर जिसे के
गांव भटकल का निवासी है और उसका भाई रिजाय भटकल है जिसकी जिद पर ही इंडियन
मुजाहिदीन की नींव पड़ी थी। इकबाल असल में रियाज का बड़ा भाई लेकिन इंडियन
मुजाहिदीन में वह रियाज के बाद दूसरी पोजीशन रखता है। सच तो यह है कि सन 2005 के बाद से जितने भी बमकांड आईएम ने किए हैं,
उनकी योजना इकबाल ही बनाता रहा है। इकबाल ने ही
दक्षिण भारत का मोड्यूल आईएम के लिए तैयार किया था।
2. रियाज इस्माईल
शाहबंदरी उर्फ रियाज भटकल उर्फ आरबी उर्फ रोशन खान उर्फ अजीज भाई उर्फ अहमद भाई
मुंबई से सिविल
इंजीनियरिंग कर चुका रियाज सन 2002 के बाद से ही
तमाम बमकांडों में शामिल रहा है। वह कर्नाटक के मंगलौर जिसे के गांव भटकल का
निवासी है और उसका बड़ा भाई इकबाल भटकल है जो इंडियन मुजाहिदीन में महत्वपूर्ण
संस्थापक सदस्य है। सिमी के अध्यक्ष सफदर नागौरी से विवाद होने के बाद उसने ही अलग
होकर आईएम बनाया था। वह सिमी की विचारधारा से अलग अधिक तेजतर्रार और जिहादी गुट
बनाने के पक्ष में था। रियाज रूप और पहचान बदने में इतना माहिर है कि उसके असली
नाम और रूप की जानकारी खुद उसके ही गिरोह के सदस्यों को नहीं होती है। वह लगभग हर
मोड्यूल में एक नए नाम और पहचान के साथ मिलता है। इस गिरोह को मूल रूप से वही
चलाता आ रहा है। वह रियाज ही था जिसके कहने पर हप बमकांड की जिम्मेदारी ईमेल भेज
कर ली जाती थी जिसके कारण उसके कई आतंकियों की गिरफ्तारी संभव हुई थी। उसके बाद
में यह तरीका बदल दिया है और अब बमकांड के बाद चुपचाप उसके गिरोह के सदस्यच वह शहर
छोड़ देते हैं। इसके कारण आतंकियों की गिरफ्तारी मुश्किल होती जा रही है। वह
फिलहाल पाकिस्तान के शहर कराची मॆं आईएसआई और लश्करे तैय्यबा की निगरानी में रहता
है। पिछले दिन उसकी हत्या भारतीय माफिया
सरगनाओं द्वारा करवाने संबंधी खबरें भी खासी उडी थीं लेकिन आज तक उसकी पुष्टि नहीं
हो पाई है। वह अपने गुरू आमिर रजा के पास पाकिस्तान में ही है। रियाज के संबंध
जडैश ए मोहम मद, हरकत उल जिहाद ए
इस्लामी (हूजी) और आईएसआई से भी हैं। आमिर ने आमिर रजा कमांडो फोर्स का गठन किया
है ताकि वह इंडियन मुजाहिदीन को असलाह बारूद औऱ सामान के साथ ही साथ तोड़फोड़ की
गतिविधियों के लिए जरूरी प्रशिक्षण भी दे सके। आमिर भी पाकिस्तान में ही है और
इकबाल, रियाज, यासीन भटकल के अलावा सादिक शेख (मुंबई पुलिस
द्वारा गिरफ्तार), आतिफ अमीन (बाटला
मुठभेड़ में मृत) को भी संभालता था। रियाज आईएम की दक्षिण कमान का मुखिया रहा है।
रियाज पहले मुंबई माफिया के फजलू गिरोह के लिए भी काम करता रहा है। कुछ आईएम
आतंकियों से पूछताछ से पता चला है कि रियाज ने हैदराबाद, बंगलौर, अहमदाबाद,
दिल्ली के बमकांडों में सक्रिय भूमिका अदा की
थी। वह देश के दम से कम दो दर्जन बमकांडों के लिए जिम्मेदार मा ना जाता है। वह
मुंबई के कुर्ला इलाके में ही पला-बढ़ा है। वह यहां चमड़ा रंगने का काम करता था।
कुर्ला के पाईप रोड पर एक झोपड़े में वह रहता था। उसका घर सिमी के दफ्तर से कुछ ही
दूरी पर स्थित था। वह सिमी से इसी कारण जुड़ा भी था और सन 2001 में सिमी के कुर्ला दफ्तर को तब तक संभालता भी
था, जब तक कि सरकार ने उस पर
प्रतिबंध न लगा दिया। एक बार रियाज पर पुलिस की निगाह पड़ गई तो वह फरार हो गया।
इस दौरान उसकी पहचान नसीर आयदीत से हुई जो फजलू गिरोह का सदस्य था। इस गिरोह से
अलग होने के बाद इन दोनों ने मिल कर अपना ही एक नया गिरोह खड़ा किया था, जिसका नाम रखा था – आरएन कंपनी। बाद में रियाज का नाम 7-11 बमकांड में आया तो वह कर्नाटक भाग गया। उस के
बाद से वह गायब ही है। रियाज ने आजमगढ़ से युवकों को आईएम का सदस्य बना कर
प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान भी भेजा है। उसने पाकिस्तान में अपने आकाओं से
आरडीएक्स औऱ अन्य असलाह बारूद हासिल कर तमाम बमकांडों के लिए उपलब्ध करवाया है।
3. आरिज खान जफऱ आलम
उर्फ जुनैद
इंजीनियरिंग की
पढ़ाई बीच में ही छोड़ने वाले इस आतंकी पर कम से कम 5 बमकांडों में शरीक होने की जानकारी है। आजमगढ़ में पैदा
हुआ यह युवक जिहाद में शामिल होने के लिए ही यूपी के मुजफ्फरनगर में पढ़ाई बीच में
छोड़ता है। दिल्ली पुलिस ने आरिज पर 1 से 5 लाख रुपए तक के कई इनाम
विभिन्न बमकांडों में शामिल होने के कारण घोषित किए हैं। 30 दिसंबर 2008 को आरिज के
खिलाफ 13 सितंबर 2008 के बमकांड में 1 लाख रुपए का ईनाम घोषित किया जा चुका है।
4. अबू राशिद
इस आतंकी के बारे
में पुलिस को पता है कि वह मुंबई के 7-11 ट्रेन सिलसिलेवार धमाकों में शामिल था।
उसके घऱ में ही बम बनाए गए थे। यूपी के आजमगढ़ जिले के संजारपुर गांव में
पैदा हुआ लेकिन मुंबई में पला-बढ़ा अबू राशिद जिहादी बनने के पहले तक चश्मे की एक
दुकान में आंखों की जांच करने का काम करता था। उसे पाकिस्तान में आतंकी प्रशिक्षण
मिल चुका है। अबू की तलाश में मुंबई पुलिस उप्र समेत काफी सारी जगहों पर पहले ङी
झापामारी कर चुकि है। वह काफी सारे बम धमाकों में शामिल रहा है। मिंबई में
गिरफ्तार हो चुके 5 आईएम आतंकियों
ने अबू का नाम कई मामलों में बताया है। सन 2005 के बाद से वह अहमदाबाद, दिल्ली जैसे कई बहम कांडों में शामिल रहा है।
5. खालिद
पिछले दिनों हुए
तमाम बम धमाकों में उसका नाम आता ही रहा है। आजमगढ़ के संजारपुर गांव में पैदा हुआ
खालिद असल में दिल्ली में रहता था। वह आईएम का बम बनाने का माहिर आतंकी रहा है।
उसे आईएसआई और लश्कर ने बम बनाने का गहन प्रशिक्षण दिया था। वह आईएम के दक्षिणी मोड्यूल
से भी सीधे संपर्क में रहता है।
6. मिर्जा शादाब बेग
इलेक्ट्रानिक्स
से इंजीनियरिंग कर चुका यह आतंकी संकट मोचन बमकांड में शामिल रहा है। फरीदाबाद में
पैदा हुआ यह आतंकी जिहाद में घुसने से पहले नोएडा में एचसीएल इन्फोसिस्टम्स में
काम करता था। वह आईएम के दक्षिणी मोड्यूल का मुखिया है और तकनीक का न केवल गहरा
जानकार है बल्कि उसमें खासी रुचि भी रखता है। 13 सितंबर के बम धमाकों में भी उसकी शिरकत के बारे में
जानकारियां मिली थीं। उसने बच्चों के एक पार्के के पास एक बम रखा था जो फटा नहीं
था और बाद में डिफ्यूज कर दिया था। एक वक्त में उसने बीएसएनएल के लिए जूनियर
टेलीकॉम इंजीनियर पद पर भर्ती होने के आवेदन पत्र (रोल नंबर JTO/2007/27/100/16397)
भरा था। वह अपने साथियों से आजमगढ़ में आज भी
संपर्क में है। कभी जाकिर नगर में रहने वाला शादाब फरीदाबाद के अल फलाह कालेज में
पढ़ता था। शादाब के सेल फोन नंबर 9899605127 के तमाम जानकारी निकालने से पता चला कि वह
असदुल्ला अख्तर उर्फ असद से लगातार संपर्क में था, जो कि उसके साथ आजमगढ़ के ज्योति निकेतन स्कूल में पढ़ा
करता था। पुलिस का कहना है कि आजमगढ़ के जितने भी आईएम सदस्य हैं, वे अमूमन इसी स्कूल के पढ़े हुए हैं। शादाब के
पिता इलाके के एक बेहद प्रतिष्ठित चिकित्सक हैं। असद और शादाब भी एक ही कक्षा में
साथ पढ़े हैं। जामिया नगर में जब 19 सितंबर को पुलिस
से मुठभेड़ हुई थी, उस समय शादाब भी
एल-18 नंबर फ्लैट में मौजूद था
लेकिन वह फरार होने में कामयाब रहा था। वहां से साकिब नासिर गिरफ्तार हुआ था जिसे
शादाब ने ही आतिफ से मिलवाया था।
7. असदुल्लाह अख्तर
फार्मा से स्नातक
यह आईएम आतंकी गोरखपुर सीआरपीएफ कैंप पर हमले और संकटमोचन धमाकों, अहमदाबाद धमाकों, जयपुर धमाकों में शामिल बताया जाता है। वह लखनउ में पैदा
हुआ था। उसके पिता डॉ. जावेद अख्तर उप्र के नामी आर्थोपेडिक हैं। वह एक बेहद अमीर
और प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखता है। वह आईएम में सुशिक्षित युवकों को भर्ती
करने के लिए बतौर रिक्रूटर काम करता है।
8. बड़ा खालिद
उसने कर्नाटक से
मुंबई तक 40 किलो आरडीएक्स पहुंचाया
था तिक 7-11 के धमाकों केलिए बम
तैयार हो सकें। उसकी दिल्ली धमाकों में भी पुलिस को तलाश है। आजमगढ़ के संजारपुर
में ही जन्मा है और वह आईएम के दक्षिणी मोड्यूल का कोआर्डीनेटर है।
9. सूलेमान उर्फ
पिंटू
कई आतकंकी
गतिविधियों और धमाकों में पिंटू शामिल रहा है। उसका काम मूल रूप से आरडीएक्स,
हथियार-गोला-बारूद की सप्लाई आईएम आतंकियों को
करने की जिम्मेदारी है। वह 15 साल की उम्र में
घर से भाग गया था और 16 साल की उम्र में
उसने आईएम में प्रवेश किया था। उसे यह काम उसीलिए सौंपा गया था क्योंकि पुलिस या
खुफिया अधिकारी उसके बच्चों जैसे चेहरे को
देखने के बाद उस पर कभी शक ही नहीं कर सकेंगे। उशका नामक पहले भी कर् आतंकियों के
जरिए पुलिस को पता चल चुका है लेकिन वह आज तक पकड़ में नहीं आया है, न ही उसका कोई फोटो आज तक पुलसिस को मिल पाया
है।
10. डॉ. शाहनवाज
यह यूनानी डाक्टर
7-12 के धमाकों में शामिल रहा
है। वह लखनऊ का मूल निवासी है और खुफिया एजंसियों के जरिए हासिल सूचनाओं के
मुताबिक वह खाड़ी देशों में वेश और पहचान बदल कर रह रहा है।
गुजरात मोड्यूल
के मुजीब और आलमजेब अफरीदी उर्फ चिकना फिलहाल फरार हैं। वे दोनों ही यासीन भटकल
उर्फ अहमद जरार सिद्दीबाप्पा उर्फ शाहरुख के काफी करीबी बताए जाते हैं। इऩ तमाम
आईएण के आतंकियों को आईबी, दिल्ली एसटीएफ,
यूपी एटीएस, हैदराबाद एटीएस, महाराष्ट्र एटीएस और गुजरात एटीएस भी सरगर्मी से तलाश रहे हैं। लेकिन जिस तरह
की लापरवाही और खुफिया व जांच एजंसियों में नामक की लड़ाई और होड़ के चलते सूचनाए
छुपाई जाती हैं। यह मुश्किल ही है कि कोई आतंकी उनकी गिरफ्त में कभी आ सकेगा।
Dear vivek ji,
ReplyDeleteI think our earlier impression that only semi literates were being misled to terrorism is incorrect and even educated youths are resorting to terrorizing.Of course we are exhibiting no sign of becoming a tough state against terror. I winder when Diggy will go to the residences of these persons to enhance the vote-bank?