दयानंद पाटिल है पुणे का असली गुनहगार?

दयानंद पाटिल का असली नाम है दीन मोहम्मद उर्फ जैनुद्दीन

एटीएस सूत्रों का दावा है कि जिस 23 साल के दर्जी और रफूगर दयानंद पाटिल के थैले में पुणे की जंगली महाराज रोड पर चार में से एक बम फटा था, उस दयानंद पाटिल का असली नाम दीन मोहम्मद उर्फ जैनुद्दीन है। पुणे एटीएस के एक अफसर ने इसकी पुष्टी भी की है।

जांच एजंसियों का दावा है कि 26-11 के तरीके से ही इस बार भी यह काम हुआ है, और इस साजिश के पीछे इंडियन मुजाहिदीन का ही हाथ है। यह भी जानकारी हासिल हुई है कि इस बमकांड के पीछे असल में आईएम की दक्षिण भारत कमान के ही मुखिया को लगाया गया था। जिस तरह से मुंबई पर हुए आतंकी हमले में हिंदू होनने का दिखावा करने हुए 10 आतंकियों को भारत में भेजा और हमलों को अंजाम दिया था, ठीक उसी तरह से इस बार भी हिंदू कट्टरपंथियों द्वारा हमले करवाने का दिखावा करने की कोशिश इंडियन मुजाहिदीन ने करवाई हो सकती है।

एटीएस सूत्रों का कहना है कि दयानंद का खतना भी हुआ है, जो कि पुणे के उरली कांचन निवासी है। वह कर्नाटक के बीजापुर के बिदर इलाके का मूल निवासी है। वह पिछले लगभग 4 साल से पुणे में ही रहता और रफू का काम करता था। वह जिसकी दुकान में काम करता है, वह पतित पावन नामक एक संगठन का पुणे शहर अध्यक्ष है, यह संगठन हिंदू कट्टरपंथी है, पिछले ढाई सालों से उसकी दुकान के बाहर ही बैठ कर रफू का काम करता था। इस व्यक्ति के पास ही काम करने के लिए दयानंद का लगने के पीछे खुफिया एजंसियों का मानना है कि वह पुख्ता तौर पर हिंदी कट्टरपंथी ही लगे, यह योजना थी। इसके दो फायदे थे, पहला तो यह कि उस पर जल्दी कोई शक नहीं करेगा। दूसरा यह कि कभी वह पकड़ा भी जाता है तो यही माना जाएगा कि हिंदू कट्टरपंथियों ने ही धमाके किए हैं।

इस जांच के सिलसिले में पुलिस ने कर्नाटक के बिदर जिले में दो युवकों से भी पुछताछ की है। उनके नाम रमजान शेख और अल्ताफ शेख हैं। ये दोनों दयानंद उर्फ दीन के पुराने दोस्त हैं।
पुणे में सिलसिलेवार चार धमाकों से 1 अगस्त को दहशत फैल गई थी। महाराष्ट्र के तेजी से विकास कर रहे शहर पुणे में धमाके बालगंधर्व थिएटर, देना बैंक, मैक्डोनल्ड और गारवड़े ब्रिज के पास हुए। इस दौरान दो बम नहीं फटे और जांच एजेंसियों का हाथ लगे थे और अधिकारियों को आशा थी कि इन्हीं बमों से साजिश करने वालों तक पहुंचा जा सकेगा। 45 मिनट के भीतर हुए चार धमाकों पर केंद्र सरकार ने माना कि विस्फोट साजिश रच कर ही हुए हैं।

फॉरेंसिक विशेषज्ञों के मुताबिक बमों में अमोनियम नाईट्रेट के साथ फर्नेस आईल, छर्रे और इलेक्ट्रॉनिक घड़ियों व बैटरी से बनाए डिटोनटर को लकड़ी के डिब्बों में पैक करके ये आईईडी बनाए गए थे। राष्ट्रीय जांच एजेंसी, नेशनल सिक्योरिटी गार्ड, सेंट्रल फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला और महाराष्ट्र पुलिस धमाकों की जांच कर रहे हैं। दो आईईडी जो नहीं फटे, उनकी जांच हुई है, हरेक में तीन डेटोनेटर लगे थे।

सुशील कुमार शिंदे के केंद्रीय गृह मंत्री का पद संभाले और शपथ लेने के कुछ ही घंटों बाद ये धमाके हुए थे। महाराष्ट्र के गृहमंत्री आरआर पाटिल का कहना है कि जांच एजेंसियां सभी संभावित पहलुओं की जांच कर रही हैं, फिलहाल इसे आतंकवादी हमला नहीं कहा जा रहा है। थिएटर के पास हुए धमाके में एक ही व्यक्ति घायल हुआ था।

बताया जा रहा है कि दयानंद उर्फ दीन जानबूझ कर इंडिया अगेंस्ट करप्शन के धरने में शामिल हुआ था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक विस्फोटक दयानंद उर्फ दीन के बैग में ही था। जैसे ही वह धरने से निकला धमाका हो गया। धमाके के बाद पुलिस ने भ्रष्टाचार के खिलाफ धरने पर बैठे लोगों को सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए हटा दिया।

पुलिस जांच में कोई प्रगति दिख नहीं रही है लेकिन दयानंद उर्फ दीन के आसपास ही जांच का दायरा फैलता जा रहा है। संदिग्धों के स्केच हालांकि तैयार कर लिए गए हैं और पूछताछ के लिए हिरासत में लिए गए चार लोगों को छोड़ दिया है। दयानंद उर्फ दीन की मां के मुसलिम होने के बारे में भी जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने इंडियन मुजाहिदीन के दक्षिण भारत सेल के इर्दगिर्द जांच का दायरा विस्तारित किया है। जिन अन्य लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया और पूछताछ की थी, उनमें पाटील की पत्नी सत्यशीला, दो भाई बालू एवं चिंटू देशमुख भी हैं। इन दोनों भाइयों की दुकान से विस्फोट में प्रयुक्त साइकिलें खरीदी गई थीं।

समाचार 
06 अगस्त 2012 को न्यूज एक्सप्रेस पर प्रसारित

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