गलत बीमा पॉलिसी से बाहर निकलने के रास्ते

नई दिल्ली : एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करने वाले 29 वर्षीय धीरज सेठी उस समय संशय में पड़ गए, जब उन्हें इस साल अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम का भुगतान करना था। उनकी चिंता का कारण यह था कि उनके पास 3 इंश्योरेंस पॉलिसी थीं और 23,000 रुपये का भारी-भरकम प्रीमियम देने के बावजूद उन्हें केवल 3 लाख रुपए का इंश्योरेंस कवर ही मिल रहा था। सेठी का कहना है, 'इसके अलावा समस्या यह भी थी कि मैंने जो पुरानी पॉलिसी दे रखीं थी, उनसे मिलने वाला रिटर्न भी बहुत कम था।'

सेठी ऐसे अकेले व्यक्ति नहीं हैं, जिन्हें इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है। हममें से कई लोग ऐसे हैं, जिनके पास ढेर सारी बीमा पॉलिसी हैं, लेकिन जब उन पर मिलने वाले रिटर्न की बात आती है तो यह बहुत कम होता है। मुंबई के वित्तीय सलाहकार कार्तिक झवेरी का कहना है, 'परंपरागत बीमा पॉलिसी पर मिलने वाला रिटर्न 5-7 फीसदी के बीच होता है, जो कि महंगाई को मात देने में भी सक्षम नहीं होता है।'

ऐसे में सवाल उठता है कि अगर आप रिटर्न देने के मोर्चे पर नाकाम रहने वाली पॉलिसी के जाल में फंस गए हैं तो आपको क्या करना चाहिए? एक अच्छा विकल्प यह है कि इनसे मुक्ति पा ली जाए। चूंकि, लाइफ इंश्योरेंस एक लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट होते हैं तो ऐसे में अगर आप इनसे बाहर निकलते हैं तो आपकी किसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है? बिल्कुल नहीं। अगर आप पॉलिसी खरीदने के 15 दिन के भीतर इनसे बाहर निकलने का मन बनाते हैं तो आपको किसी तरह की परेशानी नहीं उठानी पड़ती है। इस अवधि को बीमा पॉलिसी का फ्री लुक पीरियड कहा जाता है और कुछ इंश्योरेंस कंपनियां इस अवधि को बढ़ाकर 30 दिन भी कर सकती हैं।

एचडीएफसी लाइफ के एग्जेक्युटिव वाइस प्रेजिडेंट और हेड (मार्केटिंग एंड डायरेक्ट चैनल्स) संजय त्रिपाठी का कहना है, 'सभी तरह की इंश्योरेंस पॉलिसी में ऐसी सहूलियत होती है, चाहे वह परंपरागत पॉलिसी हो या फिर यूनिट लिंक्ड। अगर आप किसी बीमा पॉलिसी की शर्तों को लेकर खुश नहीं हैं तो इंश्योरेंस कंपनी को पॉलिसी से जुड़ा दस्तावेज वापस कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में कंपनी अपने चार्ज की कटौती करके आपके द्वारा चुकाए जाने वाले प्रीमियम को वापस कर देती है।'

हालांकि, कई लोगों को इस बात का एहसास काफी देर से होता है कि उन्होंने गलत पॉलिसी खरीद ली हैं और उस समय तक बीमा पॉलिसी लौटाने का विकल्प भी खत्म हो चुका होता है। ऐसे लोगों के लिए अच्छी खबर यह है कि कुछ दूसरे विकल्प भी उनके काम आ सकते हैं, लेकिन इनकी सीमाएं हैं। ऐसे में कोई भी फैसला लेने से पहले आपको तमाम विकल्पों पर विचार करने की जरूरत है कि कौन सा विकल्प आपकी जरूरत पर खरा उतरेगा।

पॉलिसी लैप्स होने दें
अगर आप पॉलिसी लौटाने से जुड़े फ्री लुक पीरियड का फायदा नहीं उठा पाते हैं तो पॉलिसी से बाहर निकलने का अगला विकल्प इसके लैप्स होने से जुड़ा है। आप अग्रिम प्रीमियम का भुगतान रोककर पॉलिसी को लैप्स होने दे सकते हैं। हालांकि, इसमें आपको बदले में कुछ नहीं मिलता है। इसमें आपके द्वारा दिए गए प्रीमियम को जब्त कर लिया जाता है और लाइफ कवर भी खत्म हो जाता है।

पॉलिसी सरेंडर कर दें
पॉलिसी को खरीदने के तीन साल के बाद उसे सरेंडर किया जा सकता है। जैसे ही आप किसी पॉलिसी को सरेंडर करते हैं तो तुरंत प्रभाव से जीवन बीमा कवर समाप्त हो जाता है। टर्म प्लान के अलावा दूसरी सभी पॉलिसी में सरेंडर वैल्यू होती है जो कि पहले साल के बाद किए गए सभी प्रीमियम के 30-50 फीसदी के स्तर पर होती है। अगर आप किसी पॉलिसी पर सालाना 30,000 रुपये का प्रीमियम चुकाते हैं और पांचवें साल में आप उस पॉलिसी से बाहर निकलना चाहते हैं तो आपको करीब 42,000 रुपये की रकम मिलेगी।
साभार
30 Aug 2011, 1826 hrs IST, इकनॉमिक टाइम्स, प्रिया कपूर
http://hindi.economictimes.indiatimes.com/articleshow/9794571.cms

Comments