क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन को बनाएं सुरक्षित

मंदिरा साहनी को क्रेडिट कार्ड फर्जीवाड़े और आइडेंटिटी ब्योरा चोरी होने से जुड़ी घटनाओं की जानकारी है। वह इंटरनेट पर बिल का भुगतान करने, ट्रैवल रिजर्वेशन, फिल्म के टिकट बुक कराने और ऑनलाइन खरीदारी के लिए अपना क्रेडिट कार्ड खूब इस्तेमाल करती हैं।

पेट्रोल पंप और रेस्तरां में उनकी नजरों से दूर क्रेडिट कार्ड कई बार स्वाइप भी किया जा चुका है। उन्हें इस बात पर मुश्किल से यकीन होता है कि भुगतान करने के वक्त वह जो जानकारी मुहैया कराती हैं, उसका दुरुपयोग भी हो सकता है। वह चाहती हैं कि इस तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए वह पर्याप्त सुरक्षा उपाय करें। अब सवाल यह पैदा होता है कि वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मंदिरा को क्या-क्या उपाय करने चाहिए?

मंदिरा को ऑनलाइन खरीदारी करते वक्त अपनी गोपनीय जानकारी को सुरक्षित बनाए रखने के बारे में जागरूक होने की जरूरत है। उन्हें केवल ऐसे कंप्यूटर से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने चाहिए, जहां उनका पासवर्ड सुरक्षित हो। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इंटरनेट की सेटिंग्स की वजह से उनका व्यक्तिगत ब्योरा खुद ब खुद न भर जाए।

यह भी सलाह दी जाती है कि सार्वजनिक कंप्यूटर से क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन न करें। अगर उन्हें इसकी बेहद जरूरत हो, तो भी कीबोर्ड इस्तेमाल न किया जाए और वर्चुअल कीबोर्ड के जरिए इसका इस्तेमाल हो। उन्हें इस बारे में जांच-परख कर लेनी चाहिए कि वेबसाइट और भुगतान का मैकेनिज्म पूरी तरह सुरक्षित है या नहीं। यूआरएल की शुरुआत एचटीटीपी से होनी चाहिए और निचली तरफ बने टास्क बार में लॉक दिखना चाहिए।

उन्हें वीजा और मास्टरकार्ड की ओर से मुहैया कराई जाने वाली ऑनलाइन वेरिफिकेशन सुविधा का लाभ उठाना चाहिए, जो यूजर डिफाइंड पासवर्ड मांगकर इंटरनेट ट्रांजैक्शन को सुरक्षित बनाते हैं। उन्हें यह पता होना चाहिए कि उनका कार्ड नम्बर, एक्सपायरी डेट और कार्ड के पीछे दिए गए सीवीवी नम्बर का कॉम्बिनेशन इस तरह के ट्रांजैक्शन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

उन्हें वैलिडिटी डेट और सीवीवी नम्बर जैसी कार्ड पर दी गई जानकारी अलग से लिख लेनी चाहिए और कार्ड से इसे मिटा देना चाहिए। इससे अगर कोई मंदिरा के कार्ड तक पहुंच जाता है, तो भी उसका गलत इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। उन्हें अनधिकृत ट्रांजैक्शन रोकने के लिए अपनी मंथली स्टेटमेंट की जांच करने की आदत डालनी चाहिए और अगर कोई गड़बड़ होती है, तो इस बारे में बैंक को सूचना देनी चाहिए।

इसके अलावा बैंकों तथा क्रेडिट देने वाली अन्य संस्थाओं के पास एड्रेस अपडेट कराना जैसे कारक भी शामिल हैं। जब तक वह अपने ट्रांजैक्शन से जुड़ी जानकारी सुरक्षित रखेंगी, तब तक उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी।

निवेशकों के लिए ऑनलाइन ग्रीवांस रिड्रेसल
जिन लोगों ने पोस्ट ऑफिस सेविंग स्कीम, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र, पब्लिक प्रॉविडेंट फंड और सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम में निवेश किया है, उनके लिए उत्पादों, डिस्ट्रीब्यूशन या सेवाओं से जुड़ी कोई शिकायत दर्ज कराने के लिए सिंगल विंडो तैयार की गई है। ऐसे लोग कोई शिकायत होने पर उसे नेशनल सेविंग्स इंस्टीट्यूट की वेबसाइट पर दर्ज करा सकते हैं, जो आर्थिक मामलों के विभाग की ओर से बनाई गई है। इसका उद्देश्य सरकार की ओर से मुहैया कराई जाने वाली छोटी बचत योजनाओं के डिस्ट्रीब्यूशन को दुरुस्त बनाना है।

यह निवेशकों को ग्रीवांस रिड्रेसल मैकेनिज्म भी मुहैया कराता है। एक बार दर्ज होने के बाद शिकायत संबंधित क्षेत्रीय केंद्र के पास भेजी जा सकती है, जिससे उसका समाधान जल्द से जल्द मिल सकेगा।
साभार
19 Jul 2011, 1100 hrs IST, इकनॉमिक टाइम्स
http://hindi.economictimes.indiatimes.com/articleshow/9281719.cms

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