डीलिस्टिंग पर 'प्राइस' के झांसे में न आएं

स्टॉक एक्सचेंज से डीलिस्टिंग की तैयारी कर रहीं कंपनियां शेयरहोल्डरों को लुभाने के लिए गुमराह करने वाले तरीके आजमा रही हैं। अल्फा लवाल, यूटीवी सॉफ्टवेयर और कैरॉल इंफो सर्विसेज ने हाल ही में डीलिस्टिंग प्रक्रिया शुरू की है। तीनों ने इसकी घोषणा करते वक्त 'इंडिकेटिव प्राइस' या 'अट्रैक्टिव प्राइस' जैसे टर्म का इस्तेमाल किया। डीलिस्टिंग कानून में इस तरह के टर्म का जिक्र नहीं है।

वकीलों और इनवेस्टरों का कहना है कि इस तरह के टर्म शेयरहोल्डरों को उलझन में डाल सकते हैं। उनका कहना है कि डीलिस्ट हो रही कंपनी 'इंडिकेटिव प्राइस' मानने के लिए बाध्य नहीं है। बॉम्बे शेयरहोल्डर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अशोक बाकलीवाल ने सवाल किया, 'इंडिकेटिव प्राइस क्या होता है? अगर कंपनी इसे मानने के लिए मजबूर नहीं है तो इसका जिक्र क्यों किया जाना चाहिए?' उन्होंने कहा कि अगर कंपनी इंडिकेटिव प्राइस को सही मानती है, तो वह इसे एग्जिट प्राइस क्यों नहीं कहती।

सेबी के मुताबिक, जो कंपनी डीलिस्ट होना चाहती है उसे पब्लिक डॉक्यूमेंट में तीन कीमतों का जिक्र करना होता है। पहला फ्लोर प्राइस होता है। यह सबसे कम कीमत होती है, जिसे मानना कंपनी के लिए जरूरी होता है। उसके बाद 'डिस्कवर्ड प्राइस' है। कंपनी को जिस कीमत पर सबसे ज्यादा शेयर बेचने की पेशकश मिलती है, उसे 'डिस्कवर्ड प्राइस' कहते हैं। उसके बाद 'एग्जिट प्राइस', जो कंपनी शेयरहोल्डर को डीलिस्टिंग के लिए देती है।

दिल्ली के कॉरपोरेट कंसल्टेंसी ग्रुप कॉरपोरेट प्रोफेशनल्स के मैनेजिंग डायरेक्टर पवन कुमार विजय ने कहा, 'इंडिकेटिव प्राइस के चलते शेयरहोल्डर उसी कीमत पर अपने शेयर बेचने की पेशकश कर सकता है।' कंपनियां 'इंडिकेटिव प्राइस' के जरिए यह संदेश देती हैं कि वह शेयर की उतनी कीमत दे सकती हैं। विजय ने कहा कि यह कानूनन सही नहीं है क्योंकि कंपनी वह कीमत चुकाने के लिए बाध्य नहीं है।

तीनों कंपनियों का 'फ्लोर प्राइस' उनके 'इंडिकेटिव प्राइस' से काफी कम है। अल्फा लवाल ने 2,045 रुपए के फ्लोर प्राइस की पेशकश की है। वहीं, उसने हाल ही में 'इंडिकेटिव प्राइस' को बढ़ाकर 2,850 रुपए कर दिया है। कैरॉल ने 106 रुपए के 'फ्लोर प्राइस' की पेशकश की है, जबकि 'इंडिकेटिव प्राइस' 160 रुपए है। यूटीवी ने 835 रुपए का 'फ्लोर प्राइस' तय किया है। हालांकि, वह यह कह चुकी है कि कंपनी 1,000 रुपए के 'अट्रैक्टिव प्राइस' पर डीलिस्टिंग ऑफर ला सकती है। इस मामले में सेबी ने ईटी के सवालों के जवाब नहीं दिए। यूटीवी के ऑफर की लीड मैनेजर मॉर्गन स्टैनली ने भी टिप्पणी से मना कर दिया।
साभार
17 Jan 2012, 0352 hrs IST, ईटी, अपूर्व गुप्ता।। मुंबई
http://hindi.economictimes.indiatimes.com/articleshow/11525119.cms

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