एक तरफ मुंबई में सीएनजी के भाव बढ़ने पर रिक्शा-टैक्सी के मीटर बढ़ा कर आम जनता की जेब पर डाका डालने की बातें कही जा रही हैं, लेकिन सच तो यह है कि इसे डाका नहीं कह सकते हैं। यह तो थोड़ी सी छीनाझपटी भर है। असल में ऑटो रिक्शा मालिक और चालक कुछ अलग ही तरीके से जनता की जेब काट रहे हैं। टैक्सी-रिक्शों के मीटर जिस तरह जंप होते, याने काफी तेज चलते हैं, उससे यात्रियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह ऐसा घोटाला है, जिसमें हर दिन आम जनता की जेब पर डाका डाला जा रहा है।
मुंबई में कुल पंजीकृत 1,15,545 रिक्शा और 48,559 टैक्सी हैं।
इनमें लगभग सबके मीटर कम से कम 1 और अधिकतम 4 यूनिट तक जंप होते हैं। मान लें कि औसतन
प्रति रिक्शा या टैक्सी 2 यूनिट जंप होते हैं याने रिक्शा-टैक्सी एक मील (1.64 किलोमीटर)
मीटर में चला दिखे तो इसका मतलब है कि असल में 0.8 किलोमीटर ही चला है।
टैक्सी-रिक्शा में मीटर वेटिंग में भी काफी तेज चलते हैं। आरटीओ
की तय वेटिंग समय सीमा 2 मिनट प्रति यूनिट है। जिन रिक्शों-टैक्सी के मीटर जंप होते
हैं, उनमें वेटिंग भी 1
मिनट या 45 सेकेंड प्रति यूनिट हैं। इससे भी यात्रियों को भारी नुकसान है। यदि कोई
इसकी शिकायत रिक्शा या टैक्सी चालकों से करे तो वे झगड़े पर उतारू हो जाते हैं।
इस चक्कर में ही दरअसल मुंबई के रिक्शा-टैक्सी चालक विरोध कर
रहे हैं कि वे इलेक्ट्रॉनिक मीटर नहीं लगाना चाहते हैं। महाराष्ट्र सरकार चाहती है
कि इलेक्ट्रॉनिक मीटर तमाम रिक्शा और टैक्सी में लगें लेकिन यूनियनें इसका तगड़ा विरोध
कर रही हैं।
इस घोटाले के अर्थशास्त्र और गंभीरता को इन आंकड़ों से समझ सकते
हैं -
मुंबई में कुल रिक्शों की संख्या – 1,15, 545
मुंबई में अवैध रूप से चल रहे रिक्शों की संख्या – 35,000
कुल रिक्शा मुंबई में – 1,50,545
मान लें कि प्रतिदिन किसी कारणवश 10 फीसदी याने 15,054 रिक्शे
सड़क पर नहीं उतरते हैं।
औसत आमदनी प्रति रिक्शा प्रतिदिन – 500 रुपए
2 यूनिट के हिसाब से जंप होने पर प्रति रिक्शा प्रतिदिन अतिरिक्त
कमाई या घोटाला – 100 रुपए
100 रुपए गुणा 1,35,491 लाख रिक्शे याने कुल 1,35,49,100 रुपए
प्रति दिन का घोटाला
1,35,49,100 रुपए गुणा 365 दिन कुल 4,95,54,21,500 रुपए प्रति
दिन का घोटाला
चूंकि रिक्शे दो पालियों में चलते हैं इसलिए इस रकम को दुगुना
किया जाए तो
2 गुणा 4,94,54,21,500 करोड़ रुपए के हिसाब से कुल
9,89,08,43,000 करोड़ रुपए प्रति साल का घोटाला
मुंबई में कुल टैक्सी की संख्या – 48,559
मुंबई में अवैध रूप से चल रही टैक्सियों की संख्या – 10,000
कुल टैक्सी मुंबई में – 58,559
मान लें कि प्रतिदिन किसी कारण 10 फीसदी याने 5,855 टैक्सी सड़कों
पर नहीं उतरती हैं।
औसत आमदनी प्रति टैक्सी प्रतिदिन - 800 रुपए
2 यूनिट के हिसाब से जंप होने पर प्रति टैक्सी प्रतिदिन अतिरिक्त
कमाई या घोटाला – 160 रुपए
160 रुपए गुणा 52,704 हजार टैक्सी याने कुल 84,32,640 रुपए प्रति
दिन का घोटाला
84,32,640 रुपए गुणा 365 दिन याने कुल 3,07,79,13,600 रुपए प्रति
दिन का घोटाला
चूंकि टैक्सी दो पालियों में चलती हैं इसलिए इस रकम को दुगुना
किया जाए तो
2 गुणा 3,07,79,13,600 रुपए के हिसाब से कुल
6,15,58,27,200 रुपए प्रति साल का घोटाला
इस तरह रिक्शे और टैक्सी हर साल मुंबईवासियों की जेब
से कुल मिला कर 16,04,66,70,200 करोड़ रुपए की चोरी करते हैं लेकिन इस पर किसी की नजर
नहीं जाती है।
इस खेल में न केवल टैक्सी और रिक्शा चालक व मालिक शामिल हैं
बल्कि अधिकृत मीटर मरम्मत करने वाले मैकेनिक भी मिले हैं। आरटीओ अधिकारियों ने भी इस
पर आंख मूंद रखी हैं। कुछ रिक्शा चालक खुलेआम कहते हैं कि आरटीओ को हफ्ता देकर ही वे
यह करते हैं। उनकी मर्जी के बिना तो ऐसा संभव ही नहीं है। रिक्शा व टैक्सी यूनियनें
भी इससे आंख मूंदे हैं क्योंकि मीटर रिगिंग का विरोध करने पर उनके सदस्यों की संख्या
पर भारी असर पड़ेगा और उनके लिए न केवल यूनियन चलाना भारी हो जाएगा बल्कि यूनियन की
दुकानदारी और रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा।
आरटीओ, यातायात पुलिस और नाप-तौल
विभाग अधिकारियों को जिस तरह औचक परीक्षण कर जंप मीटरों वाले रिक्शा-टैक्सी चालकों
और मालिकों की धरपकड़ करनी चाहिए, वह नहीं होती है, इसलिए पूरी मुंबई (ठाणे, कल्याण, वसई, भिवंडी, नवी मुंबई, मीरा भायंदर भी) में टैक्सी और रिक्शों के बढ़े हुए मीटर
चल रहे हैं।
मुंबई के उपनगरों में अवैध शेयर रिक्शा चल रहे हैं, जिससे कई इलाकों में स्टेशन से जाने के लिए रिक्शा चालक
तैयार ही नहीं होते हैं। पुलिस अधिकारी खुद खड़े होकर इन अवैध शेयर रिक्शा चालकों के
लिए यात्रियों की लाईन लगवाते हैं और पूरे इलाके में इस अवैध गतिविधि को बढ़ावा देते
हैं। इस पर तुरंत या तो रोक लगाएं, या इस व्यवस्था को अधिकृत
करें। उदाहरण के रूप में कुछ इलाके यहां बताए जा रहे हैं -
1.
बांद्रा (पू) स्टेशन से बीकेसी, जवाहर नगर, गवर्नमेंट कालोनी इत्यादि
2.
बांद्रा (प) स्टेशन से पाली मार्केट
3.
अंधेरी (पू) स्टेशन से सहार गांव, आईटीसी होटल,
चकाला, मेघवाड़ी, एमआईडीसी इत्यादि
4.
जोगेश्वरी (पू) स्टेशन से बांद्रा प्लॉट, मेघवाड़ी, सर्वोदय नगर इत्यादि
5.
जोगेश्वरी (प) स्टेशन से बेहराम बाग, ओशिवारा, लोखंडवाला इत्यादि
6.
मालाड (पू) स्टेशन से अप्पापाड़ा, पठानवाड़ी, संतोषनगर इत्यादि
7.
कांदिवली (पू) स्टेशन से ठाकुर कांप्लेक्स, ठाकुर विलेज इत्यादि
8.
बोरीवली (पू) स्टेशन से दहिसर चेकनाका इत्यादि
हमारा सुझाव है कि यदि आरटीओ इस तरह काम करे तो यह
लूट रुक सकती है।
1. आरटीओ का एक कॉल सेंटर बने। यह पुलिस के 100 और दमकल
विभाग के 101 जैसा हो। टैक्सी-रिक्शा गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर 24 घंटे एक फ्लाइंग
स्क्वाड मौके पर पहुंच कर कार्रवाई करे।
2. हर आरटीओ के खास दस्ते सड़कों पर चलते रिक्शा व टैक्सी
मीटरों की मौके पर रोक कर जांच करें। मीटर में गड़बड़ी मिलने पर वहीं मामला दर्ज करें।
रिक्शा-टैक्सी तुरंत जब्त करें और टैक्सी चालक को ही नहीं बल्कि मालिक को भी दंडित
करें।
3. पहली बार मीटर में गड़बड़ी मिलने पर कम से कम 25 हजार
रुपए का जुर्माना चालक व मालिक पर लगे। दूसरी बार गड़बड़ी मिले तो जुर्माना 50 हजार रुपए, तीसरी बार चालक व मालिक के लाईसेंस व परमिट तुरंत रद्द
कर काली सूची में डालें।
4. यदि यात्री द्वारा शिकायत आए तो रिक्शा-टैक्सी चालक
या मालिक को बिना सूचना दिए, सादे कपड़ों में दस्ता
वाहन जब्त करे, फिर मीटर की जांच करे।
5. मीटरों की मरम्मत करने वालों को अपराध में दोषी मान
कर उन पर भी भारी जुर्माना हो। तीन बार से अधिक गड़बड़ी में शामिल मीटर मैकेनिक का लाईसेंस
सदा के लिए रद्द हो।
6.
मीटरों की जांच के वक्त मुंबई के गैर सरकारी संगठनों
के पदाधिकारियों और सदस्यों को साथ रखा जाए।
विवेक अग्रवाल
विवेक अग्रवाल
सही कह रहे हैं सर जी, गत ११ अक्तूबर को ही मैने स्वयम् गोरेगाव ईस्ट से अंधेरी ईस्ट शालीमार मोरया पार्क तक रूपी १२४-०० दिए है.. जबकि रोजाना वालों का कहना था की ६५-०० से ८५-०० तक लगना चाहिए था..
ReplyDeleteसही आँकड़ों के साथ सही प्रस्तुति..