नई दिल्ली।। भारतीय कार कंपनियां मार्केट में अपनी मजबूत स्थिति का गलत फायदा उठाकर कंज्यूमर्स से मनमाना पैसा वसूल रही हैं। देश के कॉम्पिटिशन रेग्युलेटर ने यह बात कही है। कॉम्पिटिशन कमिशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) की एक साल की जांच में यह बात सामने आई है। इकनॉमिक टाइम्स को मिली जानकारी के मुताबिक, सीसीआई ने करीब हर कार कंपनी को ऐंटि-कॉम्पिटिटिव हरकतों का दोषी ठहराया है। उसका कहना है कि कार कंपनियों ने कस्टमर्स के साथ धोखाधड़ी कर मुनाफा बढ़ाया।
कॉम्पिटिशन रेग्युलेटर की रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि कंपनियों ने गाड़ियों की रिपेयरिंग और सर्विस के लिए कस्टमर्स को कंपनी के डीलर के पास जाने को भी मजबूर किया। कार कंपनियों ने ओपन मार्केट में कंपोनेंट्स की ऑल्टरनेटिव सप्लाई नहीं होने दी, जिससे कस्टमर्स के लिए ऑप्शंस कम हुए।
रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनियों की इन हरकतों से मार्केट में इंडिपेंडेंट कंपोनेंट्स आउटलेट के लिए कॉम्पिटिशन की गुंजाइश ही नहीं बची। कार कंपनियों ने कंपोनेंट, डायग्नोस्टिक टूल और टेक्निकल मैनुअल को सिर्फ एक्सक्लूसिव डीलर्स तक रखा। ऐसे में ये डीलर कस्टमर्स की सर्विस रिक्वायरमेंट के लिए अकेले विकल्प बचे। इन कंपनियों ने न सिर्फ कस्टमर्स के लिए ऑप्शंस कम किए बल्कि उन डीलरों के साथ सख्ती भी की, जिन्होंने इन कंपनियों से अलग होकर काम करने की कोशिश की। कुछ समय पहले मारुति सुजुकी तब नाराज हो गई, जब चंडीगढ़ में उसके डीलर जोशी ऑटोजोन ने मर्सिडीज बेंज की डीलरशिप लेने की कोशिश की।
सीसीआई पहले ही सीमेंट और टायर कंपनियों को अनफेयर मार्केट प्रैक्टिस का दोषी ठहरा चुका है। अब कमिशन ने कार कंपनियों को एक्सक्लूसिव डीलर्स से कंपोनेंट्स खरीदने के लिए कस्टमर्स को मजबूर करने का दोषी बताया है। सीसीआई की पड़ताल में पता चला है कि कार स्पेयर पार्ट्स में 1000 फीसदी तक का मार्जिन है। यह इंपोर्टेड आइटम्स में ज्यादा है। कमिशन ने कॉम्पिटिशन ऐक्ट की धारा 3(4) (डी) का हवाला देते हुए कहा है, 'एग्रीमेंट में ऐसे क्लॉज हैं, जिनमें डीलरों को कंपोनेंट सिर्फ ओईएम और उनके वेंडर्स से लेने की बात कही गई है।'
सीसीआई ने इस बारे में यूरोप और अमेरिका जैसे मार्केट्स में बदलते ट्रेंड का भी जिक्र किया। कमिशन के मुताबिक, इन देशों में कस्टमर सर्विस के नए नॉर्म्स के तहत इंडिपेंडेंट मोटर बिजनेस की इजाजत दी जाती है। वहीं, भारत में इस ट्रेंड की अब तक शुरुआत नहीं हुई है। इन देशों में कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को टेक्निकल डाटा और रिपेयर से जुड़े निर्देश बताने की जरूरत होती है, ताकि मालिकों को सर्विस या रिपेयर के लिए सिर्फ ऑथराइज्ड डीलर के पास जाने की मजबूरी न हो।
साभार:
चंचल पाल चौहान, इकनॉमिक टाइम्स | Oct 1, 2012, 08.29AM IST
http://navbharattimes.indiatimes.com/carmakers-under-cci-lens-for-servicing-foul-play/articleshow/16621863.cms
कॉम्पिटिशन रेग्युलेटर की रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि कंपनियों ने गाड़ियों की रिपेयरिंग और सर्विस के लिए कस्टमर्स को कंपनी के डीलर के पास जाने को भी मजबूर किया। कार कंपनियों ने ओपन मार्केट में कंपोनेंट्स की ऑल्टरनेटिव सप्लाई नहीं होने दी, जिससे कस्टमर्स के लिए ऑप्शंस कम हुए।
रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनियों की इन हरकतों से मार्केट में इंडिपेंडेंट कंपोनेंट्स आउटलेट के लिए कॉम्पिटिशन की गुंजाइश ही नहीं बची। कार कंपनियों ने कंपोनेंट, डायग्नोस्टिक टूल और टेक्निकल मैनुअल को सिर्फ एक्सक्लूसिव डीलर्स तक रखा। ऐसे में ये डीलर कस्टमर्स की सर्विस रिक्वायरमेंट के लिए अकेले विकल्प बचे। इन कंपनियों ने न सिर्फ कस्टमर्स के लिए ऑप्शंस कम किए बल्कि उन डीलरों के साथ सख्ती भी की, जिन्होंने इन कंपनियों से अलग होकर काम करने की कोशिश की। कुछ समय पहले मारुति सुजुकी तब नाराज हो गई, जब चंडीगढ़ में उसके डीलर जोशी ऑटोजोन ने मर्सिडीज बेंज की डीलरशिप लेने की कोशिश की।
सीसीआई पहले ही सीमेंट और टायर कंपनियों को अनफेयर मार्केट प्रैक्टिस का दोषी ठहरा चुका है। अब कमिशन ने कार कंपनियों को एक्सक्लूसिव डीलर्स से कंपोनेंट्स खरीदने के लिए कस्टमर्स को मजबूर करने का दोषी बताया है। सीसीआई की पड़ताल में पता चला है कि कार स्पेयर पार्ट्स में 1000 फीसदी तक का मार्जिन है। यह इंपोर्टेड आइटम्स में ज्यादा है। कमिशन ने कॉम्पिटिशन ऐक्ट की धारा 3(4) (डी) का हवाला देते हुए कहा है, 'एग्रीमेंट में ऐसे क्लॉज हैं, जिनमें डीलरों को कंपोनेंट सिर्फ ओईएम और उनके वेंडर्स से लेने की बात कही गई है।'
सीसीआई ने इस बारे में यूरोप और अमेरिका जैसे मार्केट्स में बदलते ट्रेंड का भी जिक्र किया। कमिशन के मुताबिक, इन देशों में कस्टमर सर्विस के नए नॉर्म्स के तहत इंडिपेंडेंट मोटर बिजनेस की इजाजत दी जाती है। वहीं, भारत में इस ट्रेंड की अब तक शुरुआत नहीं हुई है। इन देशों में कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को टेक्निकल डाटा और रिपेयर से जुड़े निर्देश बताने की जरूरत होती है, ताकि मालिकों को सर्विस या रिपेयर के लिए सिर्फ ऑथराइज्ड डीलर के पास जाने की मजबूरी न हो।
साभार:
चंचल पाल चौहान, इकनॉमिक टाइम्स | Oct 1, 2012, 08.29AM IST
http://navbharattimes.indiatimes.com/carmakers-under-cci-lens-for-servicing-foul-play/articleshow/16621863.cms
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