डी-कंपनी का नया ठिकाना कीनिया

देश के सबसे खतरनाक माफिया डॉन और भगोड़े आतंकवादियों की सूची में सबसे ऊपर नाम रखने वाले पाक खुफिया एजंसी आईएसआई की शरण में भारत भर में आतंक का जाल बुनने और आपराधिक संगठन चलाने वाले दाऊद इब्राहिम कासकर के गिरोह डी-कंपनी ने अब अपना नया ठिकाना एक अफ्रिकी देश कीनिया को बनाया है। सन् 1985 में मुंबई से भाग कर दुबई से आपराधिक गतिविधियां कर रहा दाऊद, 1993 में 12 मार्च के बम धमाकों के ठीक पहले दुबई से कराची जा पहुंचा था। और तबसे ही वहां रहते हुए पूरे विश्व में आपराधिक सल्तनत का संचालन करता आ रहा है।


दाऊद के बारे में यह आम है कि दक्षिण अफ्रीका में उसने कई किस्म के कारोबार खड़े कर लिए हैं, जिनमें तेलकूप, सोने की खदानें, नशा कारोबार और छोटे हथियारों की आपूर्ती आपराधिक गिरोहों को करना है। दक्षिण अफ्रिका से मादक पदार्थों की तस्करी की जानकारी तो विश्व के कई खुफिया और जांच संगठनों द्वारा दी जाती रही है। भारतीय खुफिया व जांच एजंसियों और इंटरपोल की तेजी से बढ़ती कार्रवाइयों के मद्देनज़र डी-कंपनी ने नया ठिकाना कीनिया को बनाया है।

नशे का कारोबार
सब जानते हैं कि गिरोह सरगना दाऊद इब्राहिम पाक-अफगान फ्रंटियर से ही पठान गिरोह से सबसे अच्छी किस्म के नशीले पदार्थ खरीदता है और उनकी तस्करी पूरी दुनिया में करवाता है। चूंकि उस पट्टी पर अमरीकी सेनाओं का दबाव तो बढ़ा ही है, सीआईए और एफबीआई की खास तौर पर इन इलाकों पर नजर रहने और दबाव बढ़ने के कारण वहां से मादक पदार्थों की तस्करी में आऩे वाली अड़चनों के चलते उसने एक नया फ्रंट खोला है। अब दाऊद के सिपहसालारों ने कुछ अफ्रिकी देशों से भी मादक पदार्थों की तस्करी करना शुरू की है। ये देश किसी भी कीमत पर पैसे कमाने को तवज्जो देते हैं, जिसके चलते वहां विदेशी खुफिया व जांच एजंसियों तथा इंटरपोल के लिए काम करना मुश्किल होता है। यही कारण है कि कीनिया भी उनके लिए एक सुरक्षित ठिकाना बन चला है। पूर्व आईपीएस अधिकारी वायपी सिंह कहते हैं कि इस तरह से वह अपने लिए एक अच्छा बचाव का स्थान खोज पाया है। इन देशों में उसे ही नहीं बल्कि अन्य अपराधियों को भी अच्छा समर्थन मिलता है, लिहाजा वे बेधड़क तमाम गतिविधियां वहां से संचालित कर पाते हैं।

अपराध शाखा सूत्रों के मुताबिक नूरा इब्राहिम की रहमान डकैत द्वारा कराची में हत्या करने के बाद दाऊद के लिए खासी परेशानियां खड़ी होने लगी थीं। उसका नशे और हवाला का सारा कामकाज ध्वस्त होने लगा था। उसके बाद दाऊद के भाई अनीस और उसके खास साथी छोटा शकील ने कीनिया में वैध और अवैध अधिकृत रूप से व्यापार करने की व्यवस्था की है।

वैध कारोबार की आड़ में डी-कंपनी का नशे का धंधा और उससे जुड़े लेन-देन के साथ ही हफ्तावसूली का कारोबार भी चलाया जा रहा है। पता चला है कि कीनिया से वैध कारोबार के नाम पर यूरोप, अमेरिका समेत कई अफ्रिकी देशों में भी मादक पदार्थों की तस्करी की जा रही है। अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘हमें यह तो पता है कि शकील और अनीस लगातार कीनिया जा रहे हैं लेकिन उनके बारे में यह पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है कि उनके नकली पासपोर्ट फिलहाल किस नाम से हैं। एक बार यह जानकारी हाथ में आते ही, उऩ्हें बजरिए इंटरपोल हम गिरफ्तार करवाने की कोशिश करेंगे। इन दोनों में से एक भी हमारे हाथ आ गया तो यह तय है कि डी-कंपनी का पूरा किला ही हम ध्वस्त कर देंगे।’

खाड़ी देशों से पलायन
पता चला है कि दाऊद का भाई अनीस और गिरोह का सेनापति छोटा शकील इन दिनों अपना अधिकांश समय कीनिया में ही बिता रहे हैं। वे यहीं फर्जी नामों और पाक पासपोर्ट पर आते-जाते हैं। वे दोनों यहां से एशियाई देशों में आपराधिक गतिविधियाँ चला रहे हैं। मुंबई अपराध शाखा सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ महिनों से इंटरपोल और भारतीय खुफिया एजेंसियों के बढ़ते दबाव के चलते खाड़ी  देशों में डी-कंपनी ने गतिविधियाँ कम कर दी हैं। वहां से न केवल हवाला, क्रिकेट मैंच फिक्सिंग और सट्टेबाजी, मनी लॉडरिंग जैसे कई काम करवाने बंद कर दिए हैं। हफ्तावसूली के लिए भी पहले यहां से वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए भी धमकियां दी जा रही थीं, जिसे अब वहां से बंद कर कीनिया से किया जा रहा है।

बता दें कि मुंबई के कई नामचीन बिल्डरों और बड़े कारोबारियों को दुबई से इंटरनेट कॉलिंग और इंटरनेट कॉन्फ्रेंसिंग से वसूली के लिए धमकाया जा रहा था। मार्च 2012 में दुबई से कुछ बिल्डरों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से छोटा शकीन ने मोटी रकम मांगी थी। रकम न देने पर हत्या करने की धमकियां दी थीं। इसकी सूचना खुफिया ब्यूरो ने मुंबई पुलिस को दी थी, जिस पर कार्रवाई करते हुए एटीएस मुंबई ने एक नामी बिल्डर समेत कई अन्य बिल्डरों के बयान दर्ज किए थे। लेकिन उसके बाद पुलिस सूत्रों के मुताबिक अब धमकी भरे फोन कॉल कीनिया से आऩे लगे हैं। इसके अलावा कीनिया से इंटरनेट कॉलिंग और सेटेलाइट फोन के जरिए डी-कंपनी मुंबई में मौजूद अपने गुर्गों से संपर्क में बनी हुई है। वायपी सिंह का मानना है कि वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए बिल्डरों से संपर्क करने का एक बड़ा फायदा यही है कि ये देश किसी और राष्ट्र को किसी आतंकी या अपराधी की गिरफ्तारी में मदद नहीं करते हैं। वे यह नहीं बताते हैं कि वीडियो कॉफ्रेंसिंग किस आईपी एड्रेस से की गई थी, जिसका सीधा फायदा अपराधियों या आतंकियों को मिलता है। यह कारण काफी है, दाऊद गिरोह के लिए कीनिया से कामकाज करने का।

अफ्रिकी देश के दूतावास पर दाऊद की पकड़
अपराध जगत सूत्रों के मुताबिक एक छोटे अफ्रिकी देश के दूतावास में डी-कंपनी की मजबूत पकड़ के कारण ही पूरा का पूरा गिरोह बड़े मजे से काली दुनिया के काले कारोबार आसानी से किए जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि अमेरिकी गुप्तचर संगठन सीआईए के एजंट डी-कंपनी की हर हरकत पर निगाहें जमाए हुए है। मुंबई पुलिस के आला अधिकारी भले ही कीनिया से चल रहे इस काले कारोबार की अधिकृत पुष्टि नहीं करते हैं लेकिन वे ये जरूर कहते हैं कि यह जानकारी पुख्ता है औऱ गिरोह की कराची व इस्लामाबाद से गतिविधियों में खासी कमी आई है। वे कहते हैं कि पाकिस्तान में लगातार दाऊद के लिए समस्याएं न केवल बढ़ती जा रही हैं बल्कि वह खुद भी खासी तकलीफ महसूस करने लगा है क्योंकि वहां के राजनीतिक और सुरक्षा के लिहाज से हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं। यहां कारोबार करना भी न केवल असुरक्षित होता जा रहा है बल्कि देश – विदेश की तमाम खुफिया एजंसियों की निगरानी इतनी बढ़ चुकि है कि लोगों से संपर्क करने में भी परेशानी आऩे लगी है।
विवेक अग्रवाल, मुंबई
22 दिसंबर 2012 के साप्ताहिक हमवतन में प्रकाशित

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