मोदी की फतह में आँगड़िया बंद का हाथ


गुजरात विधानसभा चुनावों में एक और कमाल नरेंद्र मोदी ने किया था। और वह बड़ा ही खतरनाक खेल साबित हुआ, जिसके कारण तमाम विरोधियों को उन्होंने धूल चटा दी। तीसरी जीत हासिल करने के लिए नरेंद्र मोदी ने एक ऐसा पासा फेंका कि तमाम राजनेता धूल चाटते नजर आए। गुजरात के लिए हीरों और नकद रकम लाने – ले जाने वाली आँगड़िया (हवाला) व्यवस्था पूरी तरह से ठप्प कर देना मोदी की फतह में बड़ा सहयोग कर गई। इसके कारण तमाम विरोधी नेताओं को पैसों की भारी किल्लत ऐन चुनावों के पहले ही हो गई। भारतीय जनता पार्टी के लिए तो पैसों की व्यवस्था निर्बाध होती रही लेकिन मुंबई और आसपास के इलाकों से आंगड़िया द्वारा बड़ी रकमें आसानी से भेजना संभव न रहा। 

 गुजरात में विधानसभा चुनावों के चलते जहाँ एक ओर निर्वाचन आयोग ने काले धन की चुनाव में घुसपैठ रोकने के लिए कड़े कदम उठाए थे, वहीं मोदी सरकार ने काले धन का विपक्षियों द्वारा इस्तेमाल करन से रोकने के लिए मुंबई व गुजरात के बीच काले धन का प्रवाह बिल्कुल ही ठप्प कर दिया था। गुजरात में सक्रिय आँगडिया कारोबार पूरी तरह बंद हो गया। मोदी के ही डर से मुंबई के आँगड़ियों ने गुजरात का हवाला लिया ही नहीं, जिसकी वज़ह से पूरा हीरा बाजार, कपड़ा बाजार और जौहरी बाज़ार के कारोबार व्यापार पर भी व्यापक असर बना रहा।

मुंबई के उपनगर मालाड के हीरा बाज़ार में इस दौरान लगभग 90 फीसदी कारोबार में गिरावट देखने में आई। अनुभवी हीरा व्यापारी बताते हैं कि हीरा बाज़ार का अधिकांश कारोबार सुरक्षा के लिहाज से आँगडिया के हवाला कारोबार से ही होता है। मुंबई से सूरत, बडौदा, अहमदाबाद, नवसारी जैसे शहरों के लिए आँगडिया से तकरीबन 35 करोड़ रुपयों से अधिक की नकदी आती-जाती है। एक हीरा कारोबारी वजू भाई बताते हैं कि आंगड़िया कारोबार बंद कर देने भर से हमारे लिए मुसीबत खड़ी हो गई। अधिक कमीशन देने पर भी कोई आंगड़िया खतरा उठाने के लिए तैयार नहीं है। हीरा कारोबारी पीरा भाई कहते हैं कि गुजरात के लिए पैसे भेजना उन दिनों खतरे से खाली न था। सभी आंगड़िया ने काम ही बंद कर रखा था। अब ये लफड़ा उठ गया है, हमारा काम चालू हो गया है। अब जाकर कारोबार फिर पटरी पर आने लगा है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने  नाम न छापने की शर्त पर बताया कि गुजरात के हर चुनाव से पहले मुंबई से ही काला धन गुजरात भेजा जाता है। यह काला पैसा ही चुनाव प्रभावित करता है क्योंकि यह झोपड़पट्टियों और थोक वोट बैंक की खरीद-फरोख्त में इस्तेमाल होता है। साड़ी, शराब, कंबल जैसे सामान बांटने के लिए भी यही धन इस्तेमाल होता है। इस बार मुंबई के आंगड़िया कारोबार के बंद रहने के कारण गुजरात चुनावों में भी रकम कम जाने की जानकारी हमें मिली है। उनके मुताबिक इस साल तो दीपावली के बाद से ही गुजरात के  आँगडिया कारोबारियों को गुजरात पुलिस ने कड़ाई से बंद करते हुए चेतावनी जारी कर दी थी कि किसी ने भी हुक्मउदूली की तो उसे अच्छा सबक सीखाया जाएगा।

अशोक शाह नामक हीरा व्यापारी कहते हैं कुछ आंगड़ियों के पैसों की जब्ती भी गुजरात के कुछ इलाकों में होने के बाद तो सभी परेशान हो गए और उन्होंने किसी से भी हवाला लेना बंद कर दिया था। गुजरात चुनाव परिणाम घोषित होन  के अगले दिन से ही आँगडिया कारोबार फिर चल पड़ा है। इसके चलते हिरा, सोना-चंदी, जौहरी और कपड़ा बाजार में फिर रौनक लौट आई है।
विवेक अग्रवाल, मुंबई
23 दिसंबर 2012

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