चमकीले सोने की कालिख - सोना तस्करों की चांदी

सोना कितना सोना है... अब इस गाने के दिन लद गए लगते हैं। अब तो सोना कितना मंहगा है - गाने के दिन आ गए हैं। सोने के मंहगे होने से एक तरफ जहां कारोबारियों की बांछें खिल गई हैं, वहीं तस्करों के लिए भी फिर भारत में मोटी कमाई का मौका आ गया है। जबसे सरकार ने सोने पर टैक्स लादे हैं, जबसे यह मंहगा हुआ है, सोने की तस्करी में खासा उछाल देखा जा रहा है। इस सिलसिले के परत दर परत पड़ताल कर रहे हैं विवेक अग्रवाल।

मुंबई में 3 सोना तस्कर गिरफ्तार
2 मार्च 2012 को रेडियम पाउडर, हीरे व सोने की चेन तस्करी के आरोप में तीन भारतीय यात्रियों को मुंबई हवाईअड्डे पर गिरफ्तार कर कुल 62.82 लाख रुपये कीमत का सामान बरामद किया। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर महेश मंडलिया को रात में शारजाह से आने के बाद रोका और तलाशी में तस्करी का सामान मिला था। मंडलिया के मुताबिक उसके दो सहयोगियों के नाम अरुण मंडलिया और लालजी भाई हैं, जिन्हें उसकी निशानदेही पर बाद में गिरफ्तार किया।

लखनऊ में 5.6 किलो सोना जब्त
7 सितंबर 2012 को 3 करोड़ रुपए का 5.6 किलोग्राम सोना और हीरे जड़े जेवरात लाने वाले कैरियर मो. अफरहीम उर्फ हप्पू (गांव घटकर, कर्नाटक निवासी) को फ्लाई दुबई की उड़ान सीजेड 433 से सुबह 9:30 बजे दुबई से अमौसी हवाई अड्डे (लखनऊ) पहुंचने पर कस्टम्स ने पकड़ा। उसका पासपोर्ट 1996 में हैदराबाद के मायानगर के पते का है। वह हैदराबाद तस्करी का माल लाता था लेकिन वहां सख्ती बढ़ने पर लखनऊ आने लगा। यहां से दूसरी उड़ान से मुंबई जाता था। कस्टम सूत्रों के मुताबिक हप्पू को दुबई की विमानसेवाकर्मियों व भारतीय एयरपोर्ट अधिकारियों की मिलीभगत से तस्करी का माल बाहर ले जाने में मदद मिलती है। दुबई में बिना जांच आसानी से विमान तक पहुंचाने के लिए भी उसके मोहरे फिट हैं। अफ्फू नवंबर और दिसंबर 2011 में भी 15 किलो सोना लखनऊ लाया था। वह 30 बार दुबई से सोना ला चुका है।

जयपुर में ढाई किलो सोना पकड़ा
09 अगस्त 2012 को जयपुर के संगनेर एयरपोर्ट से कस्टम्स ने सैयद अल्ताफ नामक यात्री को 2.5 किलो सोने के साथ पकड़ा। सैयद ओमान एयरवेज में दुबई से जयपुर आया था। वह कर्नाटक निवासी है और तस्करों का कैरियर है।

अमरकंटक एक्सप्रेस में सोने की तस्करी 
02 सितंबर 2012 को अमरकंटक एक्सप्रेस में सोना तस्करी होती है। एक कैरियर का 25 लाख रुपए के सोने से भरा सूटकेस अमरकंटक एक्सप्रेस के एसी टू टायर में बिलासपुर से जबलपुर जाते समय चोरों ने साफ कर दिया। सूटकेस बर्थ के नीचे चेन से बांधा था। अनूपपुर में तस्कर का सूटकेस गायब हो गया। उसने मामले की जानकारी जीआरपी को दी। जीआरपी ने चोर की तलाश शुरू की लेकिन थाने में मामला दर्ज नहीं किया। मिनोचा कालोनी निवासी ये कैरियर ट्रेनों में लंबे समय से सोना तस्करी करता है। वह जबलपुर, दिल्ली, कोलकाता और मुंबई तक सोना लाता-ले जाता है।

मंहगा सोना - सस्ती तस्करी 
सोना महंगा होने से तस्करी तेज होने के संकेत मिलने लगे हैं। साल 2012 में अप्रैल से जून के बीच तीन महीनों में ही देश भर में तस्करी के लगभग 200 मामलों में कुल 942 करोड़ रुपए का सोना विभिन्न सुरक्षा एवं जांच एजंसियों द्वारा जब्त किया जा चुका है। सोने का अंधाधुंध आयात रोकने के लिए सरकार की कोशिशें नाकाम हो रही हैं क्योंकि सरकार ने जब सख्त उपाय शुरू किए तो सोना तस्करी ने जोर पकड़ लिया। पछले तीन माह में भारतीय हवाई अड्डों पर सोने की धरपकड़ 10 गुना बढ़ी है। बाजार विशेषज्ञों ने कहा था कि कि सोना आयात नियंत्रित करने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की नीति से तस्करी तेज हो जाएगी। और ऐसा होता हुआ दिख भी रहा है।

वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल इन्हीं तीन महीनों के मुकाबले तस्करी में 272 फीसदी की बढ़त देखी जा रही है। अप्रैल से जून 2011 में कुल 20 मामलों में 243 करोड़ रुपए का सोना जब्त हुआ था। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल से जून 2011 में भारत का आधिकारिक सोना आयात 56 फीसदी घटा है और कुल 131 टन ही रह गया। सोने के आयात में गिरावट के लिए ऊंची ड्यूटी और बढ़ी कीमतों का असर है। और यह कहा जा सकता है कि यदि देश में इतनी मात्रा में सोना जब्त हो रहा है तो निश्चित है कि सोना तस्करी की असल मात्रा इससे कहीं अधिक ही होगी।

सोने की तस्करी में तेजी का मतलब यह भी है कि सोने की असल मांग उतनी कमजोर नहीं है, जितना सरकारी अधिकारिक आंकड़ों में दिखाया जा रहा है। यह तो सभी जानते हैं कि भारत सोने का सबसे बड़ा बाजार है। और पिछले कुछ सालों में भारत में सोने की मांग में खासी तेजी आई है। 2010-11 और 2011-12 में इसके कारोबार में अप्रत्याशित उछाल दिखने लगा है क्योंकि बढ़ती महंगाई में लोगों ने सोने का इस्तेमाल काले धन को छुपाने के लिए भी किया है।

सोना आयात हुआ कैसे मंहगा 
आपको बता दें कि देश में सालाना सोने की खपत लगभग 900 है। देश में स्वर्ण आभूषणों का कारोबार सालाना तीन लाख करोड़ का है। बता दें कि भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा आयातक है। सोना आयात लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2008-09 में 36 अरब डॉलर का सोना भारत आयात हुआ वहीं सन 2009-10 के पहले नौ माह में यह 50 अरब डॉलर हो गया था। आकड़े बताते हैं कि सन 2009-10 में 8,50,985 किलो सोना आयात हुआ तो वर्ष 2010-11 में 9,69,736 किलो हो गया। 2011-12 में फरवरी तक 9,86,126 सोना भारत आया था। 16 जनवरी 2012 के पहले औद्योगिक इस्तेमाल की सोने की छड़ों पर प्रति तोला 300 रुपये तथा आम आदमी के उपयोग वाले सोने (बिस्किट या जेवरात) पर प्रति तोला 750 रुपये आयात शुल्क सरकार वसूल रही थी। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीडीटी) ने इसे बदल कर औद्योगिक उपयोग के आयातित सोने पर दो फीसदी और आम आदमी के उपयोग वाले सोने पर पांच फीसदी शुल्क लाद दिया। सरकार का कहना था कि इससे 3,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी। आय तो नहीं हुई ऊपर से तस्करी बढ़ चली। आंकड़े बताते हैं कि पहले प्रतिदिन छह टन सोना आयात होता था जो घट कर तीन टन से भी हो गया है। सोने की मांग में कमी नहीं आई है। इसका सीधा सा मतलब यही है कि देश में सोना तस्करी बढी है। दो लाख रूपये या उससे ज्यादा कीमत का सोना या जेवरात खरीदने पर पैन कार्ड की जिरॉक्स ग्राहक से लेने को जरूरी करने के कारण भी तस्करी औऱ अवैध बाजार में रौनक लौट आई है।

दो लाख रुपये या अधिक कीमत के सोने या आभूषणों की खरीद में स्त्रोत पर टीडीएस काटने का प्रावधान भी कारोबारियों के लिए संकट बन गया है। इससे आम ग्राहकों की ओर से सोने के जेवरात या छड़ों और गिन्नियों को दो नंबर में खऱदीने का रुझान अधिक देखने में आ रहा है। सोने की वैध मांग में भारी कमी आ चुकि है और कारोबार में तकरीबन 30 फीसदी की कमी दिख रही है।

सुधार के इन कदमों ने सोने की तस्करी के अलावा और भी कई किस्म की परेशानियां भारतीय सोना उद्योग के लिए पैदा की हैं। स्वर्ण अयस्क और सोने की छड़ों का आयात भी अव्यवहारिक होता जा रहा है। बाजार पंडितों का कहना है कि पहले से ही अपनी क्षमता से  30 फीसदी तक कम उपयोग कर रही रिफायनरियों के कामकाज में लगभग 10 फीसदी की कमी आती दिख रही है।

सोना आयात महंगा होते ही सोने के पूराने तस्कर फिर सक्रिय हो गए। थोक कारोबारियों से संपर्क कर उन्होंने फिर से अपने कैरियरों को बाजार में उतार दिया है। ये कैरियर अब एक बार फिर से दुबई और अन्य खाड़ी देशों के चक्कर लगाने लगे हैं। मुंबई के अलावा दिल्ली, चेन्नई और बंगलूर हवाई अड्डों के कस्टम अधिकारियों ने भी तस्करी के बढ़ते ट्रेंड को ध्यान में रखते हुए रात की खाड़ी देशों से आऩे वाली सभी उड़ानों पर विशेष निगरानी रखनी शुरू कर दी है।

सोना तस्करी क्यों बढ़ी
एक तोला सोना आज लगभग 33 हजार रुपए की उस आसमानी कीमत को छू रहा है। जहां तक पहुंचना अब आम आदमी के बस की बात नहीं रह गई है। सरकार ने सोने के आयात के कारण विदेशी मुद्रा में हो रही कमी रोकने की कोशिश शुरू की तो यह उसके लिए एक नया सिरदर्द पैदा करने लगी है। सोने की तस्करी अब फिर होने लगी है। और उसके लिए कोई एक ही कारण उत्तरदायी नहीं है।

सोने की मांग बढ़ने या कीमत बढ़ने के कारण ही अकेले नहीं जिनके कारण सोने की तस्करी बढ़ने की बात सही नहीं है। असल में सोने की मांग घटाने के चक्कर में सोने की तस्करी करवाने लगी है सरकार खुद ही। एक तरफ सोने पर 4 से 10 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लग गई। दूसरी तरफ एक फीसदी वैट ने रही सही कसर पूरी कर दी। उपर से मुंबई में लगने वाला प्रति किलोग्राम 3,200 रुपए का चुंगी कर। जिस तरह से सरकार ने टैक्स थोपे हैं। प्रति किलो सोने पर तस्करी से लगभग 3.50 लाख रुपए की कमाई हो जाती है जो कि एक बड़ी कमाई है।

सोने की छड़ों पर 56,000 रुपए प्रति किलो आयात शुल्क लगने लगा। 1,40,000 रुपये प्रति किलो बिस्कुट या जेवरात के आयात पर शुल्क लाद दिया। और 50,000 रुपये वैट और बीमा खर्च जुड़ जाने से सोना पछले साल के मुकाबले इस साल लाने में प्रति किलो लगभग 2.50 लाख रुपए का टैक्स बचा कर और लगभग 1.60 लाख रुपए कीमत का दुबई से मुंबई के बीच का फर्क कुल मिला कर प्रति किलोग्राम 4 लाख 10 हजार रुपए हो जाता है। जिसके कारण तस्करों को भारी मुनाफा होने लगा है।

इसके अलावा जो और मुख्य कारण हैं तस्करी बढ़वाने के लिए। वे सोने के भाव में तेजी ही है। सोने के भाव असल में इसलिए भी बढ़े हैं क्योंकि एक तरफ तो रियलीटी मार्केट में बनी हुई कृत्रिम तेजी पिछले एक दशक में कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। रियलीटी मार्केट अब निवेशकों के लिए मुनाफे का सौदा नहीं रह गया है। इसके चलते निवेशकों ने सोने में निवेश करना शुरू किया है।

सब जानते हैं कि जबसे कानूनी तौर पर सोने का आयात खुला था। तस्करी पर लगाम लग गई थी लेकिन ड्यूटी में बढ़ोतरी से तस्करों को यह क्षेत्र आकर्षित करने लगा है। सोने की तस्करी का सीधा सा एक और मतलब है कि आतंकी गतिविधियों में तेजी आएगी क्योंकि सोने के भंडार पर लूटपाट के जरिए आतंकियों ने भी खासा कब्जा कर रखा है। और वे मोटी रकम कमाने के चक्कर में भारत में अपने नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं। एक स्वतंत्र शोध के मुताबिक भारतीयों के पास 18 हजार टन सोना जमा है। जो बताता है कि हिंदुस्तानियों में इस पीली धातु के कितनी दीवानगी है। और यही दीवानगी सोने के तस्करों को भी बहुत भाती है।

सरकार ने छह महीने विदेश में रह कर लौटे भारतीयों को पहले दस किलो सोना लाने की जो छूट दी थी, वह कम करके मात्र 1 किलो कर दी है। इस पर सरकार ने कहा कि इससे घरेलू जेवरात उद्योग पर बुरा प्रभाव पड़ने से बचाया जा सकेगा।


सोने में नकली तेजी
सोने के दामों में उछाल जारी है। एक तोला सोना 33 हजार रुपए की ऊंचाई पर पहुंच कर भी और आगे जाने के लिए बेताब लग रहा है। असल में यह तेजी नकली मानी जा रही है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि सोना कारोबारियों द्वारा बाजार के हालात देखते हुए तेजी दिखा कर मोटा मुनाफा कमाया जा रहा है।

कारोबारियों के मुताबिक भारत में सोने के दाम बढ़ने की वजह विश्व स्तर पर सोने के भावों में उछाल और डॉलर के मुकाबले रुपए की खस्ता हालत के अलावा यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ईसीबी) की बॉन्ड्स की खरीदारी के ऐलान, अमेरिका में नौकरियों की खराब हालत और कमजोर आर्थिक हालात के कारण भी सोने के दामों में बढ़त हुई है। लेकिन ऐसे बहुतेरे लोग हैं जो इस राय से इत्तेफाक नहीं रखते हैं। सोने के भावों में प्यूचर ट्रेडिंग याने कि सट्टेबाजी के कारण भी नकली तौर पर तेजी आई है। आज ही सट्टेबाजों ने ये कहना शुरू कर दिया है कि दीवाली तक सोने के भाव 35 हजार रुपए तोला तक जा पहुंचेंगे। इस तरह से सटोरियों ने पहले से अफने लिए मोटी मलाई खाने का एक जरिया खोल लिया है। दुकानदार और सोना कारोबारी भले ही कह रहे हैं कि सोने के जेवरात खरीदने पर सर्विस चार्ज और वैट लगाने के बाद सोने के दाम 30 हजार के ऊपर ही लगते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में सोने के दामों में उछाल आने केकराण भी भारत में भाव बढ़े हैं। हमेशा तो यह होता था कि पितृपक्ष में सोने के भाव गिर जाते थे लेकिन इस बार तो यह आकलन भी गलत ही साबित हुआ। बाजार के जानकारों का कहना है कि वो दिन गए, जब त्‍योहार, अच्‍छे या बुरे दिन या शादियों के आधार पर सोने के भावों में उतार-चढ़ाव होता था। अब तो अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार और फ्यूटर ट्रेडिंग आने कि सट्टेबाजी के आधार पर पीली धातु के भाव तय होते हैं।.

भारत ने साल 2011-12 में कुल 969 टन सोना का वैध रूप से आयात किया था जिसकी कीमत लगभग 60 अरब डॉलर थी। रुपए के टूटने के कारण भारत का चालू खाता घाटा बढ़ कर रेकॉर्ड 78.2 अरब डॉलर तक जा पहुंचा है। जो कि जीडीपी का 4.2 फीसदी है। इसके कारण सरकार ने सोने पर चार फीसदी का आयात शुल्क लगा तो दिया लेकिन उसका नतीजा उलटा ही दिखने लगा है।

सोने का वायदा कारोबार
सोने के चढ़ते दामों और बढ़ती तस्करी देख कर अब विव्त मंत्रालय की सांसे भी फूलने लगी हैं। सत्ता के गलियारों में यह कहा जाने लगा है कि सरकार सोने के वायदा कारोबार पर लगाम लगाने की तैयारी कर रही है। सूत्रों के मुताबिक 50 से अधिक कमोडिटी के वायदा कारोबार की मार्केट-टू-मार्केट आधार पर सरकार समीक्षा करवा रही है। सोने की सेल्फ ट्रेडिंग, सर्कुलर ट्रेडिंग और सर्किट ट्रेडिंग का भी पता लगाया जा रहा है। वायदा कारोबार पर रोक लगाने की मांग तमाम जौहरी और सोना कारोबारी करते ही आए हैं। उनका कहना है कि अगर सरकार सोने पर ड्यूटी बढ़ा रही है तो बेशक बढ़ा ले लेकिन उसे घरेलू बाजार में सोने के दामों पर निगरानी रखने और नियंत्रण हासिल करने के लिए सबसे पहले इसके वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।


कहां से आ रहा है भारत में सोना
तस्करी से सोना भारत में कहां – कहां से आ रहा है… इसके बारे में सब एक ही सुर में कहते हैं कि दुबई से ही सोने की तस्करी होती है। असल में यह तो वे आंकड़े बताते हैं जो सरकारी फाईलों से निकलते हैं। विमान यात्रा करके आने वालों के पास होने वाली बरामदगी का एक बड़ा हिस्सा दुबई का होने के कारण सिर्फ दुबई से तस्करी के बारे में हताया जाता है। लेकिन सच्चाई तो कुछ और ही है।

भारत में सोना आऩे के लिए निश्चित तौर पर दुबई एक बड़ा केंद्र है लेकिन उसके अलावा बाजार में तैयार गहने थाईलैंड से भी आ रहे हैं। भारत और थाईलैंड के बाजार में सोने के भावों में खासा फर्क तो देखने को मिल ही रहा है। वहां पर सोने के जेवरात की गढ़ाई कम होने के कारण और विश्वस्तरीय डिजाईनों के गहनों के बनने के कारण भी तस्करों ने थाईलैंड को अपना एक बड़ा केंद्र बनाया है। इसके अलावा बांग्लादेश के रास्ते भी तस्करी हो रही है। कारोबारियों की मानें तो भारी टैक्स के कारण बांग्लादेश के अलावा नेपाल के रास्ते भी सोने की तस्करी बढ़ चली है। हांकांग और सिंगापुर से पहले तस्कर सोना बांग्लादेश या नेपाल पहुंचा रहे हैं। उसके बाद सड़क मार्ग से यही सोना भारत आ रहा है। पाकिस्तान से जहाजों पर कप्तानों या खलासियों के जरिए भी तस्करी की जा रही है लेकिन अभी वह उतनी बड़ी मात्रा में शुरू नहीं हुई है।

सोना तस्करों के नायाब तरीके
सोना लाने वाले तस्करों ने अपने लिए कुछ नायाब तरीके अपना रखे हैं। वे हमेशा कोई न कोई नई चाल चलते हैं कि खुफिया और जांच एजंसियों की आंखों में धूल झोंक सकें। कुछ ऐसे ही नायाब तरीकों के बारे में हम आपको बता रहे हैं।

हवाईअड्डों से सोना लाने और कस्टम्स व डीआरआई अधिकारियों की पैनी निगाहों तथा एक्सरे से बच कर निकलने के लिए तस्कर नए-नए तरीकों की ईजाद करते हैं। सोना तस्करों ने एक तरफ जहां कुछ लालची किस्म के विमान कर्मचारियों को अपने लिए सोना लाने के काम में लगा रखा है। वहीं कुछ कैरियरों के जरिए सोना भारतीय हवाई अड्डों तक पहुंचाया जाता है। उसके बाद सोना बाहर निकालने के लिए पहले लोडरों और वहां तैनात पुलिसकर्मियों का सहारा लिया जाता था। अब लिए हवाई अड्डों पर सीआईएसएफ के जवानों और अफसरान का सहारा लिया जाता है। पिछले दिनों सोना तस्करी के एक मामले में सीआईएसएफ के 22 अफसर और जवान निलंबित हो चुके हैं।

सोना छुपा कर लाने के लिए जैकेट मे बिस्कुट छुपा कर लाने का तरीका अब पुराना हो चुका है। अब तस्कर सोने के सिक्के एक रोल की तरह से बना कर उन्हें गुप्तांगों में भर कर कैरियरों को भेज रहे हैं। इस तरह से सोना लाने वाली कई विदेशी महिलाएं पहले पकड़ी जा चुकि हैं। सोने को पिघला कर उन्हें ट्रॉली सूटकेस की पाईपों में भर देने का तरीका भी नया इजाद हुआ है। सोने का सामान कंप्यूटर हार्ड डिस्क और एसी या फ्रिज के कंप्रेसर में भर कर भी लाया जा रहा है। सोने के जेवरात को चांदी का पानी चढ़ा कर उन्हें चांदी का दिखा कर लाया जा रहा है। पूरा का पूरा परिवार ही सोने के जेवरात जबरन पहन कर आने लगा है। जूतों के सोल में छुपा कर भी लाया जाता है।

सोने के तस्करों का कामकाज अब इतना भी आसान नहीं रह गया है कि वे मजे से माल भारतीय हवाई अड्डो पर ले आते हैं। लेकिन वे भी हैं कि नए-नए नायाब तरीके गढ़ते रहते हैं ताकि वे अपन काम सफलता से अंजाम देते रहें और खूब सारा पैसा बनाते रहें। फिलहाल एक बार फिर से सरकार और तस्करों के बीच आंख-मिचौली का खेल शुरू हो गया है। और कस्टम्स अधिकारियों के लिए काम भी बढ़ गया है।


सोना खरीददारों रेडियम से सावधान 
आप सोना खरीदना चाहते हैं तो जरा सावधान हो जाएं। पहले सोने की शुद्धता ठीक से जांचने का इंतजाम करें। इन दिनों बड़े पैमाने पर सोने में रेडियम पाउडर मिला कर खरीददारों को चूना लगाने का काम जौहरी कर रहे हैं। यह खुलासा दिल्ली और मुंबई के हवाई अड्डों पर किलो के हिसाब से रेडियम पाउडर की तस्करी करने वालों को गीरफ्तार करने के बाद हुई पूछताछ में हुआ है। दिल्ली एयरपोर्ट पर कस्टम अधिकारियों ने चाइनीज पासपोर्टधारी तस्कर गुरमीत सिंह सिंह भाटी को कैथे पैसेफिक की हांगकांग से आने वाली फ्लाइट (सीएक्स-695) से आऩे पर रोक कर तलाशी ली। 1 किलो 70 ग्राम रेडियम पाउडर की ल्पासिटक की थैलियां पैर में बांध कर लंबे मोजे पहन लाते हुए उसे पकड़ा, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में करीब 17 लाख रुपए कीमत है। अधिकारियों ने गुरमीत सिंह से पूछताछ की तो उसने बताया कि सोने के दामों में भारी उछाल के चलते अधिक मुनाफे के लिए रेडियम पाउडर की मांग बढ़ी है। हांगकांग से भारी मात्रा में रेडियम पाउडर की तस्करी हो रही है। कस्टम अधिकारियों ने दिल्ली ही नहीं, मुंबई और कोलकाता में भी रेडियम पाउडर तस्करों को पकड़ा है। सोने की चमक और वजन बढ़ाने के लिए रेडियम की मिलावट सोने में हो रही है। तस्कर रेडियम पाउडर की खूब तस्करी कर रहे हैं क्योंकि लालची किस्म के जौहरी इस पाऊडर को सोने में मिला कर वजन बढ़ा देते हैं।

सोना तस्करी में सीआइएसएफ अफसरान
डीआरआइ ने मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सक्रिय सोना तस्करी के बड़े गिरोह का पर्दाफाश कर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) के दो अधिकारियों समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया और तीन करोड़ का दस किलो से अधिक सोना भी बरामद किया। मुखबिर की सूचना पर डीआरआइ ने एक सीआइएसएफ अधिकारी को तब दबोचा, जब वो एक अंतरराष्ट्रीय उड़ान से 5.8 किलो सोना लाए तस्कर का बैग लेकर हवाई अड्डे से बाहर जा रहा था। डीआरआइ ने उस आदमी को भी मौके पर ही धर दबोचा जिसे सीआइएसएफ अधिकारी ने सोना भरा बैग दिया था। एक और सीआइएसएफ अधिकारी व तस्कर सरगना हवाई अड्डे के बाहर तब पकड़े, जब वे डिलीवरी की प्रतीक्षा कर रहे थे। डीआरआइ ने 4.7 किलो सोने समेत हवाई अड्डे एक तस्कर को दबोचा। डीआरआइ के अधिकारी कहते हैं कि सीआइएसएफ अधिकारियों की साठगांठ से हवाई अड्डे से सोने की तस्करी का धंधा धड़ल्ले से चल रहा था जिसमें अब खासी कमी आई है। सीआईएसएफ अधिकारियों को तस्कर गिरोह सोना विदेश से लाने वाले व्यक्ति और मुंबई हवाई अड्डे के बाहर हासिल करने वाले शख्स की पहचान पहले से बता देते थे। जैसे ही कैरियर विमान से उतरता, अधिकारी उसे कस्टम्स हॉल में जाने से पहले किसी शौचालय में मिल कर बैग खुद ले लेता था। उशके बैग से मिलता जुलता बैग वह पहले से ही साथ लिए होता था। वह बैग लैकर कैरियर तो मजे से ग्रीन चैनल से बाहर चले जाता था और अधिकारी सोना लेकर बाहर  खड़े एक और अधिकारी व गिरोह के मुखिया अथवा उसके नुमाईँदे को माल देकर हवाई अड्डे के बाहर वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे या आसपास के किसी होटल तक सुरक्षित छोड़ते थे। यहां उनका पहले इंतजार कर रही दूसरी कार में बैठा सोना तस्कर माल लेकर अपने ठिकाने के लिए निकल जाता था... और सफल माल पासिंग के साथ ही अफसरान को उनका मेहनताना मिल जाता था। अगस्त 2012 में हुए इस मामले में सीआईएसएफ के कुल 22 अधिकारी औऱ जवान बरखास्त हुए थे। इनमें एक सहायक कमांडर भी है। इस मामले में सीआईएसएफ के महानिदेशक ने मुंबई एयरपोर्ट के सीनियर कमांडेंट अजय कुमार का तबादला छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा किया था।

Comments

  1. आपने अपने इस आर्टिकल में सोना और चांदी के वजन से संबंधित बहुत अच्छी जानकारी दिया है. आपको देखकर मैं ब्लॉगिंग शुरू किया है. आपके लेख से प्रभावित होकर मैंने bhari gram से संबंधित एक लेख लिखा है. कृपया मेरे वेबसाइट विजिट करें. कोई कमी हो तो कमेंट करके जरूर बताइएगा.
    धन्यवाद.

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