स्पॉट फिक्सिंग का खेल : अनाज के दानों में छुपा रकम का राज



आईपीएल 6 में स्पॉट फिक्सिंग के चलते पूरी दुनिया में हंगामा मचा है, उधर पुलिस है कि परत दर परत इस पूरे मायाजाल की परतें उधेड़ने में लगी है। इस दौरान पता चला है कि मैच फिक्सरों ने जिस तरह से मैदान में पहले से कुछ तय इशारे रखे थे कि सटोरिए अपने तरीके से मैच के नतीजे बदलने की स्थिति में भावों और सट्टा लगाने में फेरबदल कर सकें और मोटा मुनाफा हासिल कर सकें, उसी तरह से आपस में बात करने के लिए कुछ नए कुट संकेत या कोड वर्ड विकसित किए थे।

क्रिकेट सट्टे में अधिक पैसा बनाने के चक्कर में मैच फिक्सिंग करवाने के लिए सटोरियों का गिरोह न केवल हवाला नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहा है बल्कि नए-नए संकेतों का इस्तेमाल कर रहा है ताकि वह पुलिस या उनके जासूसों और मुखबिरों की निगाह में न आ सकें।

ज्वार... बाजरा... डॉलर...
सूत्रों के मुताबिक इस मैच फिक्सर गिरोह के बीच रकम के लेन-देन को लेकर जो नए कूट संकेत चल रहे थे, वे ज्वार और बाजरा हैं।

अगर कोई यह कहता कि एक किलो ज्वार भेज दिया है तो उसका मतलब यह होता था कि 10 हजार डॉलर का हवाला कर दिया है। एक किलो बाजरा भेजने का मतलब 1 लाख ड़लकर की रकम का हवाला करना था।

खिलाड़ियों के संकेत
वानखेड़े स्‍टेडियम में मुंबई और राजस्‍थान के बीच हुए मैच के कुछ कूट संकेत जो पहले से खिलाड़ियों और सटोरियों के बीच तय हुए थे, उनके मतलब कुछ इस तरह से थे...

जूते के तस्मे ठीक करना – इसका मतलब यह होता है कि अब गेंदबाज ऐसी गेंद डालने जा रहा है कि चौका लगेगा।

लॉकेट चूमना – यह हरकत करने का मतलब होता है कि खिलाड़ी अब नो बॉल डालने वाला है।

तौलिया - गेंदबाजी करने से पहले इसी से बुकी को खिलड़ी द्वारा इशारा होता था कि वो अब मैच फिक्सरों के बताए अनुसार ओवर में काम करने जा रहा है। 9 मई को पंजाब के खिलाफ श्रीसंत ने अपने दूसरे ओवर में 14 या अधिक रन देने की स्पॉट फिक्सिंग की थी। इसके लिए उसे पैंट के आगे तौलिया लटकाना था।

टीशर्ट - ये अजीत चंदिला का संकेत था कि वो मैच के दौरान टीशर्ट उठाएगा तो बुकी दूसरे ओवर में 14 या अधिक रन देगा।

घड़ी - अंकित चव्हाण को दूसरे ओवर में 14 रन देने के लिए हाथों से घड़ी उतार कर संकेत देना था।

रिस्ट बैंड निकालना – ये संकेत था कि गेंदबाज एक ओवर में 14 या अधिक रन देगा।

खिलाड़ी के धूप का चश्मा पहनने और बैट बदलने पर भी कूट संकेत तय होते रहे हैं। लेकिन ये तो वे जानकारिया हैं जो कि अब आम हो चुकि हैं लेकिन स्पॉट फिक्सरों के बीच रकमों के आदान-प्रदान के ज्वार और बाजरे के इस्तेमाल की जानकारी बिल्कुल ही अनोखी है।
विवेक अग्रवाल
18.05.2013

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