विवेक अग्रवाल
मुंबई, 30 अगस्त 2013
इंडियन
मुजाहिदीन के सबसे कुख्यात और वांछित आतंकी यासीन भटकल की गिरफ्तारी भारत-नेपाल
सीमा पर करने की जो बात सामने आ रही है, उसमें एक हद तक खुफिया और जांच एजंसियों
ने सच नहीं कहा है। वे तो बस वैश्विक समस्याओं से बचने के लिए एक बहाना भर कर रही
हैं। सच तो यह है कि यासीन भटकल को नेपाल की राजधानी काठमांडू के बेहद भीड़ भरे
इलाके से न केवल दोपहर दो बजे गिरफ्तार किया, बल्कि उसके चार और साथियो को विभिन्न
इलाकों से गिरफ्तार करते हुए बिहार की सीमा पर भारतीय शहर रक्सौल से गिरफ्तारी
दिखाई।
एक
तरफ जहां सुरक्षा अधिकारी इस तरह से गिरफ्तारी करने को लेकर बेहद दुस्साहसिक
कारनामा करार दे रहे हैं, वहीं भारतीय सुरक्षा एजंसियों द्वारा आतंकी टुंडा के बाद
नेपाल के अंदर से की इस गिरफ्तारी को शानदार कामयाबी मान रहे हैं। उनका कहना है कि
नेपाल के साथ आज मधुर रिश्ते न होने के कारण और विश्व बिरादरी में परेशानी खड़ी न
हो जाए, इसके कारण खुफिया एवं जांच अधिकारियों ने इस तरह से यासीन भटकल की
गिरफ्तारी की है।
जामे
मसजिद इलाके में इतने गेस्ट हाऊस और होटल हैं कि वहां आने-जाने वालों पर निगरानी
रखना और उनका लगातार पीछा करना बिल्कुल असंभव सा काम हो जाता है। यहां अधिकांश मुसलिम
आबादी होने और पूरे नेपाल से मुसलिम कारोबारियों व पर्यटकों के लगातार आने-जाने के
कारण भी निगरानी बेहद मुश्किल थी।
यासीन का नेपाली सिमकार्ड
यासीन
भटकल के पास नेपाल का एक सिम कार्ड था, जिस पर वह अपने लोगों से नेपाल, पाकिस्तान
और हिंदुस्तान के अलावा खाड़ी देशों में भी संपर्क करता था। उसके इसी नंबर की
जानकारी मिलने पर पिछले 6 माह से आईबी अधिकारियों ने बेहद गोपनीय तरीके से उसकी
निगरानी शुरू की थी। उसके सीडीआर के जरिए यह जानकारी निकाली जाती रही कि वह सबसे
अधिक किस इलाके में पाया जाता है। उसी के आधार पर जामे बाघ बाजार के मसजिद इलाके में
उसके होने की पुख्ता सूचना मिली। वहां पर लगातार काफी समय तक निगरानी रखने पर
यासीन दिखने लगा। उसका लंबे समय तक पीछा कर जब यह जानकारी मिल गई कि यासीन के और
भी कई साथी इस इलाके में या भारत-नेपाल सीमा पर हैं तो जाकर आईबी अधिकारियों ने
कुछ और एजंसियों के अफसरान को साथ लेकर यासीन की गिरफ्तारी का पूरा सरंजाम किया।
पता
चला है कि यासीन के इस नेपाली सेल नंबर के जरिए खुफिया व जांच एजंसियों को इंडियन
मुजाहिदीन के काफी आतंकियों के बारे में जानकारी मिली है। इन्हीं के आधार पर कई और
इलाकों से आईबी ने एक ही दिन में चार और आतंकियों को धर दबोचा और भारत की सरहद के अंदर
गिरफ्तारी दिखा दी।
असदुल्लाह की गिरफ्तारी
सूत्रों
के मुताबिक यासीन और असदुल्लाह अख्तर को भले ही एक साथ, एक ही वक्त पर, एक ही जगह मौजूदगी
के कारण साथ ही गिरफ्तार करने की बात कही जा रही हो, सच तो यह है कि दोनों को
काठमांडू के अलग अलग ठिकानों से पकड़ा गया है। यासीन के सहयोगी असदुल्लाह की गिरफ्तारी
ने एक बात और जाहिर कर दी है कि दिल्ली के दिवाली बमकांड, सूरत बमकांड
और बाटला हाउस मुठभेड़ के इस आरोपी से भी ढेरों जानकारियां हासिल होंगीं।
क्या टुंडा ने बताया यासीन का पता
इंडियन
मुजाहिदीन के संस्थापक यासीन भटकल की गिरफ्तारी के मामले में अब यह बी कहा जा रहा
है कि उसे तो टुंडा से मिली जानकारियों के आधार पर ही गिरफ्तार किया है। एनआईए के
दस्ते ने उसे नेपाल से जब गिरफ्तार किया तो उसे शक न था कि भारतीय जांच एजंसियां
कुछ यूं उसके सिर पर आ सवार होंगी। सूत्रों का कहना है कि खुफिया एजंसियां पिछले कई
दिनों से यासीन के पीछे पड़ी थी। भटकल के फोन की जानकारी से यह भी पता चला था कि
वह बीच में दरभंगा भी आकर गया है।
यासीन का नेपाली मददगार कय्यूम अंसारी
खुफिया
सूत्रों का कहना है कि यासीन काठमांडू के बाघबाजार स्थित जामे मसजिद के परिसर में
बनी स्टार इंपेक्स लि. नामक इलेक्ट्रॉनिक्स की एक दुकान के मालिक कय्यूम अंसारी का
दोस्त है। वे साथ मिल कर कुछ काम कर रहे बताए जाते हैं। वह स्टार पेक्स प्रा. लि.
कंपनी का महाप्रबंधक है। इसी इलाके में पिछले लगभग दो सालों से यासीन रहने लगा था।
पता चला है कि जबसे यासीन की गिरफ्तारी हुई है, यह कय्यूम अंसारी गायब है। उसे
नेपाल की पुलिस और खुफिया एजंसियां बेहद सरगर्मी से तलाश रही हैं।
कय्यूम
अंसारी ने नेपाल के सुनसरी जिसे और बारा जिले से नेपाली नागरिकता के दो पहचान पत्र
बनवा रखे हैं। इसकी जानकारी अब खुफिया व जांच अधिकारियों को मिली है। कय्यूम के
नेपाल के उस रूपनदेई जिले में खासे संपर्क हैं, जो कि भारतीय शहर रक्सौल से
बिल्कुल सटा हुआ है। इस इलाके में चूंकि मुसलिम आबादी काफी घनी है, वहां ढेरों,
मसजिदें, मदरसे और दरगाहें बनी हुई हैं, इसलिए ये आतंकी इनका इस्तेमाल अपने लिए
शरणगाह के रूप में आसानी से करते रहे हैं। वहां के निवासियों और संचालकों को यह
खबर भी नहीं होती थी कि ये शरीफ नागरिक के रूप में कर रहने वाले लोग असल में कौन
हैं।
टुंडा की नेपाल से गिरफ्तारी
नेपाल
में जब अब्दुल करीम टुंडा को गिरफ्तार किया तो वह एक मोटरसाईकिल पर बैठ कर कहीं
जाने की तैयारी में था। वह भी इसी कय्यूम अंसारी की ही दुकान पर काठमांडू में आकर
ठहरता था। वह जानबूझ कर किसी होटल या गेस्ट हाऊस में नहीं रुकता था क्योंकि वहां
उसका चेहरा किसी न किसी सीसीटीवी कैमरे में कैद हो जाता और नकली ही सही उसे हर जगह
पर अपना फोटो आईकार्ड जरूर देना पड़ता। टुंदा को भी यही कय्यूम अंसारी न केवल अपने
यहां शरण देता था बल्कि उसके लिए पैसों और अन्य साधनों से भी मदद करता था।
बिहार
के मोतिहारी में एक बेहद विशाल मसजिद है, जिसे जामिया मसजिद कहा जाता है। वहां
लगातार यासीन का ही नहीं बल्कि टुंडा का भी आना-जाना बना हुआ था। टुंडा ने तो इस
स्थान पर अपना खासा गढ़ ही बन रखा था। इस काम में उसकी मदद आईएसआई औऱ लश्कर के
स्थानीय प्यादों ने भी की थी।
टुंडा
का सिमरौन गढ़ और नेपाल के 12 जिलों में खासा अच्छा प्रभाव भी और जाल भी फैला है। वह
भी लगातार रुपनदेई जिले में आता जाता रहता था।
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