विवेक अग्रवाल
मुंबई, 20 सितंबर 2013
मुंबई की सत्र अदालत में पेशी के लिए इंडियन
मुजाहिदीन के आतंकी अफजल उस्मानी ने पुलिस की आंखों में धूल झोंक दी और फरार हो
गया। पुलिस उसकी तलाश में जहां-तहां सिर पटक तो रही लेकिन कोई सुराग नहीं मिल रहा
है। पहले मुंबई माफिया के लिए कारें चुराने वाले अफजल ने अहमदाबाद बमकांड के लिए
भी कारें चुराई थीं। उसी की कारों का इस्तेमाल सूरत में बम लगाने के लिए भी हुआ
था, जो कि तकनीकी कारणों से फटे न थे। मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में न केवल
अलर्ट जारी कर दिया है बल्कि नाकाबंदी कर अफजल की तलाश की जा रही है।
कैसे भागा अफजल
अफजल को 18 अन्य आतंकियों के साथ तलोज जेल से आज
सत्र अदालत में पेशी के लिए पुलिस लाई थी। सभी आरोपी मोका के तहत आरोपी हैं। वह लगभग
3 बजे पेशाब करने के बहाने ऐसा गया कि लौटा ही नहीं। जब पुलिस वालों ने बहुत देर
तक उसके न लौटने पर तलाशी की तो पाया कि वह तो शौचालय से नदारद है। इस मामले में
चार और आरोपी भी आज अदालत में आए थे, जो जमानत हासिल कर बाहर थे। अदालत को जब
पुलिस ने अफजल के फरार होने की सूचना दी तो उसके खिलाफ नया वारंट जारी हो गया और
अदालत ने आरोप तय करने की आज की तारीख को बदल कर 25 सितंबर कर दिया। पुलिस ने
तुरंत सभी आरोपियों को वापस जेल पहुंचाया और अफजल की तलाश शुरू कर दी।
अदालत में मोका के विशेष जज एएल पंसारे ने बेहद नाराजगी
से कहा कि ये एक बेहद गंभीर चूक है और बड़ा अपराध है। पुलिस दस्ते ने बेहद
लापरवाही बरती है। उसके फरार होने से अन्य मामलों पर भी गहरा असर पड़ेगा।
कौन है अफजल उस्मानी
अफजल उस्मानी उस आरएन गिरोह का सदस्य था, जिसकी स्थापना इंडियन मुजाहिदीन बनाने वाले आतंकी रियाज भटकल ने मुंबई में की
थी। अफजल तब जेल में बंद था, जहां उसकी मुलाकात इमरान और अब्दुल रजा से हुई थी। वे
तीनों जमानत पर जेल से बाहर निकल कर कार चोरी करने लगे थे। अगस्त 2008 को गुजरात के इन दोनों शहरों में बम धमाके अंजाम देने के लिए नवी मुंबई से
कारें चुराने का काम अफजल के साथ उसके दोनों साथियों ने किया था।
मौत के वाहन लाया था अफजल
रियाज भटकल ने 2008 में
हुए अहमदाबाद बमकांड से तकरीबन दो माह पहले अफजल को कारें चुराने का ठेका तब दिया था,
जब वे मई 2008 में अंधेरी के मैकडोनाल्ड रेस्तोंरा में मिले थे। अफजल
ने रियाज के इस ठेके की जानकारी अपने दो साथियों इमरान और अब्दुल राजा को भी बताई
थीं। न केवल विस्फोटकों की आवाजाही, ईमेल भेजने के लिए पुणे से मुंबई भेजने बल्कि
अहमदाबाद और सूरत के लिए बम भी भेजे और विस्फोट करवाने के लिए रखे थे।
इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापकों में शामिल मोहम्मद
सादिक को चोरी की कारों में बम लगाने की योजना बिल्कुल पसंद न थी लेकिन उसकी रियाज
भटकल के सामने एक न चली थी। उसे डर था कि चोरी की कारों के कारण जांच एजंसियां
आसानी से उन तक पहुंच जाएंगीं। आईएम के ही एक और आतंकी मोहम्मद आतिफ ने सादिक की
बात न सुनने के लिए रियाज पर दबाव डाला था।
रियाज तो सूरत और अहमदाबाद में बम लगवाने के बाद
गुल हो गया लेकिन मोहम्मद सादिक उसी वजह से पकड़ा गया, जिसके लिए वह तैयार न था। मोहम्मद
सादिक की गिरफ्तारी के पहले ही रियाज अपने बड़े भाई इकबाल भटकल के साथ में बरास्ते
बिहार के नेपाल भाग निकला था, जहां कुछ दिन रह कर वो सीधे पाकिस्तान जा पहुंचा था।
मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने इंडियन मुजाहिदीन के पुणे मीडिया सेल तक पहुंची और
कुल 17 आतंकियों को गिरफ्तार किया था। इस गिरोह में अफजल उस्मानी का नाम भी था।
कहां-कहां लगे थे बम
26 जुलाई 2008 को 21 बम अहमदाबाद में मात्र 70
मिनटों के अंतराल में फटे थे, जिसमें 56 लोग मारे गए थे और 200 से अधिक घायल हुए
थे। कुछ बम कारों में तो कुछ साईकिल पर टिफिन में तैयार करके रखे थे।
सूरत में कुल 26 बम ऐसे मिले थे, जो कि बेहद
शातिराना तरीके से बनाए गए थे। ये तमाम बम 28 से 30 जुलाई 2008 के बीच पुलिस ने बरामद किए थे जो कि डिटोनेटर की खराबी की
वजह से नहीं फटे थे।
कैसे पकड़ा था अफजल को
जांच एजंसियों ने पड़ताल के दौरान नवी मुंबई से
गुजरात के लंबे सफर में कार चोरों के किसी होटल में रुकने की संभावना पर ध्यान
दिया और मुंबी-अहमदाबाद हाईवे पर हर होटल में मोबाइल नंबर और कारों के नंबरों की
सूची हासिल की। एक नंबर ऐसा भी निकला, जो अहमदाबाद बम धमाकों के स्थान पर भी बम
फटने से कुछ पहले भी मौजूद था। ये तो अफजल का निकला। बस फिर क्या था, सारी पुलिस
उसी के पीछे हाथ धोकर पड़ गई। सितंबर, 2008 में उत्तरप्रदेश में
उसे आखिरकार पुलिस ने धर दबोचा। उससे पूछताछ के बाद दो दर्जन से अधिक आतंकियों की
धरपकड़ हुई और पुणे मोड्यूल पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था।
रियाज भटकल तो पहले माफिया सरगना फजलू रहमान के साथ
मुंबई में ही काम करता था। रियाज ने आरएन (आर मतलब रियाज और एन मतलब नासिर) कंपनी नामक गिरोह बनाया था। 2003 में
गेटवे ऑफ इंडिया बमकांड के बाद नासिर मुंबई पुलिस से मुठभेड़ में मारा गया तो,
रियाज अकेला पड़ गया। उसने आमिर रजा के साथ काम करना शुरू
कर दिया। आमिर के साथ रियाज ने पहले भी काम किया था, जिसके साथ कोलकाता का माफिया
सरगना से आतंकी बना आफताब अंसारी भी काम कर रहा था। उसी दौर में अफजल भी उनके साथ
जुड़ गया था।
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