आतंकी कारखाने से डी-कंपनी बाहर – भाग 10 देश में पहले भी बनी हैं बी कंपनी

विवेक अग्रवाल
मुंबई, 29 नवंबर 2013
ऐसा नहीं है कि भारत में डी-कंपनी के सामने बी-कंपनी पहले नहीं बनी हों। सच तो यह है कि एक नहीं बल्कि दो-दो बी-कंपनी का निर्माण हुआ था लेकिन वे अधिक समय तक चल नहीं सकी थीं। एक तो दिल्ली में डी-कंपनी की तर्ज पर बनी थी, दूसरी भटकल बंधुओं के इंडियन मुजाहिदीन की तर्ज पर एक आतंकी गिरोह ने ही बनाई थी। जिस तरह से आईएम वाली बी-कंपनी का विकास और पोषण पाकिस्तान में हुआ है, उसी तरह से इस बी-कंपनी का उदय, विकसन और पोषण बांग्लादेश में हुआ था। 
मुंबई की बी-कंपनी
क्या आपको पता है कि एक और शख्श था जिसने मुंबी में बी-कंपनी की स्थापना करने का ख्वाब देथा था। उसने बेहद उग्रता से इसकी कोशिशें भी की लेकिन कभी सफल न हो सका। उसका नाम है बंटी पांडे। असली नाम प्रकाश पांडे। उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश के अपराध जगत में वह एक बेहद जाना पहचाना नाम है लेकिन बंटी पांडे के नाम से नहीं बल्कि पीपी गैंग के सरगना के नाम से। 

मुंबई माफिया में बंटी पांडे के नाम से पहचान रखने वाला बंटी कभी छोटा राजन का बेहद विश्वसनीय और खास सिपहसालार होता था। सन 2000 में बैंकॉक में हुए हमले के बाद उससे अलग होकर अपना गिरोह बना कर मुंबई में हफ्तावसूली करने और गिरोह की धमक पैदा करने की उसकी तमाम कोशिशों को एक पुलिस अधिकारी को दी चुनौती ने खत्म कर दिया। शाहरुख खान से हफ्तावसूली करने के मामले में एक निजी समाचार चैनल को फोन पर साक्षात्कार के दौरान बंटी पांडे ने ऐलानिया कहा कि शाहरुख जहां तक दौड़ना चाहता है, दौड़ ले। वह राकेश मारिया (तत्कालीन अपराध शाखा प्रभारी) के पास भी जाएगा तो भी उसे वह मार कर ही दम लेगा। ये सुन कर अपराध जगत में सबसे बेहतरीन मुखबिरों का जाल रखने वाले इस पुलिस अधिकारी ने महज एक पखवाड़े में बंटी पांडे के लगभग 10 साथियों को जहन्नुम पहुंचा कर उसकी चुनौती को सिरे से नकार दिया। 
बंटी पांडे ने शिवसेना के विरोध में अपना राजनीतिक दल भी खड़ा करने की कोशिश की थी लेकिन उसे भी मुंबई पुलिस के अफसरान ने पहले ही कुचल कर रख दिया। बंडी पांडे अपने नाम के पहले अक्षर के साथ बी कंपनी बनाने का इरादा रखता था लेकिन मुंबई माफिया में न तो उसके साथ कोई बड़े नाम ही आ सके, न ही वह कोई ऐसा बड़ा कारनामा कर सका कि उसका खौफ लोगों के जेहन में बस जाता और उसकी बी कंपनी की पहचान बन पाती। लिहाजा बंटी पांडे की बी कंपनी की भ्रूण हत्या हो गई।

बांग्लादेश में बी-कंपनी
असम के आतंकी गिरोह अल्फा के स्वयंभू कमांडर परेश बरुआ ने भी आतंक की एक बी-कंपनी की नींव बांग्लादेश में रखी थी। उसके खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी है।उसने न केवल बांग्लादेशी कंपनियों में लाखों डॉलर निवेश किए थे बल्कि सैंकड़ों करोड़ रुपयों का खेल जमा रखा था। इस बी-कंपनी को भी पाक खुफिया एजंसी आईएसआई का सहयोग तो मिल ही रहा था, बांग्ला आतंकी संगठन हूजी से खासा सहयोग मिलता रहा है। 
खुफिया रपटों के मुताबिक शिपिंग, रीयल एस्टेट, पावर, टेक्सटाइल, मेडिकेयर क्षेत्र की कंपनियोंमें बरूआ की बी-कंपनी ने जो सैंकड़ों करोड़ रुपए का निवेश किया था, उससे बरुआ को हर तिमाही 15 लाख डॉलर (7.40 करोड़ रुपए) कमाई होती थी। वेस्टर्न मनी चेंजर से भी उसे 5 लाख डॉलर (2.46 करोड़ रुपए) की कमाई होती रही है। इस रपट के मुताबिक बरुआ की बी-कंपनी ने ढाका की तीन रीयल इस्टेट कंपनियों - बसुंधरा रीयल इस्टेट, ईस्टर्न हाउसिंग प्रोजेक्ट व जमुना ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट में लंदन के एक कारोबारी कारुज्जमां के नाम पर निवेश दिखाया था। 
तीन महीने तक चली जांच के बाद तैयार रपट में बरुआ के बांग्लादेश में अवैध कारोबार का पूरा काला चिट्ठा है। खुफिया रपट के मुताबिक बरुआ की बी-कंपनी ने बसुंधरा रीयल इस्टेट में 70 लाख डॉलर का निवेश किया था, जो कंपनी की कुल हिस्सेदारी का 17 फीसदी है। ईस्टर्न हाउसिंग प्रोजेक्ट में 40 लाख डॉलर निवेश किया, जो कंपनी की कुल हिस्सेदारी का 9 फीसदी है। जमुना हाउसिंग ग्रुप प्रोजेक्ट में 30 लाख डॉलर निवेश किया, जो कंपनी की कुल हिस्सेदारी का 2 फीसदी है। इसके अलावा समरिता अस्पताल में 30 फीसदी की हिस्सेदारी ली याने दो लाख डॉलर का निवेश किया था। कासिम टेक्सटाइल में 30 फीसदी की हिस्सेदारी हासिल किया याने 17 लाख डॉलर का निवेश किया था। 

इस रपट के मुताबिक चौधरी शिपिंग में 25 लाख डॉलर के निवेश से 30 फीसदी की हिस्सेदारी हासिल की। ढाका के मशहूर चाइनीज रेस्तरां विंफ्रे में 1 लाख डॉलर की रकम का निवेश दुबई के जुम्मन नामक व्यक्ति के नाम से लगा कर कुल 40 फीसदी हिस्सेदारी हासिल कर रखी थी। बिजली कंपनी समित समूह में 12 फीसदी की हिस्सेदारी हासिल करने के लिए 2 लाख डॉलर का निवेश जापान के शहर तोक्यो के किसी कारोबारी शिशिर चौधरी के नाम पर निवेश दिया था। दिलकुशा समूह में भी 15 लाख डॉलर के निवेश से 15 फीसदी की हिस्सेदारी बरुआ की बी-कंपनी ने हासिल कर ली थी।
बांग्लादेश नेशनल सिक्युरिटी इंटेलीजेंस और बांग्लादेश नेशनल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू ने इन कंपनियों के बारे में तमाम जानकारियां बांग्ला सरकार के सामने पेश कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने की इजाजत मांगी थी। सुरक्षा एजंसियों के मुताबिक बरुआ की बी-कंपनी को अवैध कारोबार से मिले धन , हथियार खरीद और आतंकी गतिविधियां चलाने में किया है। 
दिल्ली के बंटी की बी-कंपनी
दिल्ली में एक गिरोह सरगना को भी बी कंपनी बनाने का शौक चर्राया था। उसने देश के सबसे खतरनाक बाइकर्स का गिरोह तैयार किया था। इस गिरोह में सबसे खतरनाक सुपारी हत्यारा और 50 हजार का इनामी गिरोहबाज इजराइल था। सारी दुनिया में उसका खौफ था लेकिन वह बंटी से खौफ खाता था। उसने बताया कि बंटी ने दाऊद से भी बड़ा माफिया सरगना बनने का ख्वाब देखा था। बंटी हमेशा सबसे कहता था कि उसे बहुत बड़ा डॉन बनना है। डी-कंपनी की तर्ज पर वो भी बी-कंपनी चलाएगा। इसके चलते वह अंग्रेजी भाषा भी सीख रहा था, वह खूब इंग्लिश किताबें पढ़ता था ताकि उसकी भाषा पर अच्छी पकड़ बन जाए। वह चाहता था कि विदेश में रहे तो अंग्रेजी अच्छी रहने से किसी को शक नहीं होगा। बंटी की मौत के बाद गिरफ्तार हुए इजराइल ने बयान में ये बातें बताईं। 


इजराइल ने बताया कि बंटी इतना खतरनाक था कि उससे गिरोह में भी सब खौफ खाते थे। जरा सी बात पर मारपीट, पिस्तौल सिर पर लगा कर धमकाना, कहीं भी किसी के साथ पंगे लेना उसकी खास अदा थीं। इजराइल ने पुलिस को बयान में बताया कि बंटी अपने शिकार और वारदात स्थल का चुनाव खुद करता था। गिरोह के बाकी सदस्यों को तब इसकी जानकारी मिलती थी, जब पूरा गिरोह मौके पर काम करने जा पहुंचता था। 
गिरोह के सदस्यों को वारदात के लिए तैयार करने से पहले सबको शराब पिला कर मदहोश करता था, फिर हथियार देकर काम करने भेजता था। लूट के बाद हथियार और तमाम रकम, कीमती सामान, जेवरात अपने कब्जे में ले लेता था। बंटी इतना गजब का खिलाड़ी था कि वो खुद तो शराब को हाथ भी नहीं लगाता था लेकिन साथियों को खूब पिलाता था। वो खुद कोई वाहन चलाना नहीं जानता था लेकिन ऐसा दुस्साहसी था कि बाइकर्स गिरोह का सरगना बन गया था।
बंटी रात में सोता न था और सदा हथियार से लैस रहता था। दिल्ली पुलिस ने जब इस गिरोह के सदस्यों की गिरफ्तारी पर ईनाम का ऐलान किया तो तमाम सदस्यों की हालत डर के मारे पतली हो गई थी। वे किसी सुरक्षित ठिकाने पर जा छुपने पर आमादा थे लेकिन बंटी को इसकी बिल्कुल भी परवाह न थी। 
इजराइल ने बताया कि बंटी ने अपने गिरोह में उसे ही शामिल किया था, जिसकी हिम्मत-जुनून परख लेता था। एक दिन इजराइल एक बस में सफर कर रहा था। बंटी ने उसकी जेबतराशी करनी चाही। इजराइल ने जब बंटी को पकड़ लिया तो उसने खूब बड़ा चाकू निकाल कर आंखों के सामने लहरा दिया। इजराईल ने उसे फिर भी ललकारा तो बंटी उसकी हिम्मत का कायल हो गया। बंटी ने उससे पूछा कि जितना तुम कमाते हो, उतना पैसा मैं दूंगा, तुम मेरे साथ आ जाओ।
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