विवेक अग्रवाल
मुंबई, 17 नवंबर 2013
आतंक का पर्याय बन चुकि ये कथित बी-कंपनी
देश के लिए ही नहीं बल्कि विश्व के कुछ और देशों के लिए भी धीरे-धीरे खतरा बनती जा
रही है। देश के लगभग आधे हिस्से पर इसकी पकड़ बन चुकि है। अब यह आतंकी गिरोह कई
किस्म के गंभीर खतरे भारत के लिए पैदा कर रहा है। क्या हैं आईएम की योजनाएं और किस
तरह वह आमादा है हिंदुस्तान को तबाह करने के लिए, उसकी पूरी पड़ताल।
बी-कंपनी का नकली करंसी का खेल
दिल्ली में आइएसआइ का शिकंजा किस कदर कस चुका है, इसका उदाहरण पिछले कुछ समय में हुए देश के विभिन्न इलाकों में हुए बम धमाके हैं। 19 सितंबर 2008 की सुबह ओखला स्थित बाटला हाउस में आतंकियों और पुलिस के बीच हुई मुठभेड़ में आईएम के कुछ आतंकी मारे जाते हैं, कुछ गिरफ्तार होते हैं। इन गिरफ्तार आतंकियों ने आइएम के दिल्ली मोड्यूल का पहली बार खुलासा किया। उनसे ही यह भी पता चला कि इस मोड्यूल पर भी रियाज और इकबाल का ही वरदहस्त है। रियाज और इकबाल सिमी की जिहादी जहरखुरानी के जाल में ऐसे फंसे कि वे खुद भी जिहादी बन गए। रियाज और इकबाल तब नेपाल में पनाह लिए हुए थे, उन्हें जैसे ही यह पता चला कि भारतीय खुफिया व जांच एजंसियों को दिल्ली मोड्यूल की जानकारी मिल गई है, वे दोनों चुपचाप पाकिस्तान भाग निकले। आइबी रपट बताती है कि आईएसआई के सहयोग से रियाज और इकबाल भटकल काठमांडू से दुबई होकर कराची गए थे।
दिल्ली में आइएसआइ का शिकंजा किस कदर कस चुका है, इसका उदाहरण पिछले कुछ समय में हुए देश के विभिन्न इलाकों में हुए बम धमाके हैं। 19 सितंबर 2008 की सुबह ओखला स्थित बाटला हाउस में आतंकियों और पुलिस के बीच हुई मुठभेड़ में आईएम के कुछ आतंकी मारे जाते हैं, कुछ गिरफ्तार होते हैं। इन गिरफ्तार आतंकियों ने आइएम के दिल्ली मोड्यूल का पहली बार खुलासा किया। उनसे ही यह भी पता चला कि इस मोड्यूल पर भी रियाज और इकबाल का ही वरदहस्त है। रियाज और इकबाल सिमी की जिहादी जहरखुरानी के जाल में ऐसे फंसे कि वे खुद भी जिहादी बन गए। रियाज और इकबाल तब नेपाल में पनाह लिए हुए थे, उन्हें जैसे ही यह पता चला कि भारतीय खुफिया व जांच एजंसियों को दिल्ली मोड्यूल की जानकारी मिल गई है, वे दोनों चुपचाप पाकिस्तान भाग निकले। आइबी रपट बताती है कि आईएसआई के सहयोग से रियाज और इकबाल भटकल काठमांडू से दुबई होकर कराची गए थे।
बी-कंपनी के निशाने पर दलाई
लामा!
आतंकी यासीन और उसकी बी-कंपनी का इरादा पूरी दुनिया को ही दहलाने का था। खुफिया एजंसियों को मिली एक गोपनीय सूचना के मुताबिक आईएसआई ने बी-कंपनी को एक बेहद खुफिया योजना का खाका तैयार करके दिया था। और वह था हिमाचल प्रदेश के सबसे शांत और सुरम्य इलाके धर्मशाला में विश्व भर के बौद्ध समुदाय के सबसे बड़े और पूज्य संत व गुरू दलाई लामा की हत्या का। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक जनवरी 2013 में यासीन ने अल-कायदा के दो सदस्यों से एक खाड़ी देश में मुलाकात की थी, जिसमें बौद्धों को निशाना बनाने और 'बदला' लेने की साजिश का खाका भी तैयार हुआ था।
आतंकी यासीन और उसकी बी-कंपनी का इरादा पूरी दुनिया को ही दहलाने का था। खुफिया एजंसियों को मिली एक गोपनीय सूचना के मुताबिक आईएसआई ने बी-कंपनी को एक बेहद खुफिया योजना का खाका तैयार करके दिया था। और वह था हिमाचल प्रदेश के सबसे शांत और सुरम्य इलाके धर्मशाला में विश्व भर के बौद्ध समुदाय के सबसे बड़े और पूज्य संत व गुरू दलाई लामा की हत्या का। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक जनवरी 2013 में यासीन ने अल-कायदा के दो सदस्यों से एक खाड़ी देश में मुलाकात की थी, जिसमें बौद्धों को निशाना बनाने और 'बदला' लेने की साजिश का खाका भी तैयार हुआ था।
सूत्रों के मुताबिक यासीन के धर्मशाला जाने
के बारे में पहले से ही खुफिया एजंसियों को जानकारी थी। बी कंपनी के दो आतंकी पहले
ही धर्मशाला में रह कर कुछ लोगों से मिल कर अपने लिए मुफीद अड्डा तलाशने की कोशिश
की थी। यह कहा गया है कि म्यांमार में बौद्धों द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों पर
हमलों का बदला लेने के लिए धर्मशाला में धमाके करवाने की योजना थी। धर्मशाला में
बौद्ध धर्मानुयायी तिब्बती विस्थापित बड़ी संख्या में रहते हैं। बमकांड कर उनका
रक्त बहाने की योजना भी थी। धर्म गुरू दलाई लामा धर्मशाला में ही रहते हैं।
पता चला है कि यासीन खुद धर्मशाला जाकर सर्वेक्षण करने वाला था। इसके पहले वह गिरफ्तार हो गया और विश्व पर आने वाला एक बड़ा संकट टल गया। बोधगया धमाकों के बारे में भी यही माना जा रहा है कि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ जारी हिंसा का बदला लेने के इरादे से ही बी-कंपनी ने धमाके किए थे।
पता चला है कि यासीन खुद धर्मशाला जाकर सर्वेक्षण करने वाला था। इसके पहले वह गिरफ्तार हो गया और विश्व पर आने वाला एक बड़ा संकट टल गया। बोधगया धमाकों के बारे में भी यही माना जा रहा है कि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ जारी हिंसा का बदला लेने के इरादे से ही बी-कंपनी ने धमाके किए थे।
बी-कंपनी को पाक सहयोग
आइएसआइ बड़ी चालाकी से हिंदुस्तानी युवा मुसलमानों
को मोहरा बनाकर जातीय जहर उनके जेहन में घोलने में कामयाब रही है। आइएसआइ मुख्यालय
में अक्तूबर 2008 में आइएसआइ
प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल ताज नदीम हिंद सल्तनत के खिलाफ एक साजिश रच रहे थे। सिमी
के एक तरह से खत्म हो जाने और डी-कंपनी के लगभग चुक जाने की स्थिति आ जाने के कारण
वे एक नया और बिल्कुल ताजा आतंकी गिरोह खड़ा करने की योजना पर काम कर रहे थे।
डी-कंपनी द्वारा भारत के खिलाफ छाया युद्ध में काफी इस्तेमाल हो चुकने के बाद, अब उसके गुर्गों की ताकत चुक जाने से वे परेशान जो हो चले थे। इसी के तहत इकबाल और रियाज भटकल में उन्हें इंडियन मुजाहिदीन नाम का एक नया आतंकी गिरोह का चेहरा जो दिख गया था।
मुंबई पर 26 नवंबर 2008 हमले की योजना पहले ही कई बार टाली जा चुकि थी। इस हमले का ब्लूप्रिंट न जाने कबसे तैयार पड़ा था। लश्करे तैय्यबा इस पर काफी दिनों से काम भी कर रहा था। ताज नदीम को ये सारा काम इसलिए बेहद तेजी से करना था क्योंकि अक्तूबर 2008 में ही आईएसआई मुखिया का वह पद उनके हाथों से जाने वाला था। उनकी कुर्सी पर अहमद शुजा पाशा आने वाले थे। वे चाहते थे कि जाते-जाते वे पाक हुक्मरानों को यह दिखा सकें कि उन्होंने क्या-क्या खुराफाती हरकतें की हैं।
डी-कंपनी द्वारा भारत के खिलाफ छाया युद्ध में काफी इस्तेमाल हो चुकने के बाद, अब उसके गुर्गों की ताकत चुक जाने से वे परेशान जो हो चले थे। इसी के तहत इकबाल और रियाज भटकल में उन्हें इंडियन मुजाहिदीन नाम का एक नया आतंकी गिरोह का चेहरा जो दिख गया था।
मुंबई पर 26 नवंबर 2008 हमले की योजना पहले ही कई बार टाली जा चुकि थी। इस हमले का ब्लूप्रिंट न जाने कबसे तैयार पड़ा था। लश्करे तैय्यबा इस पर काफी दिनों से काम भी कर रहा था। ताज नदीम को ये सारा काम इसलिए बेहद तेजी से करना था क्योंकि अक्तूबर 2008 में ही आईएसआई मुखिया का वह पद उनके हाथों से जाने वाला था। उनकी कुर्सी पर अहमद शुजा पाशा आने वाले थे। वे चाहते थे कि जाते-जाते वे पाक हुक्मरानों को यह दिखा सकें कि उन्होंने क्या-क्या खुराफाती हरकतें की हैं।
संसाधनों का अभाव नहीं
भारतीय खुफिया एजंसियों की गिरफ्त में आए यासीन भटकल के मुताबिक भारत में इंडियन मुजाहिदीन के पास इतने विस्फोटक हैं कि लगभग 100 धमाके कर लें, कम से कम 30 पक्के तौर प्रशिक्षित और लगभग 70 अन्य बिल्कुल नए रंगरूट तैयार हैं जो कि प्रोजेक्ट कराची को आगे बढ़ाने के लिए तुरंत काम आ सकते हैं। ये विस्फोटक भी भारत में ही उन्होंने विभिन्न सूत्रों से एकत्रित किए बताए जाते हैं। अभी तक ये नहीं पता चल सका है कि विस्फोटक कहां छिपा कर रखा है।
भारतीय खुफिया एजंसियों की गिरफ्त में आए यासीन भटकल के मुताबिक भारत में इंडियन मुजाहिदीन के पास इतने विस्फोटक हैं कि लगभग 100 धमाके कर लें, कम से कम 30 पक्के तौर प्रशिक्षित और लगभग 70 अन्य बिल्कुल नए रंगरूट तैयार हैं जो कि प्रोजेक्ट कराची को आगे बढ़ाने के लिए तुरंत काम आ सकते हैं। ये विस्फोटक भी भारत में ही उन्होंने विभिन्न सूत्रों से एकत्रित किए बताए जाते हैं। अभी तक ये नहीं पता चल सका है कि विस्फोटक कहां छिपा कर रखा है।
कल पढ़ें: बी-कंपनी का प्रोजेक्ट कराची
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