मोती घोटाला – भाग 3 : मोती तस्करों–कारोबारियों का सूरत सिंडिकेट

सूरत सिंडिकेट ही सफेद मोतियों का काले कारोबार संभालता है। इस सूरत सिंडिकेट में महज 9 लोग हैं। मोती कारोबारियों का यह सिंडिकेट गुजरात के शहर सूरत के मूल निवासियों का है जो कि पिछले काफी समय से मुंबई में रहते हैं।

इस सिंडिकेट में शामिल लोग रहन-सहन बेहद सादा रखते हैं। वे मुंबई के बालकेश्वर, नेपीएंसी रोड और भूला भाई देसाई रोड पर रहते हैं। उन सभी के दफ्तर झवेरी बाजार और धनजी स्ट्रीट पर हैं। वे तो जब घर से दफ्तर आना-जाना भी बेस्ट की बसों में करते हैं। पुरानी पीढ़ी के सिंडिकेट सदस्य आज भी वही सफेद धोती-कुर्ता पहने हुए लोग हैं, जिनके आसपास रहने पर भी यह समझ नहीं आएगा कि वे कितना बड़ा कारोबार करते हैं।

सूरत सिंडिकेट ने मुंबई के अलावा हांगकांग, दुबई और जापान के शहर कोबे में अपने दफ्तर बना रखे हैं।

कोबे में बसा है सूरत
मोती कारोबार की समझ और जानकारी रखने वाले एक सूत्र का कहना है कि कोबे (जापान) में मोती कारोबारियों और उनके कर्मचारियों का इतना बड़ा जमावड़ा रहता है कि वहां जाने पर आपको लगेगा ही नहीं कि जापान में हैं। वहां पूरी सड़क ही एक तरह से गुजरात की किसी सड़क जैसी दिखती है। वहां जैन देरासर है, मंदिर है, गुजराती रेस्तोरां हैं।

जापान में नहीं होती अंडर इनवाईसिंग
जापान से जो मोती खरीदे जाते हैं, वे सीधे हांगकांग भेजते हैं। जापान से हांगकांग माल भेजने की वजह यह है कि वहां अंडर इनवाईसिंग या अंडर वेल्यूएशन का काम कोई नहीं करता है।

कस्टम्स से इस तरह की गड़बड़ी करने पर सीधे जेल का प्रावधान है। इसके चलते वे पहली कंपनी के नाम से निःशुल्क सीमा कर के देश हांगकांग को सारा माल भेजते हैं। जहां से उनकी दूसरी कंपनी के नाम से मोती की खेप भारतीय कंपनी को भेजी जाती है।

कई बार यह भी होता है कि मोतियों की खेप हांगकांग से तीसरी कंपनी के नाम पर दुबई भेजी जाती है। जहां से यह खेप भारतीय कंपनी को रवाना हो जाती है।

अधिकांश माल कुरियर के जरिए ही आता-जाता है। अमूमन मोती सिंडिकेट डीएचएल और फेडेक्स कुरियर का इस्तेमाल मोतियों की खेप भेजने में करते हैं।

पैनल मेंबर को धमकियां
कुछ सीएचए और कस्टम्स अधिकारियों के बीच यह चर्चा भी आम है कि कस्टम्स वेल्यूएशन बोर्ड के एक सदस्य ने जो मामले पिछले दिनों तैयार किए थे, उसके कारण मोती का सूरत सिंडिकेट और मोती माफिया बुरी तरह बिफर गया है। इस सदस्य को न केवल रिश्वत देने की भरपूर कोशिशें हुईं बल्कि जान से मारने की धमकियां भी मिली हैं।

सूत्रों का कहना है कि पहले तो सिर्फ रपट बदलने के लिए पैसे देने की पेशकश हुई। उसके बाद इस सदस्य से कहा कि हर महीने तय रकम लेता रहे, और उनके लिए काम करे। जब वह नहीं माना तो करोड़ों रुपए की पेशकश के साथ यह कहा कि वह कस्टम्स वेल्यूएशन बोर्ड सदस्यता से इस्तीफा दे। इसके बाद उसके परिवार का अहित करने की धमकियां भी मिलने लगीं।

जब मोती माफिया के दबाव से वह सदस्य नहीं डिगा तो ये गिरोह संगठित रूप से इस सदस्य को बदनाम करने की साजिश में लग गया है।

एक सूत्र के मुताबिक यह धमकी भी इस सदस्य को मोती माफिया ने दी है कि वे जीजेपीसी से दबाव डलवा कर इस सदस्य को कस्टम्स वेल्यूएशन बोर्ड से ही बाहर निकलवा देंगे।

पता चला है कि इस वेल्यूएशन बोर्ड सदस्य की जान को खतरा होने के साथ ही उसके कारोबार तथा संपत्तियों के लिए भी परेशानी बन सकती है। इसके लिए उच्चस्तरीय जांच और सुरक्षा व्यवस्था की जा रही है।


विवेक अग्रवाल, मुंबई
(यह समाचार हिंदी, मराठी, गुजराती के कई प्रसिद्ध समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुका है।)

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