अपनी मौत खुद ही मर चुके, एक अनजान से मामले में
अचानक 16 साल की फरारी के बाद, उत्तरप्रदेश एसटीएफ और पुलिस का मुंबई आ धमकना, और
डी-कंपनी के एक खास सिपहसालार तारिक परवीन को गिरफ्तार कर लखनऊ ले जाना किसी के गले
नहीं उतर रहा है। माना जा रहा है कि किसी खास मकसद से यह गिरफ्तारी हुई है।
कुछ
सूत्रों का कहना है कि दाऊद ने खुद किसी सिलसिले में तारिक को गिरफ्तार कर लखनऊ
पहुंचाया है। कुछ का कहना है कि छोटा शकील के बचपन के इस दोस्त के डी-कंपनी के एक
गुट विशेष से डोंगरी और मोहम्मद अली रोड के आसपास की पुरानी इमारतों के
पुर्ननिर्माण को लेकर खासा विवाद था। हो सकता है कि इस गुट ने तारिक को गिरफ्तार
करवा कर अपनी राह से यह कांटा कुछ समय के लिए निकाला हो।
बता दें कि जिस मामले में तारीक परवीन की गिरफ्तारी
हुई है, उसमें 12 साल पहले जमानत ले चुका था। उसके बाद से ही वह
अदालत में पेश नहीं हो रहा था। इस पर लखनऊ पुलिस ने उसे फरार घोषित करवा दिया था।
एक तरफ यह कहा जा रहा है कि तारिक ने हुलिया बदल लिया
था। दूसरी तरफ सच्चाई यह है कि तारिक खुलेआम मुंबई में न केवल रहता था बल्कि आराम
से कारोबार भी कर रहा था। वह इमारत निर्माण कारोबार में काफी आगे जा चुका था। उसके
मुंबई में आराम से कामकाज करने की खबर सभी को थी। यह बात उप्र पुलिस को नहीं पता
थी, यह बात भी डी-कंपनी के ही कुछ लोगों के गले नहीं उतर रही है।
पुलिस अधिकारियों ने दावा किया है कि तारिक के एक
साथी की भी तलाश है जो लखनऊ में ही रहता है। उसके बारे में भी कुछ जानकारियां मिली
हैं, जल्द ही वह भी उनकी गिरफ्त में होगा।
क्या है मामला
पुलिस ने हजरतगंज इलाके में 15 साल पहले पकड़े दो आतंकियों से एके-47 बरामदगी मामले में 19 जनवरी 2015 को मुंबई में तारिक को गिरफ्तार किया था| यह
मामला (सीआर नंबर 511/99, धारा 115/121/122/123/504/506) तभी से परवीन के खिलाफ चल रहा था। यह मामला हजरतगंज थाने में 2
जून 1999 को दर्ज हुआ था।
तारिक परवीन को पुलिस ने लखनऊ अदालत में पेश किया
था जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। तारिक को पहले
मुंबई की शिवड़ी अदालत में पेश कर पुलिस ने ट्रांजिट रिमांड पर लिया और लखनऊ लाए
थे। हजरतगंज थाने के प्रभारी अशोक वर्मा के मुताबिक तारिक के खिलाफ ये बंदूकें
दिलवाने में तारीक ने इन आतंकियों की मदद की थी।
1999 की एक वारदात के सिलसिले
में तारिक की लखनऊ पुलिस को तलाश थी। लखनऊ पुलिस के मुताबिक 1999 में एसटीएफ ने नेपाल से होकर लखनऊ पहुंच दो पाक आतंकियों एजाजुद्दीन उर्फ अब्दुल अजीज और
मोईनुद्दीन उर्फ अकील अहमद को हजरतगंज के लक्ष्मी गेस्ट हाउस से पकड़ा था। उनसे पूछताछ
में पता चला था कि इस छापामार दस्ते के पहुंचने से कुछ देर पहले ही तारिक वहां से निकल
गया था। इन पाक आतंकियों से एके-47 रायफल, चार मैगजीन और 96
गोलियां मिली थीं। पूछताछ में उन्होंने बताया था कि वे शिवसेना नेता और मुंबई के मेयर
मिलिंद वैद्य की हत्या के इरादे से पकिस्तान से आए थे। इस काम के लिए उन्हें तारिक ने
सुपारी दी थी।
पुलिस अधिकारियों का दावा है कि हजरतगंज से फरार होकर
तारिक सीधा दुबई पहुंचा था। वहां कुछ समय बिताने के बाद वह मुंबई लौटा था। वहां से
लौटने पर उसे मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
पुराने मामले
तारिक पहली बार मुंबई में 1999 में हफ्तावसूली के एक मामले में गिरफ्तार होकर जेल की सलाखों के पीछे गया था।
आठ माह तक जेल की चक्की पीसने के बाद जब उसे जमानत मिली तो वह सीधे दुबई भाग निकला
था। वहां उसने दाऊद और शकील के लिए कामकाज करना शुरू कर दिया था।
उसे अवैध रूप से विदेश में रहने के मामले में भी पुलिस
गिरफ्तार कर चुकि है। इस सिलसिले में वह कुछ समय मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में बिता
चुका है। वहां से जमानत मिलने पर वह आराम से मुंबई में ही रहने लगा था।
मुंबई पुलिस ने उसे मुंबई लौटने के बाद डी-कंपनी के
लिए सरकारी जमीन पर कब्जा करके सारा-सहारा कॉप्लेक्स बनाने के मामले में
सन 2004 में दाऊद के भाई इकबाल कासकर के साथ मकोका के तहत गिरफ्तार
किया था। वह 2007 में जेल से छूटा था।
तारिक के नए खुलासे
उप्र पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का दावा है कि तारिक
ने उनके अधिकारियों के सामने पूछताछ में कई खुलासे किए हैं। उसके गाजियाबाद के भी
कुछ व्यापारियों से संबंध होने की जानकारी पुलिस को मिली है। उसने यह भी बताया है
कि डी-कंपनी का हवाला कारोबार पूरे देश में तो विस्तार रखता ही है, विदेशों में भी
फैला है। फिल्मोद्योग समेत तमाम बड़े स्तर के व्यापारी-उद्योगपति और सफेदपोशों के
तार भी डी-कंपनी से परोक्ष या अपरोक्ष रूप से हैं।
तारिक के फिल्मी संबंध
पुलिस अधिकारियों के दावे पर यकीन करें तो तारिक ने
यह भी बताया है कि फिल्मोद्योग में भी डी-कंपनी का मोटा निवेश है। दर्जनों अभिनेता-अभिनेत्रियां
और निर्माता-निर्देशक उसके सीधे संपर्क में हैं। तारिक के जरिए वे कंपनी के लिए
कोई भी काम सहजता से करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
संपर्क दिए तारिक ने
पुलिस अधिकारियों ने दावा किया है कि पूछताछ में तारीक
ने उन्हें कुछ टोलीफोन नंबर भी दिए हैं। उसके कुछ ई-मेल आईडी व फेसबुक खातों के
ब्यौरा भी मिले हैं। इनके जरिए उन तमाम लोगों के बारे में जानकारियां हासिल की जा
रही हैं, जिनके नाम तारिक ने पूछताछ में लिए हैं। उनके साथ आपराधिक संबंध मिलने पर
सभी को पूछताछ के लिए पहले लखनऊ तलब किया जाएगा। यदि उनके खिलाफ मामले में सबूत
मिलते हैं तो गिरफ्तारी भी संभव है।
तारिक-छोटा शकील की दोस्ती
डोंगरी के एक सूत्र का कहना है कि तारिक और छोटा
शकील में गहरी दोस्ती है। छोटा शकील के कारण ही तारिक भी दाऊद के संपर्क में या
था। जब तारिक दुबई से भारत वापस लौटा था, उसे पता था कि उसके खिलाफ कोई मामला नहीं
चलेगा क्योंकि उसका नाम किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल न था।
शकील और तारिक जब मुंबई में रहते थे, वे पडोसी थे। वे साथ में मोहल्ले की गलियों में क्रिकेट खेलते
बड़े हुए हैं। दोनों बचपन से दोस्त रहे और कुछ अर्सा तक एक ही जेल में भी रह चुके
हैं। बता दें कि दाऊद के छोटे भाई
इकबाल कासकर के साथ भी तारिक ने कुछ समय मुंबई की सबसे सुरक्षित आर्थर रोड जेल में
बिताया है।
तारिक का कारोबार
सातवीं कक्षा तक पढ़े तारिक को हिंदी, उर्दू, अरबी और
अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान है। इसके अलावा मराठी भाषा भी जानता है। वह दुबई जाने के पहले
मुंबई में ही प्लास्टिक का कारोबार भी करता था। उसके पिता की प्लास्टिक के बर्तनों की छोटी सी दुकान थी।
अब वह पूरी तरह से इमारत निर्माण में घुस चुका है। तारिक
पिछले एक दशक से सारा-सहारा इमारत में दफ्तर चला रहा है। यहां से वह न केवल जमीनों
और इमारतों की सौदेबाजी करता है बल्कि पुरानी इमारतें गिरा कर फिर बनाने के
कारोबार में लगा है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस खेल में वह करोड़ों रुपए
कमा रहा है।
23.01.2015
विवेक अग्रवाल
Comments
Post a Comment