विवेक अग्रवाल
मुंबई, 20 अप्रैल 2015
पश्चिमी उपनगर मीरा रोड में बीयर बार के बाहर एसटी गिरोह के पुराने प्यादे विजय प्रधान उर्फ बंटी प्रधान को दो अज्ञात गुंडों द्वारा गोली मारने के मामले में पुलिस अधिकारी अब एक नए संकट में फंस गए हैं। पता चला है कि 58 साल के एक बुजुर्ग को तीन दिनों तक बिना सम्मन थाने में बुला कर मारपीट करके हत्या का कारण और हत्यारों के नाम जानने के लिए दी जा रही प्रताड़नाओं से दुखी होकर इस व्यक्ति ने आज अदालत के सामने पुलिस से बचाने की गुहार लगाते हुए दोषी पुलिसवालों को सजा देने की मांग की है।
बंटी प्रधान तीन साथियों समेत पुष्पक बार में खाना खाने के बाद बाहर निकला और बाहर इंतजार कर रहे दो हमलावरों ने गोलियां मार कर उसकी हत्या कर दी थी। इस हमले में उसका एक दोस्त सचिन मनोहर विजयकर भी बुरी तरह घायल हो गया था। उसका इलाज अभी भी अस्पताल में चल रहा है।
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि बंटी प्रधान गिरोह सरगना सुभाष सिंह ठाकुर गिरोह का गुर्गा है।
इस हत्याकांड में अब तक तीन विभिन्न कोण सामने आ चुके हैं. पहला तो यही है कि 40 एकड़ के एक भूखंड के सिलसिले में बंटी प्रधान की हत्या सुपारी देकर करवाई है। दूसरा कोण यह सामने आया है कि किसी बार बाला का चक्कर है, जिसके कारण उसके किसी करीबी ने हत्या करवा दी है। तीसरा कोण यह है कि उसे डी-कंपनी ने पुरानी दुश्मनी के चलते ही गोली से भुनवा दिया। यह बात और है कि पुलिस अधिकारियों ने इस मामले की जांच के लिए कुल 5 दस्ते गठित कर रखे हैं। कनकिया पुलिस थाना और मुंबई पुलिस की अपराध शाखा अपने – अपने स्तर पर अलग से छानबीन कर रहे हैं। इस तरह कुल 7 दस्ते जांच में लगे हैं लेकिन वे अभी तक खाली हाथ ही हैं।
इस मामले में तब एक नया मोड़ आ गया जब दुर्गेश ठक्कर नामक 58 साल के एक बुजुर्ग ने ठाणे अदालत में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्रताड़ित करने और मुठभेड़ में मार गिराने तथा मोका जैसे कठोर कानूम में फंसा कर जेल में सड़ाने की धमकियां देने का आरोप लगाते हुए एक शिकायत दर्ज करवाई है। अदालत में यह शिकायत उनके वकील संतोष पांडे ने दर्ज करवाई है। जब इस बारे में संतोष पांडेय से पूछा तो उन्होंने बताया कि अदालत ने इस मुकदमे को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। मुकदमे का नंबर 419/2015 है।
श्री पांडे के मुताबिक उनके मुवक्किल दुर्गेश ठक्कर पेशे से एक संपत्ति कारोबारी और सलाहकार हैं। उन्हें बंटी ने सात साल पहले यह कह कर उत्तरप्रदेश की एक जेल में ले जाकर मिलवाया था कि उनसे किसी के द्वारा कारोबार हेतु 50 लाख लेने वाले पर दबाव बना कर वह रकम निकलवा देगा। सात सालों में यह रकम नहीं तो नहीं मिली लेकिन उनके संपर्क बंटी प्रधान से बने रहे। इस दौरान बंटी भी लगातार उनके मुवक्किल से मिलता रहा।
घटना वाले दिन भायंदर (प) में रहन वाले दुर्गेश ठक्कर और बंटी काफी समय साथ ही थे। जब इस बारे में दुर्गेश ठक्कर से बात की तो उन्होंने बताया, “मैं और बंटी साथ में ही एक जमीन के कागजात की पुष्टि करने और सौदे के बारे में बात करने के लिए साथ में ही एक स्थान पर गए थे। बंटी ट्रेन से मीरा रोड स्टेशन तक आया था। वहां पर मैंने अपने कार चालक को भेजा और बंटी को पहले भायंदर दफ्तर बुलाया था। वहां से हम साथ में नायगांव गए थे। वहां हम मेघराज भोईर से मिले थे। 5.30 बजे हम नायगांव से मीरा रोड आए और सलमान हाशमी के दफ्तर पहुंचे क्योंकि उनका एक कार्यक्रम था। बंटी ने फोन करके सचिन को बुलाया था। वह अपना काले रंग की स्कोर्पियों कार लेकर आया था। वहां कुछ देर बैठने के बाद हम सब सचिन के कनकिया रोड स्थित दफ्तर में गए, जहां 10 मिनट बैठ कर हम सभी जहांगीर सर्किल पर तंबी डोसा वाले के पास नाश्ता करने गए। वहां से हम सभी श्री हाशमी के कार्यक्रम में पहुंचे। मैं लगभग सवा सात बजे घर चला गया। उसके बाद क्या हुआ, वह सब मुझे समाचारों में ही पता चला।”
श्री ठक्कर के मुताबिक पुलिस ने पूछताछ के लिए सलमान को बुलाया था। उसने बताया कि दुर्गेश ने उसका परिचय बंटी से करवाया था। इस पर पुलिस अधिकारियों ने 16 अप्रैल को बिना सम्मन दिए ही फोन करके पूछताछ करने के लिए कनकिया थाने में बुलाया। वहां पर उनके साथ बेहद बुरा सलूक हुआ। वे दोपहर साढ़े 12 बजे पहुंचे, जहां उन्हें रात 12.30 बजे छोड़ा। अगले दिन 12 बजे से रादत 10 बजे तक पूछताछ और बुरे बरताव तथा प्रताड़ना का दौर चलता रहा। 18 अप्रैल की दोपहर 12.30 से रात 12.15 तक उनके साथ प्रताड़ना, लगातार धमकियों और पूछताछ का दौर चलता रहा। हर बार कोई नया पुलिस अधिकारी आ जाता।
श्री ठक्कर बताते हैं कि मानसिक रूप से बीमार उनकी पत्नी जब थाने में पति की खैरख्वाह लेने पहुंची तो एक पुलिस अधिकारी ने उनके साथ भी बुरा बरताव किया। उन्होंने कहा, “यहां से भाग जाओ। ये तो दो – तीन साल के लिए मोका में जेल जाने वाला है, और तू तो एक साल में ही मर जाएगी।”
श्री ठक्कर के मुताबिक उनकी पत्नी की तो इसके बाद से ही हालत खराब हो रखी है। वे कहते हैं कि उनकी पत्नी 60 साल की है। एक वरिष्ठ और इस कदर बीमार महिला नागरिक से किस तरह बात करनी चाहिए, यह बात कम से कम हमारी पुलिस को मालूम होनी चाहिए। वे कहते हैं, “मेरा साथ वे तीन दिनों तक जुल्म करते रहे, मैं सहता रहा। अब सहन नहीं होता है। मैंने कोई अपराध नहीं किया है। मैं बस उसे जानता था क्योंकि वह मेरे पास जमीनों के सौदे लेकर आता था। मैंने कोई गलत काम नहीं किया है। जहां तक रह गई उसके संबंधों और पुराने कारनामों की तो मुझे उससे कोई लेना-देना ही नहीं है।”
वे आरोप लगाते हैं कि पुलिस अधिकारियों को इस मामले में आरोपी नहीं मिल रहा है इसलिए वे किसी को भी गिरफ्तार कर मामला सुलझाने का दिखावा करना चाहते हैं। वे मुझे साफ कह रहे थे कि कोई और नहीं मिला तो तुम्हें ही मामले में फिट कर देंगे। पुलिस अधिकारियों ने उनके सामने ही यह कहा है कि बंटी के भाई आनंद प्रधान को पता है कि हत्यारे कौन हैं लेकिन वो सहयोग नहीं दे रहा है।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक सुभाष सिंह ठाकुर के साथ आनंद प्रधान भी जेजे हत्याकांड का आरोपी था। उसे पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार किया था। उसे इस मामले में 13 साल की सजा हुई थी लेकिन अच्छे चाल-चलन के कारण वह 9 साल में ही जेल से छूट कर बाहर आ गया था। अंधेरी से वह उसके बाद ही नालासोपारा आकर रहने लगा था। वह आज भी सुभाष सिंह ठाकुर से जुड़ा है।
श्री पांडे के मुताबिक श्री ठक्कर की शिकायत भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 341, 342, 348, 506, 34 के तहत दर्ज हुए इस मुकदमे की सुनवाई के लिए ठाणे अदालत ने 11 मई 2015 की तारीख मुकर्रर की है।
मुंबई, 20 अप्रैल 2015
पश्चिमी उपनगर मीरा रोड में बीयर बार के बाहर एसटी गिरोह के पुराने प्यादे विजय प्रधान उर्फ बंटी प्रधान को दो अज्ञात गुंडों द्वारा गोली मारने के मामले में पुलिस अधिकारी अब एक नए संकट में फंस गए हैं। पता चला है कि 58 साल के एक बुजुर्ग को तीन दिनों तक बिना सम्मन थाने में बुला कर मारपीट करके हत्या का कारण और हत्यारों के नाम जानने के लिए दी जा रही प्रताड़नाओं से दुखी होकर इस व्यक्ति ने आज अदालत के सामने पुलिस से बचाने की गुहार लगाते हुए दोषी पुलिसवालों को सजा देने की मांग की है।
बंटी प्रधान तीन साथियों समेत पुष्पक बार में खाना खाने के बाद बाहर निकला और बाहर इंतजार कर रहे दो हमलावरों ने गोलियां मार कर उसकी हत्या कर दी थी। इस हमले में उसका एक दोस्त सचिन मनोहर विजयकर भी बुरी तरह घायल हो गया था। उसका इलाज अभी भी अस्पताल में चल रहा है।
बंटी प्रधान हत्याकांड
में पुलिस प्रताड़ना के खिलाफ अदालत में गुहार लगाने वाले बुजुर्ग दुर्गेश ठक्कर
|
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि बंटी प्रधान गिरोह सरगना सुभाष सिंह ठाकुर गिरोह का गुर्गा है।
इस हत्याकांड में अब तक तीन विभिन्न कोण सामने आ चुके हैं. पहला तो यही है कि 40 एकड़ के एक भूखंड के सिलसिले में बंटी प्रधान की हत्या सुपारी देकर करवाई है। दूसरा कोण यह सामने आया है कि किसी बार बाला का चक्कर है, जिसके कारण उसके किसी करीबी ने हत्या करवा दी है। तीसरा कोण यह है कि उसे डी-कंपनी ने पुरानी दुश्मनी के चलते ही गोली से भुनवा दिया। यह बात और है कि पुलिस अधिकारियों ने इस मामले की जांच के लिए कुल 5 दस्ते गठित कर रखे हैं। कनकिया पुलिस थाना और मुंबई पुलिस की अपराध शाखा अपने – अपने स्तर पर अलग से छानबीन कर रहे हैं। इस तरह कुल 7 दस्ते जांच में लगे हैं लेकिन वे अभी तक खाली हाथ ही हैं।
इस मामले में तब एक नया मोड़ आ गया जब दुर्गेश ठक्कर नामक 58 साल के एक बुजुर्ग ने ठाणे अदालत में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्रताड़ित करने और मुठभेड़ में मार गिराने तथा मोका जैसे कठोर कानूम में फंसा कर जेल में सड़ाने की धमकियां देने का आरोप लगाते हुए एक शिकायत दर्ज करवाई है। अदालत में यह शिकायत उनके वकील संतोष पांडे ने दर्ज करवाई है। जब इस बारे में संतोष पांडेय से पूछा तो उन्होंने बताया कि अदालत ने इस मुकदमे को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। मुकदमे का नंबर 419/2015 है।
श्री पांडे के मुताबिक उनके मुवक्किल दुर्गेश ठक्कर पेशे से एक संपत्ति कारोबारी और सलाहकार हैं। उन्हें बंटी ने सात साल पहले यह कह कर उत्तरप्रदेश की एक जेल में ले जाकर मिलवाया था कि उनसे किसी के द्वारा कारोबार हेतु 50 लाख लेने वाले पर दबाव बना कर वह रकम निकलवा देगा। सात सालों में यह रकम नहीं तो नहीं मिली लेकिन उनके संपर्क बंटी प्रधान से बने रहे। इस दौरान बंटी भी लगातार उनके मुवक्किल से मिलता रहा।
घटना वाले दिन भायंदर (प) में रहन वाले दुर्गेश ठक्कर और बंटी काफी समय साथ ही थे। जब इस बारे में दुर्गेश ठक्कर से बात की तो उन्होंने बताया, “मैं और बंटी साथ में ही एक जमीन के कागजात की पुष्टि करने और सौदे के बारे में बात करने के लिए साथ में ही एक स्थान पर गए थे। बंटी ट्रेन से मीरा रोड स्टेशन तक आया था। वहां पर मैंने अपने कार चालक को भेजा और बंटी को पहले भायंदर दफ्तर बुलाया था। वहां से हम साथ में नायगांव गए थे। वहां हम मेघराज भोईर से मिले थे। 5.30 बजे हम नायगांव से मीरा रोड आए और सलमान हाशमी के दफ्तर पहुंचे क्योंकि उनका एक कार्यक्रम था। बंटी ने फोन करके सचिन को बुलाया था। वह अपना काले रंग की स्कोर्पियों कार लेकर आया था। वहां कुछ देर बैठने के बाद हम सब सचिन के कनकिया रोड स्थित दफ्तर में गए, जहां 10 मिनट बैठ कर हम सभी जहांगीर सर्किल पर तंबी डोसा वाले के पास नाश्ता करने गए। वहां से हम सभी श्री हाशमी के कार्यक्रम में पहुंचे। मैं लगभग सवा सात बजे घर चला गया। उसके बाद क्या हुआ, वह सब मुझे समाचारों में ही पता चला।”
श्री ठक्कर के मुताबिक पुलिस ने पूछताछ के लिए सलमान को बुलाया था। उसने बताया कि दुर्गेश ने उसका परिचय बंटी से करवाया था। इस पर पुलिस अधिकारियों ने 16 अप्रैल को बिना सम्मन दिए ही फोन करके पूछताछ करने के लिए कनकिया थाने में बुलाया। वहां पर उनके साथ बेहद बुरा सलूक हुआ। वे दोपहर साढ़े 12 बजे पहुंचे, जहां उन्हें रात 12.30 बजे छोड़ा। अगले दिन 12 बजे से रादत 10 बजे तक पूछताछ और बुरे बरताव तथा प्रताड़ना का दौर चलता रहा। 18 अप्रैल की दोपहर 12.30 से रात 12.15 तक उनके साथ प्रताड़ना, लगातार धमकियों और पूछताछ का दौर चलता रहा। हर बार कोई नया पुलिस अधिकारी आ जाता।
श्री ठक्कर बताते हैं कि मानसिक रूप से बीमार उनकी पत्नी जब थाने में पति की खैरख्वाह लेने पहुंची तो एक पुलिस अधिकारी ने उनके साथ भी बुरा बरताव किया। उन्होंने कहा, “यहां से भाग जाओ। ये तो दो – तीन साल के लिए मोका में जेल जाने वाला है, और तू तो एक साल में ही मर जाएगी।”
श्री ठक्कर के मुताबिक उनकी पत्नी की तो इसके बाद से ही हालत खराब हो रखी है। वे कहते हैं कि उनकी पत्नी 60 साल की है। एक वरिष्ठ और इस कदर बीमार महिला नागरिक से किस तरह बात करनी चाहिए, यह बात कम से कम हमारी पुलिस को मालूम होनी चाहिए। वे कहते हैं, “मेरा साथ वे तीन दिनों तक जुल्म करते रहे, मैं सहता रहा। अब सहन नहीं होता है। मैंने कोई अपराध नहीं किया है। मैं बस उसे जानता था क्योंकि वह मेरे पास जमीनों के सौदे लेकर आता था। मैंने कोई गलत काम नहीं किया है। जहां तक रह गई उसके संबंधों और पुराने कारनामों की तो मुझे उससे कोई लेना-देना ही नहीं है।”
वे आरोप लगाते हैं कि पुलिस अधिकारियों को इस मामले में आरोपी नहीं मिल रहा है इसलिए वे किसी को भी गिरफ्तार कर मामला सुलझाने का दिखावा करना चाहते हैं। वे मुझे साफ कह रहे थे कि कोई और नहीं मिला तो तुम्हें ही मामले में फिट कर देंगे। पुलिस अधिकारियों ने उनके सामने ही यह कहा है कि बंटी के भाई आनंद प्रधान को पता है कि हत्यारे कौन हैं लेकिन वो सहयोग नहीं दे रहा है।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक सुभाष सिंह ठाकुर के साथ आनंद प्रधान भी जेजे हत्याकांड का आरोपी था। उसे पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार किया था। उसे इस मामले में 13 साल की सजा हुई थी लेकिन अच्छे चाल-चलन के कारण वह 9 साल में ही जेल से छूट कर बाहर आ गया था। अंधेरी से वह उसके बाद ही नालासोपारा आकर रहने लगा था। वह आज भी सुभाष सिंह ठाकुर से जुड़ा है।
श्री पांडे के मुताबिक श्री ठक्कर की शिकायत भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 341, 342, 348, 506, 34 के तहत दर्ज हुए इस मुकदमे की सुनवाई के लिए ठाणे अदालत ने 11 मई 2015 की तारीख मुकर्रर की है।
Comments
Post a Comment