एक सड़क की चोरी मुंबई में

सड़क हो गई चोरी, न पता मनपा को, न पुलिस को

देश के सबसे व्यस्त और पुलिस की कड़ी निगरानी में सदा रहने वाले महानगर मुंबई में सरेराह एक सड़क की चोरी हो जाती है, और मजेदार बात तो यह है कि सड़क की मालिक मुंबई महानगरपालिका को पता ही नहीं चलता है। न तो वह पुलिस को बताती है, न ही आंतरिक जांच की जाती है। अब यह सड़क किसके कब्जे में है, यह हालांकी पता सभी विभागों के अधिकारियों को है, लेकिन मुश्किल यह है कि स्थानीय भू माफिया से पंगा कौन मोल ले?

मुंबई में अब तक तो हीरे से सोने तक, जेवरात से वाहनों, तमाम किस्म के मंहगे सामान की चोरियां होती रही हैं, लेकिन एक सड़क की चौरी हो जाना कितने बड़े अचरज का विषय है। आरटीआई कार्यकर्ता नदीम कपूर कहते हैं, “सच तो यही है। भले ही एस व्यंग्य के रूप में लें लेकिन असलियत तो यही है कि मनपा अधिकारियों की नाक के नीचे एक सड़क पर भू माफिया कब्जा कर लेता है और कुछ नहीं कर पाते हैं। हो सकता है कि यह भू माफिया इतना ताकतवर हो कि अपनी ही सड़क फिर हासिल करने की हिम्मत ये मनपा अधिकारी और कर्मचारी कर ही नहीं पाते हैं।”
नाले पर बनी फर्नीचर की अवैध दुकान

वे बताते हैं कि आरटीआई के तहत हासिल किए दस्तावेजों से यह साफ जाहिर होता है कि घाटकोपर स्थित एलबीएस रोड पर आर सिटी मॉल के पास बने लगभग 4.8 मीटर चौड़े पार्कसाईट मेजर नाले की सफाई के लिए इस मॉल का निर्माण कर रहे रूनवाल बिल्डर ने 5 मीटर चौड़ी सड़क मनपा के विभाग एसडब्ल्यूडी के आदेश पर एमएस का गेट, सड़क बना कर देने और रीटेनिंग वॉल बना कर सौंपी थी। जहां तक रुनवाल बिल्डर की परियोजना थी, वहां तक की सड़क और दीवार बना कर देने का आदेश जारी हुआ था। इसके सड़क व दीवार के बदले में रुनवाल बिल्डर को मनपा ने टीडीआर उतना ही दिया था, जितनी सड़क छोड़ी थी। इसका मतलब यह हुआ कि मनपा की एनओसी हासिल करने के बाद रूनवाल बिल्डर को एसडब्ल्यूडी का फायदा मिला था।

इस सड़क की उपयोगिता यह है कि उससे होकर मनपा के कचरा और गाद सफाई करने वाले वाहन एवं कर्मचारी पार्कसाईट मेजर नाले के साथ – साथ आगे तक जाकर नियमित रुप से सफाई करेंगे। बारिश के पहले तो इसकी सफाई के लिए इस तरह की सड़क की जरूरत और भी हो जाती है।

अब वही सड़क गायब हो चुकि है। असल में इस सड़क का मुख्य दरवाजा हमेशा ताला लगा कर बंद रखा जाता है। अब वह दरवाजा गायब है। उसके बदले सामने एक दुकान बन गई है। यह दुकान लगभग 10 हजार वर्ग फुट की है। यहां पर अब भू माफिया लगातार अतिक्रमण कर रहा है। पता चला है कि इस स्थान पर अवैध रूप से फर्नीचर की एक दुकान चल रही है।

यह भी सुना जा रहा है कि एक जौहरी यहां लगभग 3 हजार वर्ग फुट की जगह अपने नए शोरूम के लिए खरीदना चाहता है। सूत्रों के मुताबिक स्थानीय भू माफिया से इस 3 हजार वर्ग फुट जगह के लिए लगभग साढ़े सात करोड़ रुपए में करने के लिए सौदेबाजी जारी है। अपुष्ट खबरों के मुताबिक इस सौदे का एक हिस्सा पूरा भी हो गया है। लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपए जौहरी द्वारा भू माफिया को दिया जा चुका है।

जब यह खबर बाजार में आ गई और इसकी शिकायत पार्क साईट पुलिस थाने में की जा चुकि है। इसके बाद से ही जौहरी को भय सताने लगा कि उसकी रकम डूब जाएगी और अतिक्रमण होने के कारण उसका शोरूम कभी भी तोड़ा जा सकता है तो वह भू माफियाओं से अपनी अग्रिम रकम वापस लेने की कोशिश करने लगा है।

मनपा अधिकारियों की मिलीभगत

सड़क की चोरी और भू माफियाओं को अभयदान देने में कुछ स्थानीय मनपा अधिकारियों और राजनीतिक संरक्षण की बात भी सामने आ रही है। यह पर खुलेआम हो रहे अतिक्रमण की जानकारी एक बार के सर्वेक्षण से ही पता चल सकती है लेकिन शिकायतें होने या फिर आरटीआई के तहत जानकारियां हासिल करने के बावजूद अधिकारी वहां न तो सर्वेक्षण ही करते हैं, न ही ये पता करते हैं कि अतिक्रमण हुआ है कि नहीं।
नाले का वह हिस्सा जहां की सड़क पर अवैध
कब्जा कर लिया है भू माफिया ने


यह तो साफ है कि सड़क बंद होने के कारण पार्कसाईट मेजर नाले की सफाई लगभग साल भर से अधिक समय से नहीं हो रही है। पार्कसाईट मेजर नाले की सफाई के लिए जाने वाले कर्मचारी भी निश्चित तौर पर यह जानकारी अपनी रपट में करते होंगे ही कि वे यहां का मार्ग अवरुद्ध होने की वजह से कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में अधिकारियों के पास यह जानकारी निश्चित तौर पर होगी कि सड़क पर अतिक्रमण हो चुका है।

पता चला है कि इस सिलसिले में मनपा के एन वॉर्ड के वॉर्ड अधिकारी, अतिक्रमण विभाग – बिल्डिंग एंड फैक्ट्री के सहायक आयुक्त और एसडब्ल्यूडी के सहायक आयुक्त को लिखित शिकायतें  19 नवंबर 2014 को, लगभग पांच माह पहले की थीं।

इन शिकायतों पर कार्रवाई नहीं हुई तो श्री कपूर ने एक आरटीआई अतिक्रमण विभाग – बिल्डिंग एंड फैक्ट्री के सहायक आयुक्त के पास 24 नवंबर 2014 को भेजी, जिसमें शिकायत पर की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी। मजेदार बात यह है कि आरटीआई के तहत अधिकृत रुप से 12 दिसंबर 2014 को जवाब मिला, “ इस कार्यालय द्वारा किसी भी अतिक्रमण को कोई इजाजत नहीं दी है। कोई नोटिस इसलिए जारी नहीं किया जा सका है क्योंकि अवैध निर्माण की प्रमाणिकता एवं वैधता पर दस्तावेज पेश नहीं किए हैं। आज तक कोई भी शिकायत ढांचे के संदर्भ में नहीं मिली है।”

दूसरी तरफ एन वॉर्ड के सहायक अभियंता – कारखाना व इमारत द्वारा एक जवाबी पत्र नदीम कपूर की शिकायत पर भेजा है। पत्र क्रमांक एसीएन/30854, 30855, 30856/बीएंडएफ, दिनांक 31 दिसंबर 2014 में यह साफ तौर पर लिखा गया है कि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं बल्कि सहायक आयुक्त, एसडबल्यूडी के अधिकार क्षेत्र में आता है। उन्हें सहायक आयुक्त, एसडबल्यूडी का पता भी इस पत्र में दिया है। यह विचार करने वाली बात है कि क्यों आखिरकार एन वॉर्ड के सहायक अभियंता – कारखाना व इमारत ने नदीम कपूर की यह शिकायत सहायक आयुक्त, एसडबल्यूडी को आधिकारिक रूप से खुद ही अग्रेषित नहीं की? यदि वे ऐसा करते तो सहायक आयुक्त, एसडबल्यूडी को इस मसले पर कार्रवाई करनी ही पड़ती।

मजेदार बात यह है कि नपा अधिकारियों ने शिकायत अधिकृत रुप से स्वीकार की थी। भू माफिया के सामने नतमस्तक मनपा अधिकारियों ने आज तक इस बारे में कोई कार्रवाई नहीं की है। सवाल उठता है कि आखिरकार शिकायत मिलने पर भी ये कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है?

कतिपय सूत्रों के मुताबिक पार्कसाईट मेजर नाले के पास बनी सफाई सड़क के सिलसिले में स्थानीय भू माफिया और कुछ राजनीतिक हस्तियों की मिलीभगत होने के कारण मनपा अधिकारी इस मामले में हाथ डालने से घबरा रहे हैं।

घाटकोपर में होगा 26 जुलाई जैसी बाढ़ का नजारा!

घाटकोपर (प) में एलबीएस रोड के करीब लगभग पांच मीटर चौड़ा पार्कसाईट मेजर नाला है। यह नाला इन दिनों गाद, मिट्टी, कचरे, प्लास्टिक, कागज से पटा पड़ा है। पार्कसाईट मेजर नाला इस बारिश में भारी तबाही ला सकता है। यह कोई राज की बात नहीं है क्योंकि पार्कसाईट मेजर नाले से लगी वह सड़क अतिक्रमण का शिकार बन गई है, जिससे होकर महानगरपालिका के वाहनों को नाले की सफाई के लिए अंदर जाना होता है।

सफाई के अभाव में कचरे, गाद और कीचड़ से भर गया है नाला

सूत्रों के मुताबिक एलबीएस रोड पर स्थित आर सिटी मॉल के पास बने विशाल पार्कसाईट मेजर नाले से लगी सड़क थी। यह सड़क असल में आर सिटी मॉल बनाते समय नियमानुसार बिल्डर ने महानगरपालिका को दी थी। यह पांच मीटर चौड़ी सड़क आर सिटी मॉल के पिछले हिस्से में पूरी लंबाई में बनी हुई है। यहां पर मॉल से उसे अलग करने वाली कई फुट ऊंची दीवार भी थी। यह दीवार भी उस सड़क के साथ ही चोरी चली गई। पता चला है कि यह अचरज भरा कारनामा कैसे हुआ है, उसका जवाब मनपा अधिकारियों के पास भी नहीं है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस सड़क के न होने से और उसकी सुरक्षा के लिए बने दरवाजे और दीवार के भी गायब हो जाने के चलते पार्कसाईट मेजर नाले की सफाई के लिए मनपा के वाहन अंदर तक नहीं जा पा रहे हैं। इसके चलते पिछले 8 माह में उसकी सफाई करना मुमकिन ही नहीं हो पाया है। इस कारण पार्कसाईट मेजर नाले में गाद, मिट्टी, कचरा, प्लास्टिक जमा होता जा रहा है। यदि जल्द ही इसकी सफाई नहीं हुई तो वह दिन दूर नहीं, जब पार्कसाईट मेजर नाले में कचरा पूरी तरह फंस जाएगा। उसके बाद तो पार्कसाईट मेजर नाले का सारा पानी एलबीएस रोड समेत आसपास के इलाके में भर देगा।

आसपास के लोगों को अब यह भी डर सता रहा है कि कहीं पार्कसाईट मेजर नाला इस इलाके में भी मिठी नदी जैसा विकराल स्वरुप न धारण कर ले। यदि ऐसा होता है तो आसपास के घरों में पानी भर जाएगा और बड़े पैमाने पर न केवल लोगों का नुकसान होगा बल्कि बीमारियां भी फैलेंगी।

स्थानीय नागरिकों ने इस बारे में मनपा को सूचित भी किया लेकिन अधिकारी हैं कि कानों में तेल डाले सो रहे हैं। उन्हें यह पता ही नहीं चल रहा है कि घाटकोपर पश्चिम का यह इलाका कितनी बड़ी आसन्न मुसीबत के रूबरू होने जा रहा है।

कुछ स्थानीय नागरिकों ने कहा है कि अगर पार्कसाईट मेजर नाले के कारण यहां बाढ़ की हालत बनती है और घरों में पानी भरता है तो वे मिल कर मनपा के उन अधिकारियों के खिलाफ नुकसान भरपाई का मुकदमा करेंगे, जिन पर पार्कसाईट मेजर नाले की सफाई की जिम्मेदारी है। उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने के लिए वे अदालत में जाएंगे जिन्हें सड़क पर अतिक्रमण होने से रोकना चाहिए था।

सड़क गायब होने के पीछे घोटाला 175 करोड़ का!

आर सिटी मॉल के पीछे नाले की सफाई के लिए जो सड़क छोड़ी गई थी, इस पर अतिक्रमण होने के कारण सरकार को राजस्व का खासा नुकसान हो रहा है। यह अतिक्रमण लगभग 175 करोड़ रुपए के घोटाले में तब्दील होने जा रहा है।

लगभग 500 मीटर लंबाई में इस सड़क पर अतिक्रमण अंतरूनी तौर पर ही चल रहा है। इस लिहाज से देखें तो 500 मीटर गुणा 5 मीटर मिला कर 2,500 वर्ग मीटर याने कि लगभग 27 हजार वर्ग फुट भूखंड पर कब्जा और गोदाम व दुकानें बन जाएंगीं। अभी तो महज 10 हजार फुट जगह पर ही निर्माण हो सका है। यहां पर व्यावसायिक इस्तेमाल की जगह का भाव लगभग 30 हजार रुपए प्रति वर्ग फुट का चल रहा है।

सड़क पर कब्जा करके जो कुल 10 हजार वर्ग फुट का निर्माण हुआ है, उसकी ही कीमत आज 30 करोड़ रुपए के आसपास आंकी जाती है।

मोटा अनुमान है कि इस लिहाज से कुल 27 हजार वर्ग फुट पर भू माफिया का कब्जा करके बाजार में इसी दर पर बेचता है तो कुल 81 करोड़ रुपए कमा कर खिसक लेगा।

मोटा अनुमान है कि रूनवाल बिल्डर को इस 27 हजार वर्ग फुट जमीन के सामने लगभग इतना ही व्यावसायिक इस्तेमाल का टीडीआर भी मिला होगा। इसका मतलब यह हुआ कि रूनवाल बिल्डर यदि अपने मॉल या किसी व्यावसायिक इमारत में यह 27 हजार वर्ग फुट अतिरिक्त जगह का निर्माण करता है तो उसे लगभग 35 हजार रुपए प्रति वर्ग फुट का भाव मिल सकता है। इसका मतलब यह है कि सरकार को लगभग 94.50 करोड़ का फायदा हो सकता है।

एक नजर में देखा जाए तो रुनवाल बिल्डर को भी फायदा हो रहा है, भू माफिया को भी फायदा हो रहा है, नुकसान हो रहा है तो महानगरपालिका को, सरकार को और घाटकोपर में रहने वाली जनता को। कुल साढ़े 175 करोड़ का तो यही सीधा नुकसान हो जाता है।

नदीम कपूर का दावा है कि चूंकि मनपा के एसडब्ल्यूडी विभाग द्वारा पार्कसाईट मेजर नाले के पास वाली सड़क बनाने और सौंपने को लेकर जारी की गई एनओसी तब तक ही वैध है, जब तक कि रूनवाल बिल्डर का प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो जाता है। मॉल का निर्माण अभी भी जारी है। अभी तक मॉल को ओसी भी नहीं मिली है। मनपा के नियमानुसार ओसी मिले बगैर यदि सड़क पर अवैध कब्जा किसी और द्वारा किया जाता है तो एनओसी रद्द हो जाती है।

नदीम कपूर यह भी दावा करते हैं कि ऐसे में हासिल हुआ टीडीआर भी वापस होना चाहिए। वे कहते हैं, “मनपा अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि रुनवाल बिल्डर या तो सड़क पर अवैध कब्जा तब तक न होने दे, जब तक कि उसके मॉल का निर्माण पूरा नहीं हो जाता है और उसे ओसी नहीं मिल जाता है, जब तक कि वह इस सड़क का कब्जा मनपा को नहीं सौंप देता है।”

वे कहते हैं कि इस सिलसिले में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के पास भी शिकायत दर्ज करवाने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस मामले में उनकी सुरक्षा को खतरा बन गया है। स्थानीय भू माफिया ने उन पर निगरानी रखने और उनका अहित करने के लिए कुछ गुंडों को सुपारी दी है, यह सूचना उन्हें मिली थी। इसकी जानकारी एक पत्र के द्वारा वे मुंबई पुलिस आयुक्त को भी दे चुके हैं।

नीचे दिए हैं इस संबंध में कुछ दस्तावेज




Comments