- हजार किलो सोना आ रहा है मुंबई
- दक्षिण भारतीय हवाईअड्डा बंदी से बढ़ी तस्करी
- हैदराबाद और दिल्ली में भी तस्करी बढ़ी
- कर्मचारियों की मिलीभगत से बढ़ी तस्करी
मुंबई, 26 मई 2015
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई अब स्वर्ण तस्करी राजधानी में तब्दील हो चुकि है। इस दिशा में न तो कस्टम्स ही अधिक कुछ कर पा रही है, न ही डीआरआई, ईडी समेत देश की अन्य कोई जांच एजंसी कुछ कर पाने की स्थिति में दिख रही हैं। एक मोटे अनुमान के मुताबिक हर दिन कम से कम एक हजार किलो सोना तस्करी के जरिए मुंबई, हैदराबाद और दिल्ली के हवाई अड्डों पर उतरने लगा है। इसका एक कारण यह बताया जा रहा है कि कुछ दक्षिण भारतीय हवाई अड्डों से विदेश से आने-जाने वाली उड़ानें इन हवाई अड्डों पर भेजी जा रही हैं।
चमकीले सोना कितना काला होता है, यह अगर समझना है तो मुंबई हवाई अड्डे हो रही तस्करी और उसकी मात्रा से सब कुछ साफ होता है। इन दिनों सोने के भाव भले ही कम हो रखे हों, उसके बावजूद तस्करों की तो चांदी ही हो रखी है। सोना भले ही सस्ता होने से कारोबारियों और खरीददारों को फायदा हो रहा है, तस्करों को भी भारत में मोटी कमाई हो रही है। सरकार द्वारा सोने पर टैक्स लादने के बाद से ही यह मंहगा हुआ लेकिन तस्करी में खासा उछाल आ गया।
पता चला है कि मुंबई, दिल्ली और हैदराबाद के हवाई अड्डों पर अब हर दिन लगभग एक हजार किलो सोना तस्करों के कैरियर उतार रहे हैं। यह पता चला है कि अब सोने की तस्करी में सिर्फ सुरक्षा एजंसियों के अधिकारी ही नहीं लिप्त हैं बल्कि बड़े पैमाने पर विमानन कंपनियों के कर्मचारी भी मिले हुए हैं। इसके अलावा हवाई अड्डों पर तस्करों पर निगरानी रखने वाले अधिकारियों में से भी कुछ की मिलीभगत से तस्करी का सोना बड़ी मात्रा में बाजार में पहुंच रहा है।
सोने की तस्करी का अनोखा तरीका - तस्वीर साभार इंडियन एक्सप्रेस |
सोने की तस्करी का अर्थशास्त्र
बता दें कि हर एक किलो सोना हवाई अड्डे पर सुरक्षित बाहर निकल आने पर वह तस्कर के लिए कम से कम ढाई लाख रुपए का मुनाफा तय कर देता है। पता चला है कि दुबई समेत कुछ खाड़ी देशों के अलावा मलेशिया और थाईलैंड से जो सोना लाया जा रहा है, वह सभी खर्चे काट कर भी तस्करों को मोटा मुनाफा दे रहा है। यदि इस ढाई लाख रुपए की दर से देखें तो हर दिन तकरीबन 25 करोड़ रुपए की मोटी कमाई हो रही है।
मिलीभगत ने बढ़ाई तस्करी
सूत्रों के मुताबिक हवाई यात्रियों के जरिए ही यह सोना तस्करी हो रही है। कई मामलों में यह भी देखा जा रहा है कि विमान के किसी शौचालय या कुर्सी के नीचे सोने की खेप छुपा दी जाती है। बाद में वह सोना किसी विमानकर्मी या सुरक्षाकर्मी की मिलीभगत से बाहर निकल जाता है। इतना ही नहीं, कचरे में भी तस्करी का सोना डाला जाता है जो कि अधिक सुविधा से किसी की नजर में आए बिना ही हवाई अड्डों के बाहर पहुंच रहा है।
एक सूत्र ने पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि तस्करों और कैरियरों ने अब उन चारों एजंसियों में घुसपैठ कर ली है, जिन पर सोना तस्करी रोकने की जिम्मेदारी है। इस सूत्र का कहना है कि यात्रियों के सामान की जांच दो स्तरों पर होती है। एक तो सामान विमान से उतारने के बाद पहली बार एक्सरे में से निकला है। यहां मौजूद कस्टम्स अधिकारी संदिग्ध सामान पर एक खास निशान लगाते हैं। जब यह निशान लगा सामान आगे निकला है तो उसे दुबारा एक्सरे से निकाला जाता है। अधिक पारखी निगाहों के सामने से जब यह सामान निकलता है और उसमें सोने की खेप की पुष्टि हो जाती है तो ये अधिकारी सामान बेल्ट से आगे का काम उन कस्टम्स अधिकारियों को सौंप देते हैं, जो यात्री कक्ष में मौजूद होते हैं। जब कैरियर यह सामान लेकर निकलने की कोशिश करता है तो उसे रंगे हाथों पकड़ा जाता है।
दिल्ली हवाई अड्डे पर शौचालय से मिले तस्करी के सोने की खेप - तस्वीर साभार इंडिया टुडे |
मंहगा सोना - सस्ती तस्करी
सोना महंगा हुआ तो सन 2012 में ही तस्करी तेज होने के संकेत मिलने लगे थे। साल 2012 में अप्रैल से जून के बीच तीन महीनों में ही देश भर में तस्करी के लगभग 200 मामलों में कुल 942 करोड़ रुपए का सोना विभिन्न सुरक्षा एवं जांच एजंसियों द्वारा जब्त किया था। सोने का अंधाधुंध आयात रोकने के लिए सरकार की कोशिशें नाकाम हो रही हैं क्योंकि सरकार ने जब सख्त उपाय शुरू किए तो सोना तस्करी ने जोर पकड़ लिया।
पिछले कुछ माह में भारतीय हवाई अड्डों पर सोने की धरपकड़ 10 गुना बढ़ी है। यह एक चिंताजनक बात इसलिए भी है क्योंकि जितना सोना पकड़ा जा रहा है, उससे 10 गुना अधिक चोरी-छुपे बाजार में पहुंच भी रहा है। बाजार विशेषज्ञों ने तब भी कहा था कि कि सोना आयात नियंत्रित करने के लिए आयात पर कर बढ़ाते ही तस्करी तेज हो जाएगी। और ऐसा हो भी गया है।
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक सन 2012 के पहले तीन महीनों के मुकाबले तस्करी में 272 फीसदी की बढ़त देखी गई थी। अप्रैल से जून 2011 में कुल 20 मामलों में 243 करोड़ रुपए का सोना जब्त हुआ था।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल से जून 2011 में भारत का आधिकारिक सोना आयात 56 फीसदी घट कर कुल 131 टन रह गया था। सोना आयात में गिरावट के पीछे ऊंची ड्यूटी और बढ़ी कीमतें रही हैं।
सोना तस्करी में तेजी का मतलब यह भी है कि सोने की असल मांग उतनी कमजोर नहीं है, जितना सरकारी अधिकारिक आंकड़ों में दिखाया जा रहा है। सभी जानते हैं कि भारत सोने का सबसे बड़ा बाजार है। पिछले कुछ सालों में भारत में सोने की मांग में खासी तेजी आई है। 2013-14 में भी सोना कारोबार में अप्रत्याशित उछाल दिखा। यह भी पता चला है कि बढ़ती महंगाई में लोगों ने सोने का इस्तेमाल काला धन छुपाने के लिए भी किया है।
जारी...
हिंदी दैनिक वृत्त मित्र व मराठी दैनिक मुंबई मित्र में प्रथम प्रकाशन (अंक 27 मई 2015)
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