सोना तस्करों की चांदी – भाग 2 : गलत सरकारी नीतियों का नतीजा है सोना तस्करी

  • सोने पर बढ़े टैक्स ने तस्करी बढ़ाई
  • संपत्ति बाजार टूटा तो सोने में बढ़ा निवेश
  • मोटे मुनाफे ने मोड़ा सोना तस्करी में
  • सोना भावों की कृत्रिम तेजी ने बढ़ाई तस्करी
विवेक अग्रवाल
मुंबई, 27 मई 2015

एक तोला सोना कुछ महीनों पहले तक ही लगभग 33 हजार रुपए की आसमानी कीमत को छू रहा था लेकिन आज यह घट कर भले ही 27 हजार 400 रुपए प्रति 10 ग्राम की कीमत पर आ पहुंचा हो, यहां तक भी पहुंचना आम आदमी के बस की बात नहीं है। सरकार ने सोना आयात के कारण विदेशी मुद्रा में हो रही कमी रोकने की जो कवायद शुरू की थी, वही उसके लिए नया सिरदर्द पैदा करने लगी। सोने की तस्करी ने जोर पकड़ लिया। इसके लिए एक ही कारण उत्तरदायी नहीं माना जा सकता है।

सोने की मांग बढ़ने या कीमत बढ़ने के कारण ही अकेले नहीं जिनके कारण सोने की तस्करी बढ़ने की बात सही नहीं है। असल में सोने की मांग घटाने के चक्कर में सोने की तस्करी करवाने लगी है सरकार खुद ही। एक तरफ सोने पर 4 से 10 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लग गई। दूसरी तरफ एक फीसदी वैट ने रही सही कसर पूरी कर दी। ऊपर से मुंबई में लगने वाला प्रति किलोग्राम 3,200 रुपए का चुंगी कर। जिस तरह से सरकार ने टैक्स थोपे हैं। प्रति किलो सोने पर तस्करी से लगभग 2.50 से 3.50 लाख रुपए की कमाई हो जाती है जो वाकई में बड़ी कमाई मानी जा सकती है।

कितना कर – कितना मुनाफा
सोने की छड़ों पर 56,000 रुपए प्रति किलो आयात शुल्क लगने लगा। 1,40,000 रुपये प्रति किलो बिस्कुट या जेवरात के आयात पर शुल्क लाद दिया। और 50,000 रुपये वैट और बीमा खर्च जुड़ जाने से सोना पछले साल के मुकाबले इस साल लाने में प्रति किलो लगभग 2.50 लाख रुपए का टैक्स बचा कर और लगभग 1.60 लाख रुपए कीमत का दुबई से मुंबई के बीच का फर्क कुल मिला कर प्रति किलोग्राम 4 लाख 10 हजार रुपए हो जाता है। जिसके कारण तस्करों को भारी मुनाफा होने लगा है।

सोने में मोटा मुनाफा
इसके अलावा कुछ अन्य कारण तस्करी बढ़वाने के लिए जिम्मेदार माने जा सकते हैं। उनमें से एक सोने के भाव में तेजी ही है। सोने के भाव असल में इसलिए भी बढ़े हैं क्योंकि एक तरफ तो रियलीटी मार्केट में बनी हुई कृत्रिम तेजी पिछले एक दशक में कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। रियलीटी मार्केट अब निवेशकों के लिए मुनाफे का सौदा नहीं रह गया है। इसके चलते निवेशकों ने सोने में निवेश करना शुरू किया है।

सब जानते हैं कि जबसे कानूनी तौर पर सोने का आयात खुला था, तस्करी पर लगाम लग गई थी। ड्यूटी में बढ़ोतरी होते ही तस्करों को यह क्षेत्र आकर्षित करने लगा।

मेंहदी में छुपा कर लाया 100 किलो सोना हुआ जब्त - तस्वीर साभार - हिंदू बिजनेसलाईन

आतंकी और सोना
सोने की तस्करी का सीधा सा एक और मतलब है कि आतंकी गतिविधियों में तेजी आएगी क्योंकि सोने के भंडार पर लूटपाट के जरिए आतंकियों ने भी खासा कब्जा किया है। आतंकी मोटी रकम कमाने के चक्कर में भारत में अपने नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं।

एक स्वतंत्र शोध के मुताबिक भारतीयों के पास 18 हजार टन सोना जमा है, जो बताता है कि हिंदुस्तानियों में इस पीली धातु के कितनी दीवानगी है। यही दीवानगी सोने के तस्करों को भी बहुत भाती है।

सरकार ने छह महीने विदेश में रह कर लौटे भारतीयों को पहले दस किलो सोना लाने की जो छूट दी थी, वह कम करके मात्र 1 किलो कर दी है। इस पर सरकार ने कहा कि इससे घरेलू जेवरात उद्योग पर बुरा प्रभाव पड़ने से बचाया जा सकेगा।

सोने में नकली तेजी
सोने के दामों में उछाल लंबे समय तक जारी रहा है। एक तोला सोना 33 हजार रुपए की ऊंचाई पर पहुंच कर भी और आगे जाने के लिए बेताब लग रहा था। असल में यह तेजी नकली मानी जा रही है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि सोना कारोबारियों द्वारा बाजार के हालात देखते हुए तेजी दिखा कर मोटा मुनाफा कमाया जा रहा है।

कारोबारियों के मुताबिक भारत में सोने के दाम बढ़ने की वजह विश्व स्तर पर सोने के भावों में उछाल और डॉलर के मुकाबले रुपए की खस्ता हालत के अलावा यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ईसीबी) की बॉन्ड्स की खरीदारी के ऐलान, अमेरिका में नौकरियों की खराब हालत और कमजोर आर्थिक हालात के कारण भी सोने के दामों में बढ़त हुई। ऐसे बहुतेरे लोग हैं जो इस राय से इत्तेफाक नहीं रखते हैं।

सोने के भावों में प्यूचर ट्रेडिंग याने कि सट्टेबाजी के कारण भी नकली तौर पर तेजी आई है। उन दिनों सट्टेबाजों ने कहना शुरू कर दिया था कि सोने के भाव 35 हजार रुपए तोला तक जा पहुंचेंगे। इस तरह सटोरियों ने पहले से मोटी मलाई जीमने का जरिया खोल लिया था। दुकानदार और सोना कारोबारी भले ही कह रहे थे कि सोने के जेवरात खरीदने पर सेवा शुल्क और वैट लगाने के बाद सोने के दाम 30 हजार के ऊपर ही हो जाते थे।

विशेषज्ञों के मुताबिक अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में सोने के दामों में उन दिनों भारी उछाल आने के कारण भी भारत में भाव बढ़े थे। हमेशा तो यह होता था कि पितृपक्ष में सोने के भाव गिरते थे लेकिन आज से दो साल पहले तो यह आकलन भी गलत साबित हुआ।

बाजार के जानकारों का कहना है कि वो दिन गए, जब त्‍योहार, अच्‍छे या बुरे दिन या शादियों के आधार पर सोने के भावों में उतार-चढ़ाव होता था। अब अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार और फ्यूचर ट्रेडिंग याने सट्टेबाजी के आधार पर पीली धातु के भाव तय होते हैं।

भारत ने साल 2011-12 में कुल 969 टन सोना का वैध रूप से आयात किया था जिसकी कीमत लगभग 60 अरब डॉलर थी। रुपए के टूटने के कारण भारत का चालू खाता घाटा बढ़ कर रेकॉर्ड 78.2 अरब डॉलर तक जा पहुंचा है। जो कि जीडीपी का 4.2 फीसदी है। इसके कारण सरकार ने सोने पर चार फीसदी का आयात शुल्क लगा तो दिया लेकिन उसका नतीजा उलटा ही दिखने लगा है।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, तटीय सुरक्षा, सी. सायलेंद्र बाबू रामनाथपुरम जिले के मंडपम मरीन पुलिस थाने में जब्त सोने की खेप का निरीक्षण करते हुए - तस्वीर साभार - द हिंदू

सोना आयात हुआ मंहगा
आपको बता दें कि देश में सालाना सोने की खपत लगभग 900 टन है। देश में स्वर्ण आभूषणों का कारोबार सालाना तीन लाख करोड़ का है। यह भी सभी जानते हैं कि भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा आयातक है। भारत में सोना आयात लगातार बढ़ रहा है।

वर्ष 2008-09 में 36 अरब डॉलर का सोना भारत आयात हुआ, वहीं सन 2009-10 के पहले नौ माह में यह 50 अरब डॉलर हो गया था। आंकड़े बताते हैं कि सन 2009-10 में 8,50,985 किलो सोना आयात हुआ तो वर्ष 2010-11 में 9,69,736 किलो हो गया। 2011-12 में फरवरी तक 9,86,126 सोना भारत आया था। 16 जनवरी 2012 के पहले औद्योगिक इस्तेमाल की सोने की छड़ों पर प्रति तोला 300 रुपए तथा आम आदमी के उपयोग वाले सोने (बिस्किट या जेवरात) पर प्रति तोला 750 रुपये आयात शुल्क सरकार वसूल रही थी। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीडीटी) ने इसे बदल कर औद्योगिक उपयोग के आयातित सोने पर दो फीसदी और आम आदमी के उपयोग वाले सोने पर पांच फीसदी शुल्क लाद दिया।

सरकार का मानना था कि इससे 3,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी। आय तो नहीं हुई ऊपर से तस्करी बढ़ चली। आंकड़े बताते हैं कि पहले प्रतिदिन छह टन सोना आयात होता था जो घट कर तीन टन से भी हो गया। सोने की मांग में कमी नहीं आई। इसका सीधा सा मतलब यही है कि देश में सोना तस्करी बढ़ी।

सोना खरीद में पैन कार्ड
दो लाख रूपए या उससे ज्यादा कीमत का सोना या जेवरात खरीदने पर पैन कार्ड की जिरॉक्स ग्राहक से लेना जरूरी करने के कारण भी तस्करी और अवैध बाजार में रौनक लौट आई।

दो लाख रुपए या अधिक कीमत के सोने या आभूषणों की खरीद में स्त्रोत पर टीडीएस काटने का प्रावधान भी कारोबारियों के लिए संकट बन गया। इससे आम ग्राहकों में सोने के जेवरात या छड़ें व गिन्नियां काला बाजार से खरीदने का रुझान अधिक देखा जा रहा है। सोने की वैध मांग में भारी कमी आ चुकी है और कारोबार में तकरीबन 30 फीसदी की कमी दिख रही है।

सुधार के कदमों ने सोने की तस्करी के अलावा कई किस्म की परेशानियां भारतीय सोना उद्योग के लिए पैदा कीं। स्वर्ण अयस्क और सोने की छड़ों का आयात भी अव्यवहारिक होता गया। बाजार पंडितों के मुताबिक पहले से ही क्षमता से 30 फीसदी कम उपयोग कर रही रिफायनरियों के कामकाज में लगभग 10 फीसदी की कमी दिखने लगी थी।

पुराने तस्कर फिर हुए सक्रिय
सोना आयात महंगा होते ही सोने के पुराने तस्कर फिर सक्रिय हो गए। थोक कारोबारियों से संपर्क कर उन्होंने फिर से अपने कैरियरों को बाजार में उतार दिया है। ये कैरियर अब एक बार फिर दुबई समेत तमाम खाड़ी देशों के चक्कर लगाने लगे हैं। मुंबई के अलावा दिल्ली, चेन्नई और बंगलूर हवाई अड्डों के कस्टम अधिकारियों ने भी तस्करी के बढ़ते ट्रेंड को ध्यान में रखते हुए रात की खाड़ी देशों से आने वाली सभी उड़ानों पर विशेष निगरानी रखनी शुरू कर दी है।
जारी...
हिंदी दैनिक वृत्त मित्र व मराठी दैनिक मुंबई मित्र में प्रथम प्रकाशन (अंक 28 मई 2015)

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