विशेष संवादताता
मुंबई, 25 मई 2015।
शिवसेना चित्रपट शाखा के महासचिव श्रीकांत शिंदे उर्फ राजू शिंदे (45) पर हुई गोलीबारी के मामले में एक बात साफ हो गई है कि मुंबई में तेजी से कामयाब होते जा रहे गिरोह सरगना रवि पुजारी के गुंडों ने यह हमला किया था। हमलावरों की एक छोटी सी गलती के कारण वे पुलिस की निगाह में आ गए हैं। यह पता चल गया है कि हमला किसने और क्यों करवाया है। अब बस हमलावरों की गिरफ्तारी होना शेष है।
राजू शिंदे की हालत हमले के अगले दिन तक गंभीर बताई जा रही थी। उसका इलाज मुंबई के उपनगर विलेपार्ले स्थित नानावटी अस्पताल में चल रहा है। उसे कुल तीन गोलियां लगी थीं। दो गोलियां पेट में लगी थीं, जबकि एक गोली हाथ में लगी थी। राजू शिंदे का एक फोटो इस अखबार के पास है, जिसमें यह साफ दिख रहा है कि उसके पेट में लगी एक गोली सामने से लग कर दाहिनी ओर से बाहर निकल गई थी। एक गोली पेट में ऊपर लगी थी, जो कि बाद में उसके पेट में होने की संभावना थी। यह बताया जा रहा है कि राजू के शरीर से सभी गोलियां निकाली जा चुकि हैं और वह हमले के आघात से धीरे-धीरे उबर रहा है।
हमला क्यों हुआ
सूत्रों के मुताबिक राजू शिंदे पर हमला असल में मूंछों की लड़ाई और इलाके पर कब्जा करने की जुगत के चलते हुआ है। पता चला है कि पिछले दो माह से राजू शिंदे पर रवि पुजारी उर्फ आरपी का दबाव लगातार बन रहा था कि वह फिल्म सिटी का कारोबार समेट कर चलता बने। अब वहां रवि पुजारी के लोग कारोबार करेंगे।
बता दें कि राजू शिंदे का सेट निर्माण और सेट पर सुरक्षा मुहैय्या करवाने का करोड़ों का कारोबार फिल्म सिटी में चलता है। उसका यहां एक तरह से एकाधिकार है। वह फिल्म सिटी में मर्जी के मुताबिक दोनों कारोबार करता है। इसे लेकर मुंबई फिल्मसिटी में काम करने के लिए आने वाले निर्माता – निर्देशकों में खासा रोष व आक्रोश भी रहा है। वे कुछ करने की स्थिति में इसलिए नहीं रहते हैं क्योंकि उन्हें फिल्म शूटिंग के लिए शांत और सुरक्षित माहौल की दरकार होती है।
पुलिस विभाग के कुछ ऐसे सूत्रों ने जानकारी दी है कि राजू से कुछ युवक फिल्मसिटी में नियमित रूप से मिल रहे थे। उसे अपने फोन से रवि पुजारी से बात करवा रहे थे। रवि का राजू पर दबाव बढ़ चला था कि वह जल्द से जल्द फिल्म सिटी से दूर हो जाए।
24 अप्रैल को क्या हुआ?
पता चला है कि 24 अप्रैल 2015 को रवि के दो गुर्गे फिल्म सिटी में राजू के पास पहुंचे। उन्होंने अपने सेल फोन पर एक नंबर मिलाया और राजू से कहा कि आरपी बात करेगा। राजू ने फोन पर बात की तो सामने रवि पुजारी था। रवि ने राजू को सीधी धमकी जारी कर दी कि अगर वह नहीं मानेगा तो उसे रास्ते से हटा देंगे। राजू को धमकी सुन कर गुस्सा आ गया।
राजू के क्रोध की आग में घी का काम इन दोनों युवकों की धमकी ने किया। इन गुंडों ने राजू को धमकाते हुआ कहा कि फिल्म सिटी मेंम उसके दिन पूरे हो गए है। अब वहां रवि भाई का राज चलेगा। उसकी नाना कंपनी वाली धौंसपट्टी यहां नहीं चलने देंगे।
यह सुन कर राजू आपा खो बैठा। उसने युवकों को वहीं पीटना शुरू कर दिया। इस पिटाई में उसके कुछ साथी भी शामिल हो गए। दोनों युवकों को पीट-पीट कर लहुलुहान कर दिया। इसके कारण रवि पुजारी और नाराज हो उठा था।
पुलिस में मामला
सूत्रों से पता चला कि 24 अप्रैल को इन युवकों को पकड़ कर राजू अपने लोगों के साथ पुलिस के पास पहुंचा। उनके खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए पुलिस अधिकारियों से कहा। स्थानीय थाने के अधिकारियों ने कहा कि अगर हफ्तावसूली का मामला इन लड़कों के खिलाफ दर्ज करवाना चाहते हैं तो कोई परेशानी नहीं है। पुलिस मामला दर्ज कर लेगी। इसके साथ ही इन युवकों के साथ जो मारपीट हुई है, उनकी जो हालत है, उसके कारण राजू शिंदे और उसके लोगों पर हत्या के प्रयास का मामला भी दर्ज करना पड़ेगा। दोनों लड़कों की हालत तब बेहद खस्ता थी।
विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि पुलिस अधिकारियों ने राजू शिंदे को बताया कि घायल युवकों की जिम्मेदारी वे अपने ऊपर लेने के लिए कतई तैयार नहीं है। उन्हें गिरफ्तार करने के बाद अदालत में पेश करना होगा। अदालत में उनकी चोट देख कर जज ने पूछताछ की और आरोपियों ने कह दिया कि उनकी पिटाई पुलिस थाने में हुई है तो सभी पुलिसकर्मी मुसीबत में पड़ जाएंगे। ऐसे में आरोपियों की ओर से भी मामला बनता है।
पता चला है कि हत्या के प्रयास का मामला खुद पर बनता देख कर राजू शिंदे ने इन युवकों के खिलाफ हफ्तावसूली के लिए धमकाने का मामला दर्ज करवाने का मन बदल लिया। यही एक बात थी, जिसने इस हमला का रास्ता खोल दिया।
एक और बात यह भी थी कि राजू शिंदे लापरवाही बरती और अपनी सुरक्षा पर अधिक ध्यान नहीं दिया। वह आराम से फिल्म सिटी में अकेले ही बिना सुरक्षा घूमता रहा। हमलावरों को पहले से यह पता था कि राजू शिंदे कहां-कहां आता-जाता है, उसका किन स्थानों पर कामकाज चल रहा है, ऐसे में फिल्म सिटी के सुनसान माहौल में हमला करके चुपचाप निकल जाना उनके लिए मुश्किल नहीं था।
एक पुलिस अधिकारी कहते हैं कि राजू पर हमला करने के पहले हमलावरों ने कुछ और दिनों तक निश्चित तौर पर निगरानी की होगी। उसके बाद ही हमला करने की जगह और तारीख तय की होगी।
पिटाई का बदला भी : खौफ का कारोबार भी
यह जानकारी सामने आ रही है कि इस पिटाई और अपमान से बुरी तरह आहत दोनों युवकों ने तय किया कि वे बदला लेंगे। इसके बारे में जब उन्होंने रवि पुजारी को बताया तो वह भी गुस्से में भर उठा। उसने तय किया कि अब फिल्मसिटी में ही कुछ ऐसा करना होगा जिसके कारण वहां उसकी धमक बन जाए और तमाम फिल्म निर्माता, निर्देशक व फिल्म सितारे उसके आदेश पर चलें।
यह पता चला है कि इसके बाद रवि पुजारी और उसके लोगों ने मिल कर राजू पर हमला करने की योजना तैयार की। यह बी तय हुआ कि दिनदहाड़े यह काम करेंगे ताकी सबको संदेश मिल जाए कि अब फिल्म सिटी का असली बॉस रवि पुजारी है।
रवि के निर्देशन में शूटआऊट एट फिल्मसिटी की पटकथा लिखी गई। इसके मुख्य किरदार वे ही दोनों गुंडे तय हुए, जिनकी राजू व उसके साथियों ने मिल कर बेतहाशा पिटाई की थी।
गलती क्या हुई
शूटआऊट एट फिल्मसिटी के मामले में एकमात्र गलती गुंडों से जो हुई, वह यही थी कि उन्होंने मोटरसाईकिल अपने एक दोस्त से उधार ली थी। हमले के बाद भागते समय यही मोटरसाईकिल मौके पर रह गई। इसकी मिल्कियत संबंधी दस्तावेज हासिल करने के बाद जब पुलिस अधिकारियों ने मालिक से पूछताछ की तो उसने बताया कि एक दोस्त उससे यह वाहन मांग कर ले गया था। बस, फिर क्या था, अब पुलिस के पास हमलावर की पक्की शिनाख्त थी।
हमले में कितने लोग
अभी तक यह जानकारी सामने नहीं आ रही थी कि आखिरकार कुल कितने लोग राजू शिंदे पर हुए हमले में शामिल थे। शनिवार की सुबह तक पुलिस अधिकारियों के सामने पूरी तस्वीर साफ हो चली थी। यही कारण था कि राजू शिंदे ने जिन लोगों के नाम नानावटी अस्पताल में हमला करवाने के संदेह में जताए थे, उन्हें पुलिस ने मुंबई से बाहर न जाने की हिदायत देते हुए घर जाने दिया था।
यह जानकारी मिली है कि हमले में कुल 7 युवक शामिल थे। उनमें से एक को तो गोली चलानी थी। दूसरे को उसके साथ जाना था। वही दुसरा उसे बाईक पर बैठा कर फिल्म सिटी के बाहर ले जाने वाला था। हमले के दौरान किसी किस्म की गड़बड़ी होने पर भागने के लिए तीसरे युवक को एक और बाईक पर पास ही एक जगह पर तैनात किया था। इसके अलावा दो और बाईक पर दो-दो युवकों के दो और दस्ते विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार थे। इस तरह कुल सात युवकों का यह पूरा दल शूटआऊट एट फिल्मसिटी की शूटिंग करने के निकला था।
असली शूटिंग : असली किरदार
एक चश्मदीद ने कहा कि जब यह हमला हुआ और वहां आपाधापी मच गई थी तो लोगों को यही लगा कि वहां शूटिंग चल रही है। किसी को भी यह नहीं लगा था कि वहां पर असली गोलीबारी हुई है। वहां पर दौड़-भाग मच गई। लोगों को लगा कि हमले का कोई दृष्य फिल्माया जा रहा है। जब यह जानकारी लोगों को मिली कि असल में हमला हुआ है और हमले का शिकार कोई और नहीं राजू शिंदे हुआ है, फिल्म सिटी में हड़कंप मच गया।
हमले के दौरान अमिताभ बच्चन लगभग आधा किलोमीटर दूर एक सेट पर शूटिंग में व्यस्त थे। उन्हें कुछ लोगों ने जाकर बताया कि किस तरह फिल्म सिटी में हमला हुआ है, किसी तरह के एक व्यक्ति मारा गया है तो उन्होंने अपने पहले ट्वीट में हमला के शिकार राजू शिंदे को मृत बता दिया था। बाद में उन्होंने यह गलती ठीक करते हुए दूसरा ट्वीट कर दिया था कि हमले के शिकार को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया है। कुछ लोगों ने इस पर बेहद अचरज जताया है कि हमला इतनी दूर हुआ था कि अमिताभ बच्चन पूरी तरह सुरक्षित थे। फिर कैसे तमाम मीडिया और प्रेस ने यह खबर छापी कि हमले के दौरान अमिताभ बच्चन बाल-बाल बच गए!
धरपकड़ कितनों की
पुलिस अभी तक यह नहीं बता रही है कि असल में उनकी गिरफ्त में कितने आरोपी आ चुके हैं। कुछ सूत्रों का कहना है कि एक युवक को गिरफ्तार किया है, जबकि एक अन्य को हिरासत में रखा है। कुछ सूत्रों का कहना है कि अब तक कुल तीन युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है लेकिन चूंकि अभी तक इस मामले में और चार की गिरफ्तारी होनी बाकी है, इसके चलते अभी तक इनकी गिरफ्तारी के बारे में कुछ बाहर नहीं बताया जा रहा है।
कौन हैं हमलावर
हमलावरों के नाम कुछ इस तरह से पता चले हैं। सूत्रों का कहना है कि ये हमलावर असल में पहले छोटा राजन गिरोह के लिए ही काम करते थे। ये सभी गोरेगांव पूर्व के ही निवासी हैं। जांच से जुड़े सूत्रों का मानें तो हमलावरों में से तीन के नाम सुरेश गायकवाड़, अभिषेक राड़े और सुमित तटकरे हैं। इनमें से दो तो कुछ दिनों पहले तक जेल में थे। वे एक आपराधिक वारदात के सिलसिले में जमानत पाकर बाहर आए थे। जेल से छूटने के बाद उन्होंने रवि पुजारी के लिए काम करना शुरू कर दिया था।
हिंदी दैनिक वृत्त मित्र व मराठी दैनिक मुंबई मित्र में प्रथम प्रकाशन (अंक 26 मई 2015)
मुंबई, 25 मई 2015।
शिवसेना चित्रपट शाखा के महासचिव श्रीकांत शिंदे उर्फ राजू शिंदे (45) पर हुई गोलीबारी के मामले में एक बात साफ हो गई है कि मुंबई में तेजी से कामयाब होते जा रहे गिरोह सरगना रवि पुजारी के गुंडों ने यह हमला किया था। हमलावरों की एक छोटी सी गलती के कारण वे पुलिस की निगाह में आ गए हैं। यह पता चल गया है कि हमला किसने और क्यों करवाया है। अब बस हमलावरों की गिरफ्तारी होना शेष है।
राजू शिंदे की हालत हमले के अगले दिन तक गंभीर बताई जा रही थी। उसका इलाज मुंबई के उपनगर विलेपार्ले स्थित नानावटी अस्पताल में चल रहा है। उसे कुल तीन गोलियां लगी थीं। दो गोलियां पेट में लगी थीं, जबकि एक गोली हाथ में लगी थी। राजू शिंदे का एक फोटो इस अखबार के पास है, जिसमें यह साफ दिख रहा है कि उसके पेट में लगी एक गोली सामने से लग कर दाहिनी ओर से बाहर निकल गई थी। एक गोली पेट में ऊपर लगी थी, जो कि बाद में उसके पेट में होने की संभावना थी। यह बताया जा रहा है कि राजू के शरीर से सभी गोलियां निकाली जा चुकि हैं और वह हमले के आघात से धीरे-धीरे उबर रहा है।
हमला क्यों हुआ
सूत्रों के मुताबिक राजू शिंदे पर हमला असल में मूंछों की लड़ाई और इलाके पर कब्जा करने की जुगत के चलते हुआ है। पता चला है कि पिछले दो माह से राजू शिंदे पर रवि पुजारी उर्फ आरपी का दबाव लगातार बन रहा था कि वह फिल्म सिटी का कारोबार समेट कर चलता बने। अब वहां रवि पुजारी के लोग कारोबार करेंगे।
बता दें कि राजू शिंदे का सेट निर्माण और सेट पर सुरक्षा मुहैय्या करवाने का करोड़ों का कारोबार फिल्म सिटी में चलता है। उसका यहां एक तरह से एकाधिकार है। वह फिल्म सिटी में मर्जी के मुताबिक दोनों कारोबार करता है। इसे लेकर मुंबई फिल्मसिटी में काम करने के लिए आने वाले निर्माता – निर्देशकों में खासा रोष व आक्रोश भी रहा है। वे कुछ करने की स्थिति में इसलिए नहीं रहते हैं क्योंकि उन्हें फिल्म शूटिंग के लिए शांत और सुरक्षित माहौल की दरकार होती है।
पुलिस विभाग के कुछ ऐसे सूत्रों ने जानकारी दी है कि राजू से कुछ युवक फिल्मसिटी में नियमित रूप से मिल रहे थे। उसे अपने फोन से रवि पुजारी से बात करवा रहे थे। रवि का राजू पर दबाव बढ़ चला था कि वह जल्द से जल्द फिल्म सिटी से दूर हो जाए।
24 अप्रैल को क्या हुआ?
पता चला है कि 24 अप्रैल 2015 को रवि के दो गुर्गे फिल्म सिटी में राजू के पास पहुंचे। उन्होंने अपने सेल फोन पर एक नंबर मिलाया और राजू से कहा कि आरपी बात करेगा। राजू ने फोन पर बात की तो सामने रवि पुजारी था। रवि ने राजू को सीधी धमकी जारी कर दी कि अगर वह नहीं मानेगा तो उसे रास्ते से हटा देंगे। राजू को धमकी सुन कर गुस्सा आ गया।
राजू के क्रोध की आग में घी का काम इन दोनों युवकों की धमकी ने किया। इन गुंडों ने राजू को धमकाते हुआ कहा कि फिल्म सिटी मेंम उसके दिन पूरे हो गए है। अब वहां रवि भाई का राज चलेगा। उसकी नाना कंपनी वाली धौंसपट्टी यहां नहीं चलने देंगे।
यह सुन कर राजू आपा खो बैठा। उसने युवकों को वहीं पीटना शुरू कर दिया। इस पिटाई में उसके कुछ साथी भी शामिल हो गए। दोनों युवकों को पीट-पीट कर लहुलुहान कर दिया। इसके कारण रवि पुजारी और नाराज हो उठा था।
पुलिस में मामला
सूत्रों से पता चला कि 24 अप्रैल को इन युवकों को पकड़ कर राजू अपने लोगों के साथ पुलिस के पास पहुंचा। उनके खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए पुलिस अधिकारियों से कहा। स्थानीय थाने के अधिकारियों ने कहा कि अगर हफ्तावसूली का मामला इन लड़कों के खिलाफ दर्ज करवाना चाहते हैं तो कोई परेशानी नहीं है। पुलिस मामला दर्ज कर लेगी। इसके साथ ही इन युवकों के साथ जो मारपीट हुई है, उनकी जो हालत है, उसके कारण राजू शिंदे और उसके लोगों पर हत्या के प्रयास का मामला भी दर्ज करना पड़ेगा। दोनों लड़कों की हालत तब बेहद खस्ता थी।
विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि पुलिस अधिकारियों ने राजू शिंदे को बताया कि घायल युवकों की जिम्मेदारी वे अपने ऊपर लेने के लिए कतई तैयार नहीं है। उन्हें गिरफ्तार करने के बाद अदालत में पेश करना होगा। अदालत में उनकी चोट देख कर जज ने पूछताछ की और आरोपियों ने कह दिया कि उनकी पिटाई पुलिस थाने में हुई है तो सभी पुलिसकर्मी मुसीबत में पड़ जाएंगे। ऐसे में आरोपियों की ओर से भी मामला बनता है।
पता चला है कि हत्या के प्रयास का मामला खुद पर बनता देख कर राजू शिंदे ने इन युवकों के खिलाफ हफ्तावसूली के लिए धमकाने का मामला दर्ज करवाने का मन बदल लिया। यही एक बात थी, जिसने इस हमला का रास्ता खोल दिया।
एक और बात यह भी थी कि राजू शिंदे लापरवाही बरती और अपनी सुरक्षा पर अधिक ध्यान नहीं दिया। वह आराम से फिल्म सिटी में अकेले ही बिना सुरक्षा घूमता रहा। हमलावरों को पहले से यह पता था कि राजू शिंदे कहां-कहां आता-जाता है, उसका किन स्थानों पर कामकाज चल रहा है, ऐसे में फिल्म सिटी के सुनसान माहौल में हमला करके चुपचाप निकल जाना उनके लिए मुश्किल नहीं था।
एक पुलिस अधिकारी कहते हैं कि राजू पर हमला करने के पहले हमलावरों ने कुछ और दिनों तक निश्चित तौर पर निगरानी की होगी। उसके बाद ही हमला करने की जगह और तारीख तय की होगी।
पिटाई का बदला भी : खौफ का कारोबार भी
यह जानकारी सामने आ रही है कि इस पिटाई और अपमान से बुरी तरह आहत दोनों युवकों ने तय किया कि वे बदला लेंगे। इसके बारे में जब उन्होंने रवि पुजारी को बताया तो वह भी गुस्से में भर उठा। उसने तय किया कि अब फिल्मसिटी में ही कुछ ऐसा करना होगा जिसके कारण वहां उसकी धमक बन जाए और तमाम फिल्म निर्माता, निर्देशक व फिल्म सितारे उसके आदेश पर चलें।
यह पता चला है कि इसके बाद रवि पुजारी और उसके लोगों ने मिल कर राजू पर हमला करने की योजना तैयार की। यह बी तय हुआ कि दिनदहाड़े यह काम करेंगे ताकी सबको संदेश मिल जाए कि अब फिल्म सिटी का असली बॉस रवि पुजारी है।
रवि के निर्देशन में शूटआऊट एट फिल्मसिटी की पटकथा लिखी गई। इसके मुख्य किरदार वे ही दोनों गुंडे तय हुए, जिनकी राजू व उसके साथियों ने मिल कर बेतहाशा पिटाई की थी।
गलती क्या हुई
शूटआऊट एट फिल्मसिटी के मामले में एकमात्र गलती गुंडों से जो हुई, वह यही थी कि उन्होंने मोटरसाईकिल अपने एक दोस्त से उधार ली थी। हमले के बाद भागते समय यही मोटरसाईकिल मौके पर रह गई। इसकी मिल्कियत संबंधी दस्तावेज हासिल करने के बाद जब पुलिस अधिकारियों ने मालिक से पूछताछ की तो उसने बताया कि एक दोस्त उससे यह वाहन मांग कर ले गया था। बस, फिर क्या था, अब पुलिस के पास हमलावर की पक्की शिनाख्त थी।
हमले में कितने लोग
अभी तक यह जानकारी सामने नहीं आ रही थी कि आखिरकार कुल कितने लोग राजू शिंदे पर हुए हमले में शामिल थे। शनिवार की सुबह तक पुलिस अधिकारियों के सामने पूरी तस्वीर साफ हो चली थी। यही कारण था कि राजू शिंदे ने जिन लोगों के नाम नानावटी अस्पताल में हमला करवाने के संदेह में जताए थे, उन्हें पुलिस ने मुंबई से बाहर न जाने की हिदायत देते हुए घर जाने दिया था।
यह जानकारी मिली है कि हमले में कुल 7 युवक शामिल थे। उनमें से एक को तो गोली चलानी थी। दूसरे को उसके साथ जाना था। वही दुसरा उसे बाईक पर बैठा कर फिल्म सिटी के बाहर ले जाने वाला था। हमले के दौरान किसी किस्म की गड़बड़ी होने पर भागने के लिए तीसरे युवक को एक और बाईक पर पास ही एक जगह पर तैनात किया था। इसके अलावा दो और बाईक पर दो-दो युवकों के दो और दस्ते विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार थे। इस तरह कुल सात युवकों का यह पूरा दल शूटआऊट एट फिल्मसिटी की शूटिंग करने के निकला था।
असली शूटिंग : असली किरदार
एक चश्मदीद ने कहा कि जब यह हमला हुआ और वहां आपाधापी मच गई थी तो लोगों को यही लगा कि वहां शूटिंग चल रही है। किसी को भी यह नहीं लगा था कि वहां पर असली गोलीबारी हुई है। वहां पर दौड़-भाग मच गई। लोगों को लगा कि हमले का कोई दृष्य फिल्माया जा रहा है। जब यह जानकारी लोगों को मिली कि असल में हमला हुआ है और हमले का शिकार कोई और नहीं राजू शिंदे हुआ है, फिल्म सिटी में हड़कंप मच गया।
हमले के दौरान अमिताभ बच्चन लगभग आधा किलोमीटर दूर एक सेट पर शूटिंग में व्यस्त थे। उन्हें कुछ लोगों ने जाकर बताया कि किस तरह फिल्म सिटी में हमला हुआ है, किसी तरह के एक व्यक्ति मारा गया है तो उन्होंने अपने पहले ट्वीट में हमला के शिकार राजू शिंदे को मृत बता दिया था। बाद में उन्होंने यह गलती ठीक करते हुए दूसरा ट्वीट कर दिया था कि हमले के शिकार को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया है। कुछ लोगों ने इस पर बेहद अचरज जताया है कि हमला इतनी दूर हुआ था कि अमिताभ बच्चन पूरी तरह सुरक्षित थे। फिर कैसे तमाम मीडिया और प्रेस ने यह खबर छापी कि हमले के दौरान अमिताभ बच्चन बाल-बाल बच गए!
धरपकड़ कितनों की
पुलिस अभी तक यह नहीं बता रही है कि असल में उनकी गिरफ्त में कितने आरोपी आ चुके हैं। कुछ सूत्रों का कहना है कि एक युवक को गिरफ्तार किया है, जबकि एक अन्य को हिरासत में रखा है। कुछ सूत्रों का कहना है कि अब तक कुल तीन युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है लेकिन चूंकि अभी तक इस मामले में और चार की गिरफ्तारी होनी बाकी है, इसके चलते अभी तक इनकी गिरफ्तारी के बारे में कुछ बाहर नहीं बताया जा रहा है।
कौन हैं हमलावर
हमलावरों के नाम कुछ इस तरह से पता चले हैं। सूत्रों का कहना है कि ये हमलावर असल में पहले छोटा राजन गिरोह के लिए ही काम करते थे। ये सभी गोरेगांव पूर्व के ही निवासी हैं। जांच से जुड़े सूत्रों का मानें तो हमलावरों में से तीन के नाम सुरेश गायकवाड़, अभिषेक राड़े और सुमित तटकरे हैं। इनमें से दो तो कुछ दिनों पहले तक जेल में थे। वे एक आपराधिक वारदात के सिलसिले में जमानत पाकर बाहर आए थे। जेल से छूटने के बाद उन्होंने रवि पुजारी के लिए काम करना शुरू कर दिया था।
हिंदी दैनिक वृत्त मित्र व मराठी दैनिक मुंबई मित्र में प्रथम प्रकाशन (अंक 26 मई 2015)
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