मुंबई में चिटफंड का मकड़जाल - मुंबई में ठग कंपनियों ने जमा किए हजारों करोड़

विशेष संवाददाता
मुंबई, 2 जून 2015।

अभिनेत्री लीना और उनके साथी शेखर की गिरफ्तारी से मुंबई में चिटफंड कंपनियों के मकड़जाल की पूरी पोल खुलने की संभावना बन चली है। मुंबई में इन दिनों लगभग एक हजार चिटफंड कंपनियां कार्यरत हैं, जो कि छह माह से 36 माह में ही रकम दुगुनी करने का झांसा देकर हर दिन करोड़ों रुपए जमा कर रही हैं। ऐसी कई कंपनियों के खिलाफ मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू), सेबी, सीबीआई, आयकर विभाग, आरबीआई इत्यादि के पास सैंकड़ों मामले दर्ज हैं लेकिन उनमें कोई प्रगति अभी तक नहीं हो पाई है।

बता दें कि ऐसी दर्जनों कंपनियों के नाम रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया तथा कार्पोरेट मामलों के मंत्रालय के पास कुल मिला कर साढ़े चार हजार से अधिक चिट फंड कंपनियों की जानकारी है। पिछले कुछ दिनों में आरबीआई और सेबी ने ऐसी कई चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई भी की है। न केवल उन कंपनियों को कामकाज करने से रोक दिया है बल्कि उनके बैंक खातों में जमा रकम भी सील कर दी है। उनसे तमाम निवेशकों की रकम वापस करने के लिए भी कहा गया है।

पता चला है कि ये तमाम चिटफंड कंपनियां कई किस्म के कारोबार दिखा कर उनमें निवेश करे के नाम पर लोगों को चूना लगा रही हैं। ये ठीक उसी तर्ज पर काम कर रही हैं, जिस तरह पश्चिम बंगाल में शारदा चिटफंट कंपनी काम कर रही थी। अधिकांश चिटफंड कंपनियां एक निश्चित रकम के बदले में एक प्रमाण पत्र अपने निवेशक को देती हैं, जिसमें यह लिखा होता है कि वे जो रकम जमा कर रहे हैं, उसके बदले में 100 या पांच सौ वर्ग फुट का एक भूखंड उन्हें दिया जा रहा है। उनकी पॉलिसी की परिक्वता तिथि के बाद उन्हें दुगुनी या तिगुनी रकम वापस की जाएगी और उनसे भूखंड वापस कंपनी ले लेगी। अमूमन ये भूखंड होते ही नहीं हैं। होते भी हैं तो किसी जंगल या पहाड़ पर निवेशक से हजारों किलोमीटर दूर होते हैं, जिनका सत्यापन करने की कोई व्यवस्था भी नहीं होती है।


यदि कोई निवेशक इन चिटफंड कंपनियों से रकम बीच में ही वापस चाहता है तो उसे भारी जुमाना काट कर रकम वापस की जाती है, कई बार तो उन्हें नियमों का हवाला देकर रकम वापस भी नहीं की जाती है। ऐसा ही कुछ अदाकारा लीना और उनके जीवन साथी शेखर ने भी किया है।

अभिनेत्री लीना को जब पुलिस ने धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया तो उनके कब्जे से 7 मंहगी कारें और 137 महंगी हाथ घड़ियां भी जब्त की हैं। वे हिंदी फिल्मों ‘मद्रास कैफे’ और ‘रेड चिलीज’ में काम कर चुकि हैं। पुलिस का दावा है कि उनकी कंपनी अवैध रूप से 10 गुना रकम देने का वादा करके लोगों से निवेश हासिल कर रही थी। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि अब तक वे 10 करोड़ से अधिक की रकम जमा कर चुके थे।

लीना-शेखर याने मुंबई के बंटी और बबली
पुलिस ने अदाकारा लीना पॉल और उनके साथ रहने वाले शेखर चंद्रशेखर की गिरफ्तारी के मामले की पुष्टि आर्थिक अपराध शाखा के जॉइंट सीपी धनंजय कमलाकर ने भी की है। केरल मूल की लीना कई भाषा की फिल्मों में काम कर चुकि हैं। उनकी जॉन अब्राहम के साथ अभिनित फिलाम ‘मद्रास कैफे’ काफी सराही गई थी। मलयालम भाषा की फिल्म ‘रेड चिलीज’ में वे मोहनलाल के साथ रजत परदे पर दिख चुकि हैं।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इनकी फर्जी निवेश कंपनी का न तो सेबी का, न ही आरबीआई की अनुमति हासिल है। इस कंपनी के तहत वे निवेशकों को चंद महीनों में ही 10 गुना रकम देने की गारंटी देते थे। अन्य चिटफंड कंपनियों की तरह ही वे एक रसीद भी निवेशकों को देते थे, जो कि बिल्कुल बैंक के मियादी जमा खातों के प्रमाण पत्र जैसे दिखते हैं।

पुलिस का कहना है कि कुछ निवेशकों ने जब परिपक्वता समय आने पर लीना और शेखर से रकम की मांग की तो वे बहाने बनाने लगे। निवेशकों को एक के बाद दूसरी तारीख पर आने के कहने और टरकाने लगे। कुछ निवेशकों ने परेशान होकर मुंबई पुलिस की इओडब्ल्यू में शिकायत की। प्राथमिक जांच में शिकायत सही पाने पर पुलिस अधिकारियों ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तारी की। पुलिस अधिकारी बताते हैं कि लीना व शेखर ने मुंबई में पिछले 18 माह से यह चिटफंड कंपनी खोल रकी थी।

अब तक की तफ्तीश में पता चला है कि वे निवेशकों से लगभग 10 करोड़ रुपए जमा कर चुके हैं। हो सकता है कि यह आंकड़ा और भी बढ़े क्योंकि उनके निवेशकों को जब यह पता चलेगा कि वे गिरफ्तार हुए हैं तो वे भी शिकायतें लेकर पुलिस के पास आएंगे।

वरिष्ठ अधिकारियों का दावा है कि उनके इस ठगी के काम में कुछ लोगों के और भी शामिल होने की जानकारी पूछताछ के दौरान सामने आई है।

श्री कमलाकर के मुताबिक दोनों से 137 विदेशी घड़ियां और 7 महंगी कारों भी जब्त हुई हैं। वे गोरेगांव की एक मंहगी इमारत में साथ ही रहते हैं। दोनों की शादी अभी तक नहीं हुई है।

कैनरा बैंक को लगाया चूना
पुलिस तफ्तीश में यह भी पता चला है कि लीना व शेखर पर तमिलनाडु स्थित केनरा बैंक की एक शाखा से करीब 19 करोड़ रुपए की ठगी करने का मामला भी चल रहा है। इस मामले में दोनों को सन 2013 में दिल्ली के एक फार्महाउस से पुलिस ने गिरफ्तार किया था। यह फार्महाउस उन्होंने चार लाख रुपए प्रति माह की दर पर किराए पर ले रखा था। यहां लोगों को बुलाकर वे झांसा दिया करते थे कि वे बेहद अमीर और रसूखदार व्यक्ति हैं।

इस ठग दक्षिण भारतीय अभिनेत्री लीना मारिया पॉल के साथ जब शेखर गिरफ्तार हुआ था, तब उसने अपना नाम बालाजी बताया था। उन दिनों दिल्ली पुलिस और चेन्नई पुलिस के एक संयुक्त दस्ते ने दक्षिणी दिल्ली के फतेहपुरबेरी इलाके में स्थित फार्म हाउस पर रात को तब चापा मारा था, जब वे बेखबर नींद के आगोश में समाए हुए थे ताकि उन्हें बच कर भागने का मौका न मिल सके।

लगा था आर्म्स एक्ट भी
मई 2013 के इस मामले में सिने तारिका लीना पर पुलिस ने आर्म्स एक्ट भी लगाया था। गिरफ्तारी के बाद लीना के निजी सुरक्षा रक्षकों से चार हथियार भी बरामद हुए। उसके किराए के फॉर्म हाऊस से 11 मंहगी कारें भी जब्त की थीं। लीना व शेखर पर आपीसी की धारा 420. 120 बी और 406 के तहत मामला दर्ज हुआ था। पुलिस के मुताबिक 12 मई 2013 से लीना व बालाजी ने दिल्ली का यह फार्म हाउस किराए पर लिया था ताकि वे पुलिस से बच सकें। 81 मंहगी घडियां भी जब्त हुई थीं।


फार्म हाउस के मालिक ने लीना व शेखर के पुलिस सत्यापन के फार्म भरवा कर थाने में जमा करवाए थे लेकिन गिरफ्तारी होने तक सत्यापन की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो पाई थी। लीना ने यहां पर किराए के 6 निजी हथियारबंद अंगरक्षक भी रखे हुए थे। इनमें से तीन पूर्व फौजी थे। इनके चारों हथियारों के लाइसेंस हरियाणा व जम्मू के थे। हथियारो का संपूर्ण भारत में ले जाने की इजाजत तो थी लेकिन चूंकि दिल्ली में रहने के दौरान उनकी सूचना पुलिस को नहीं देने के कारण दिल्ली पुलिस के लाइसेंसिंग विभाग ने चारों हथियार जब्त कर फतेहपुर बेरी थाने में आर्म्स एक्ट में एक और मामला दर्ज किया था।

पुलिस ने तब बताया था कि बालाजी उर्फ शेखर ने चेन्नई के केनरा बैंक की शाखा से आईएएस अधिकारी बन कर संपर्क साधा और जाली दस्तावेज पेश कर एक कंपनी खोलने के नाम पर 19 करोड़ का कर्ज मंजूर करवा लिया लेकिन बाद में कंपनी नहीं खोली और पूरी रकम डकार गए थे।

76 लाख डकारे
पुलिस अधिकारियों को मुताबिक सन 2013 में ही शेखर ने फर्जी आईएसएस अधिकारी बन कर एक व्यक्ति से एक फर्जी परियोजना में 76 लाख रुपए का निवेश करवाया था। लीना भी तब शेखर की पत्नी की भीमिका में इस ठगी में शामिल थी। पुलिस अधिकारियों का दावा है कि लीना-शेखर की इस बंटी-बबली वाली योजना का पूरा खाका महज कागज पर ही रहा, न कभी वह तैयार हुआ, न कभी निवेशक को उसकी रकम ही वापस मिली थी। इस मामले में भी पुलिस में शिकायत हुई थी।

शेखर है बड़ा खिलाड़ी
कर्नाटक पुलिस ने लीना से पूछताछ की तो पता चला था कि उसका दोस्त शेखर ऊर्फ बालाजी दक्षिण भारत के तीन राज्यों में ठगी की सौ से ज्यादा वारदात कर चुका है। वह खुद को बड़े नेताओं का रिश्तेदार बता कर ठगी करता था। ठगी के इस खेल में उसकी लीना भी साथ हो चली थी। खुद को नेताओं का रिश्तेदार बता कर काम कराने के नाम पर लाखों - करोड़ों रुपए ले लेता और गायब हो जाता था।

बेंगलुरू पुलिस के मुताबिक शेखर के खिलाफ ठगी के सौ से ज्यादा मामले तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में दर्ज हैं और वह 100 करोड़ से ज्यादा की ठगी कर चुका है।

सन 2007 में शेखर ने कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेटे का दोस्त बताते हुए एक बिल्डर से एक करोड़ रुपये ठगे थे। पुलिस ने उसे इस मामले में गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उस से बीएमडब्लू और होंडा एकॉर्ड समेत आधा दर्जन कारें और 12 कीमती घड़ियां बरामद की थीं।

ठगी में सजा काटने के बाद शेखर ने कर्नाटक छोड़ दिया। उसने तमिलनाडु में ठिकाना बनाया। वहां खुद को नेता का रिश्तेदार और बड़े अफसरों का बेटा बता कर कई लोगों को ठगा।

उसकी खूबी यह है कि वह जमानत हासिल करके राज्य व शहर छोड़ कर गायब हो जाता है और किसी नए राज्य के नए शहर में नए नाम और पहचान के साथ फिर ठगी करने के चक्कर में लग जाता है।

लीना ने करवाया था शेखर को गिरफ्तार
यह भी एक मजेदार तथ्य है कि लीना ने ही 2011 में उसे गिरफ्तार करवाया था। पुलिस के मुताबिक बालाजी का असली नाम सुकेश चंद्रशेखर है। वह 16 साल की उम्र से ठगी में लिप्त है। बेंगलुरू पुलिस के मुताबिक तब लीना बीडीएस पढ़ रही थी। बालाजी ने उसे एक नेता का बेटा होने का झांसा देकर जाल में फांसा था। इस मामले में लीना ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई और उसे गिरफ्तार करवाया था। 2011 में लीना की शिकायत पर जब शेखर को गिरफ्तार किया, तब चेन्नई के एक कारोबारी को ठगने की कोशिश में लगा था। शेखऱ ने उससे खुद को तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि का पोता बता कर रकम ऐंठनी चाही थी।

रिहा होने के बाद शेखर ने लीना से संपर्क किया। उसके बहकावे में लीना आ गई और ठगी के धंधे शामिल हो गई।
हिंदी दैनिक वृत्त मित्र व मराठी दैनिक मुंबई मित्र में प्रथम प्रकाशन (अंक 3 जून 2015)

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