मुंबई का अंधेरी इलाका बना सट्टा बुकियों का गढ़

विवेक अग्रवाल
मुंबई, 27 अगस्त, 2015
मुंबई पुलिस की लाख कोशिशों के बावजूद महानगर में सट्टेबाजों का काला खेल नही रुक पा रहा है। पता चला है कि मुंबई का उपनगर अंधेरी बुकियों, सट्टेबाजों और सटोरियों का गढ़ बन चुका है। मात्र इस उपनगर के पश्चिमी हिस्से में ही बडे और मध्यम दर्जे के लगभग 100 बुकी काम कर रहे हैं।
सुत्रों के मुताबिक अंधेरी इलाके में फिल्मोद्योग से किराना दुकानदारों तक के बीच इन बुकियों कि पैठ बनी हुई है। मुंबई पुलिस के कुछ अधिकारी ऐसे ही कतिपय बुकीयों के बारे में बताते हैं कि इनका काम पांच करोड़ से सौ करोड़ तक का है याने कि वे इतनी बड़ी रकमों की बुक चलाते हैं। ये बुकी लगातार ठिकाने और फोन नंबर बदलकर काम करते हैं, जिसके कारण उन तक पहुंचने में कुछ समस्याएं आ रही हैं।

पता चला है कि इन बुकियों के नाम इरफान, राजेश बजाज, गिरीष, मोहन, संदीप छेड़ा और बॉबी हैं। पुलिस अधिकारी इन बुकियों के फोन नंबर हासिल कर चुकि है, और उनके जरिए इन्हें गिरफ्त में लेने की कोशिश में लगी है।


पुलिस अधिकारी भी मानते हैं कि मुंबई का अंधेरी इलाका इन दिनों बुकियों का सुरक्षित ठिकाना बना हुआ है। यहां कई बुकी फिल्म निर्माणा कंपनी के दफ्तर बना कर भी काम कर रहे हैं, तो कईयों ने फिल्मों से जुड़े कुछ और कामकाज के कार्यालय खोल लिए हैं। इनकी आड़ में ये बुकि मजे से हर दिन करोड़ां की सट्टेबाजी करते हैं। इसके कारण किसी को भी पता तक नहीं चल पाता है कि इन दफ्तरों में कैसा काला कारोबार चल रहा है।

सट्टे बाजार की जानकारी रखने वाले एक खबरी के मुताबिक अंधेरी पूर्व के जेबी नगर में एक तरफ जहां सट्टेबाजों का खासा जमावडा है, वहीं अंधेरी पश्चिम के लोखंडवाला, ओशीवारा, मिल्लत नगर, चार बंगला, सात बंगला, वर्सोवा, डीएन नगर इलाकों में बुकियों ने पांव पसार लिए हैं। इन इलाकों में दफ्तर या फ्लैट किराए पर लेकर वे मजे से कामकाज कर रहे हैं।

इन इलाकों में बुकि आमतौर पर तैयार दफ्तर या फ्लैट एक से तीन महिने के लिए किराए पर लेते हैं। एक तरफ जहां दफ्तरों का किराया प्रति माह एक से तीन लाख रुपए तक होता है, वहीं फ्लैट का किराया 50 से 80 हजार तक हर महिने होता है। जो लोग इतनी ऊंची रकम पर फ्लैट या दफ्तर किराए पर देते हैं, उन्हें पता होता है कि वे बुकियों को ही अपनी जगह दे रहे हैं। इनका कहना है कि इतनी ऊंची रकम बतौर किराया वसूलने के पीछे कारण यह है कि वे पुलिस और इलाके के गुंडों तथा अन्य लोगों को भी ‘संभालते’ हैं।

बॉक्स 1
35 लाख खा गया खबरी
सुत्रों के मुताबिक मुंबई के पश्चिमी उपनगरों में कार्यरत एक बड़ा खबरी, जो पुलिस अधिकारियों को साथ लेकर सट्टा बुकियों पर छापामारी करवाने के मामले में बडा मशहूर है, उसने पिछले दिनों के एक बडे बुकी के पास एक छोटे बुकि के जरिए 35 लाख रुपये का सट्टा भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया अंडर 18 क्रिकेट मैच पर लगाया था। भारत इस मैच में जीत गया, जिससे यह खबरी 35 लाख रुपए हार गया था। इसके कारण बड़े बुकि ने छोटे बुकि पर पैसे दने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। इस पर खबरी ने बड़े बुकि को रकम चुकाने से साफ मना कर दिया और उसे धौंस दी कि अगर वलण के लिए वो अधिक जिद करेगा तो उसकी “बारात” निकलवा देगा। बड़े बुकि अभी बी अपनी रकम हासिल करने के लिए छोटे बुकि पर दबाव बनाए हुए हैं। यह साफ लग रहा है कि आगामी कुछ दिनों में एक या दो बड़े बुकियों पर इस खबरी की नाराजगी नजला गिर सकता है।

बॉक्स 2
परेश भाटिया अहमदाबाद में बंद, अऩ्य बुकियों की सांस थमी
कांदिवली पश्चिम का नामी बुकी परेश भाटिया, अपने भाई और कांग्रेसी नेता उमेश भाटिया की लाख कोशिशों के बावजूद, अहमदाबाद की जेल में सड़ रहा है, जिसकी वजह से मुंबई के तमाम बुकियों में भारी खौफ छाया हुआ है कि उसने अब तक न जाने किन-किन के नाम डीआरआई अफसरान को बता दिए होंगे। हो सकता है कि अगला नंबर उनका ही लग जाए। यही नहीं मुंबई के कुछ पुलिस अधिकारियों और खबरियों में भी परेश भाटिया की गिरफ्तारी को लेकर खासी घबराहट छाई हुई है कि कहीं परेश ने धन उगाही को लेकर उनके भी नाम तो अपने बयान में दर्ज नहीं करवा दिए हैं। यह बात सभी जानते हैं कि उमेश को कई अधिकारियों और खबरियों का संरक्षण हासिल था। किछ राजनीतिकों का वरदहस्त हासिल होने की वजह से मुबंई पुलिस के अधिकारी आज तक परेश भाटिया के खिलाफ कोई कार्रवाई करने का साहस नहीं जुटा पाए थे।
मुंबई मित्र समाचार पत्र के 28 अगस्त 2015 के अंक में प्रकाशित

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