विशेष संवाददाता
मुंबई, 11 अक्तूबर
2015
सट्टाबाजार में इन दिनों एक नए तरह का
ही सट्टा खुल गया है। यह जानकर कोई भी चौंक जाएगा कि इन दिनों सिंहस्थ और शिवराज
सिंह चौहान, जो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, को जोड़ कर सट्टा लगा हुआ है। सट्टाबाजार
में खूब चर्चा है कि इस सिंहस्थ के बाद शिवराज सिंह चौहान की कुर्सी खतरे में पड़
जाएगी।
पता चला है कि मध्यप्रदेश के कुछ शहरों
में स्थानीय स्तर पर यह सट्टा लगाया जा रहा है। हैरत की बात यह है कि इसका
राष्ट्रीय स्तर पर बड़े बुकियों के साथ कोई लेना-देना नहीं है फिर ही सैंकड़ो
करोड़ का सट्टा लग गया है। यह कहा जाता है कि उज्जैन सिंहस्थ (कुंभ मेले) को लेकर यह
किवदंती है कि जब भी विश्व के इस सबसे बड़े धार्मिक जमावाड़े का आयोजन होता है, मध्यप्रदेश
का मुख्यमंत्री या सिंहस्थ के पहले या बाद में नप जाता है।
उज्जैन सिंहस्थ की तैयारियां न केवल
सरकार बल्की स्थानीय नागरिक, धर्मप्रेमी, साधु-संत भी करते हैं। इस साल से तो बुकी
भी उज्जैन सिंहस्थ की तैयारी करने लगे हैं। स्थानीय बुकियों ने इस बात पर दांव
लगाना शुरू किया है कि क्या शिवरांज सिंह चौहान सिंहस्थ की इस किंवदंती के बावजूद
सत्ता में बने रह पाएंगे?
सटोरियों के मुताबिक शिवराज के सत्ता
में बने रहने पर 1.75 रुपए का तो कुर्सी जाने पर 1.35 रुपए का भाव चल रहा है। इस
हिसाब से बुकियों में शिवराज की सत्ता जाने के भाव ही फेवरेट चल रहे हैं। भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, रतलाम, बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, गुना, शिवपुरी,
जबलपुर के अलावा और भी तमाम शहरों में
यह
सट्टा खूब चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक लगभग 140 करोड़ रुपए तक के दांव अब तक लग
चुके हैं।
बता दें कि मध्यप्रदेश स्थापना के बाद 1968
के सिंहस्थ के 11 माह में ही मुख्यमंत्री गोविंदनारायण सिंह की कुर्सी छिन गई थी।
उन्होंने 12 मार्च 1969 को पद त्यागा था। इसके बाद वीरेंद्र कुमार सखलेचा, सुंदरलाल
पटवा की कुर्सियां भी सिंहस्थ के बाद ही छिनी थीं। सन 2003 में के बाद सिंहस्थ के ठीक
पहले ही दिग्विजय सिंह को भी चुनावों में हार गए थे।
राजनीतिक पंडितों के मुताबिक शिवराज सिंह चौहान को वैसे तो
कोई खतरा राजनीतिक तौर पर बिल्कुल नहीं है लेकिन बुकियों की इस धारणा के बारे में
वे कुछ नहीं कह सकते हैं। सट्टे को शिवराज और सिंहस्थ से जोड़ने को वे सिरे से
खारिज कर देते हैं।
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