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गोवा की बारिश पर भी खुला बारिश का
सट्टा
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मुंबई की बारिश पर ही होता रहा है सट्टा
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मानसून सट्टे पर लगेंगे 10 हजार करोड़ के दांव
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दुनिया का सबसे भरोसेमंद सट्टा है
मानसून का
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मानसून सट्टे में नहीं हो सकती फिक्सिंग
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“नेट वॉलेट” से हो रहे हैं सट्टे के सौदे
विवेक अग्रवाल
मुंबई, 07 जून 2015
देश में चारों तरफ इस बात को लेकर छाई
चिंता खत्म हो गई है कि इस बार का मानसून खराब होगा। सामान्य से अधिक की बारिश
होने की घोषणा के बाद किसानों से अर्थशास्त्रियों तक में मानसून को लेकर आशाएं जाग
गई हैं। यही हाल कमोबेश सट्टाबाजार का भी है। इस बार मुंबई के अलावा गोवा पर भी
बारिश का सट्टा खोला जा रहा है। मुंबई में जहां हर महीने और पूरे सीजन का सट्टा
खोला जाता है, वहीं गोवा के लिए इस बार सिर्फ पूरे सीजन का ही सट्टा खोला है। इसके
भाव बाजार में आ चुके हैं। बारिश के सट्टे में जैसे-जैसे बारिश अधिक होती जाएगी,
वैसे-वैसे भाव भी बढ़ते जाएंगे।
बारिश के जून माह में पहले सप्ताह तक केरल
पहुंचने की संभावना मौसम विभाग ने जताई थी। 6 जून तक वहां बारिश न होने के कारण
भले ही कुछ बुकियों में चिंता का माहौल था लेकिन मौसम विभाग की भविष्यवाणी से अधिकांश
बुकी खुश और आश्वस्त हैं। यह कहा गया है कि इस साल औसत से अधिक बारिश होने की
संभावना है।
मौसम विज्ञानियों ने चूंकी अल नीनो
इफेक्ट खत्म होने की बात कही है, इसके कारण कुल 2200 मिमी से अधिक ही बारिश मुंबई
में होने की संभावना बुकियों को दिख रही है।
सबसे पहले मानसून बुकियों का दल गोवा
पहुंचा था। वहां पर छह जून को एक होटल में उनकी बैठक हुई और भाव खोले। यहां से सभी
बुकी मुंबई के लिए 7 जून को निकले और एक होटल में डेरा जमाया। सुबह ही उनके बीच बैठक
हुई और मुंबई के भाव भी खोल दिए।
गोवा में सट्टा
सट्टे के लिए बुकियों के दस्ते ने गोवा
में छह जून को ही कदम रख दिए हैं। पणजी में बारिश के दौरान ये दस्ता कार में घूमता
रहेगा। जब भी बारिश होगी, सट्टा खाईवाली बंद रहेगी। यह दस्ता हर 15 दिन में होटल
बदलता रहेगा। हो सकता है कि इस दस्ते के सदस्य भी बदलते रहें।
गोवा में बारिश
बुकियों का कहना है कि गोवा में हर साल
2300 से 2900 मिमी तक बारिश होती है। सन 2015 में कुल 2350 मिमी बारिश हुई थी। 2900
मिमी बारिश सन 2014 में हुई थी। गोवा में तो 6 जून की शाम छह बजे तक ही 50 मिमी
बारिश हो चुकी थी।
फिक्सिंग प्रूफ सट्टा
मानसून का सट्टा एकमात्र जुआ है, जिसकी फिक्सिंग
नहीं हो सकती। इसका कोई सटीक पुर्वानुमान भी नहीं लगाया जा सकता है। जेडी ने बताया
कि मानसून सट्टा बुकियों को आज तक पुलिस नहीं पकड़ पाई है। इसका कारण है कि बुकी
बेहद सावधानी बरतते हैं, निजी कारों में घूमते हुए सट्टा लगाते हैं।
बुकियों का कहना है कि भारतीय मौसम
विभाग की वेबसाईट पर बारिश गिरने की जो सूचना और आंकड़े दर्ज होते हैं, उन पर ही
बुकी पूरा भरोसा नहीं करते हैं। वे सट्टा खोलने और वलण के लिए अब स्काईनेट.कॉम पर
भरोसा करने लगे। इसके अलावा लंदन स्थित मौसम विभाग की भविष्यवाणी पर ही भरोसा करते
हैं। इस साल चूंकी लंदन मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि भारत में मानसून अच्छा
रहेगा, बुकी भी इसे ही सही मान कर चल रहे हैं।
ज्योतिष पर भरोसा
एक बुकि के मुताबिक बुकियों ने भारतीय
मौसम विभाग के आंकड़ों के अलावा देस के कुछ ज्योतिषियों से भी संपर्क किया है।
उनका आकलन बारिश के बारे में क्या है, उसे भी सट्टे के भाव खोलने का आधार बनाया जा
रहा है। ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर ज्योतिषी जो जानकारी दे रहे हैं, उसे
भी बारिश के आंकड़ों की बाजीगरी में शामिल किया जा रहा है।
सट्टे का आधार
बता दें कि बारिश का मौसम 1 जून से 30 सितंबर
तक होता है। मुंबई में बारिश अमूमन जून में 300 से 400 मिमी, जुलाई में 600 से 700,
अगस्त 600-700 और सितंबर माह में 200 मिमी तक होती है। पूरे मौसम में 1,900 से 2,100
मिमी तक बारिश के होती है। बारिश पर सट्टा करने वाले बुकि मानसून विभाग के कोलाबा और
सांताक्रुज केंद्रों के आंकड़ों पर भरोसा करते हैं। मुंबई में हर दिन जितनी बारिश
होती है, उसके आंकड़े मानसून विभाग की वेबसाईट पर देखे जाते हैं। उनके ही आधार पर
वलण (लेन-देन) तय होता है।
इस बुकि के मुताबिक सुबह 8 से रात 8 तक बारिश
का सट्टा चलता है। जब बारिश चालू रहती है तो बुकि भाव नहीं लेते हैं। बारिश के
रुकने पर ही फिर से कामकाज शुरू हो जाता है। बुकियों और उनके मुंबई व गोवा के
दस्तों के बीच सुबह 8 से रात साढ़े 8 बजे तक हॉटलाईन चालू रहती है।
सट्टा बुकियों के लोग कारों में चारों
तरफ घूमते रहते हैं और बारिश आने के बारे में अपने आकाओं को आगाह करते रहते हैं।
इसके बाद तुरंत सभी तक ये सूचना पहुंच जाती है और बारिश पर सट्टा बंद हो जाता है। बुकी
साढ़े 8 बजे के बाद बारिश के सौदे लेने बंद कर देते हैं।
वलण
बारिश का सट्टा चार महीने चलता है और हर
माह का सौदे का वलण अगले माह के पहले सोमवार या मंगलवार को किया जाता है। पूरे
सीजन के सट्टे का वलण अक्तूबर माह के पहले सोमवार को होता है। अब हवाला के अलावा
बैंकों में एनईएफटी और आरटीजीएस का भी इस्तेमाल सौदे की रकम के चुकतारे के लिए
होने लगा है।
“नेट वॉलेट” पर सट्टे के सौदे
यह सूचना भी मिली है कुछ बुकियों ने
इंटरनेट पर मौजूद विभिन्न वेबसाईटों के “नेट वॉलेट” का इस्तेमाल करना भी शुरू किया है। इन “नेट वॉलेट” पर चूंकी आरबीआई जैसी किसी एजंसी की निगरानी
की कोई व्यवस्था नहीं है, न ही इन पर ग्राहकों की पहचान व जानकारी की उचित व्यवस्था
है, जिसके कारण बुकियों के लिए इन “नेट वॉलेट” का इस्तेमाल बहुत आसान हो चला है। इसके
कारण वे सैंकड़ों करोड़ की रकमें इधर से उधर कर देते हैं, किसी जांच या खुफिया एजंसी
को कानों-कान भनक तक नहीं लगती है।
सट्टे के केंद्र
दिल्ली, मुंबई, जयपुर, गौहाटी, कोलकाता,
भोपाल, इंदौर बारिश के सट्टे में मुख्य केंद्र हैं। दुबई, कराची, लंदन समेत कई
विदेशी ठिकानों से भी बड़ी मात्रा में बारिश का सट्टा लगता है।
पिछले साल हुआ भारी
नुकसान
सट्टे के काले कारोबार में बुकियों को साल
2015 में खासा नुकसान उठाना पड़ा था। पिछले 20 सालों से संगठित रूप से बारिश का
सट्टा मुंबई से खुल रहा है। इस सट्टे में हजारों करोड़ रुपए का खेला होता है और
हमेशा बुकी ही फायदे में रहते हैं। यह बारिश का पहला मौसम था, जिसने बुकियों की
जेब में भी सूखा पैदा कर दिया था।
एक बुकि के मुताबिक बुकियों को 2015 के मौसम
ने खासा नुकसान पहुंचाया। किसानों के कोठार खाली रह गए तो सटोरियों की जेब भी सूखी
रह गई। इसके ठीक उलट जिन पंटरों ने कम बारिश की चेतावनियों के मद्देनजर कम बारिश
का सट्टा खेला था, उन पंटरों ने खूब कमाई की थी। यह बात और है कि बुकियों को जून
में कुछ फायदा इसलिए हुआ क्योंकि बारिश अधिक हुई थी। बाकी महीनों में पंटरों ने
खूब कमाई की थी। एक सूत्र के मुताबिक सट्टाबाजार को बारिश के इस मौसम में कुल नुकसान
4 चार हजार करोड़ का हुआ था।
इस नुकसान के बाद कई मानसून बुकियों ने सोचना
शुरू कर दिया कि अगले साल वे मानसून पर सट्टा नहीं करेंगे। काफी बुकियों ने मानसून
की खस्ता हालत देख कर होने वाले नुकसान का आकलन पहले ही कर अगस्त 2015 में ही
बोरिया-बिस्तरा लपेट लिया था।
एक बुकि जेडी के मुताबिक पिछले 20 सालों
में ऐसी खराब बारिश और सट्टेबाजार को इतने भारी नुकसान की झलक भी देखने को नहीं
मिली थी। हर साल जून माह में मुंबई में अमूमन 300 – 450 मिमी बारिश होती है लेकिन
पिछले साल इस महीने में 900 मिमी से अधिक बारिश आई थी। जुलाई, अगस्त, सितंबर
महीनों में इंद्र देवता ऐसे रूठे कि लोगों को बारिश के लिए तरसा दिया था। इस साल
गोवा पर सट्टा करके पिछले नुकसान की भरपाई करने की कोशिश सट्टाबाजार करेगा।
पूरे सीजन का रेट कार्ड - मानसून सट्टा 2016
गोवा रेट
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मुंबई रेट
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बारिश
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भाव
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बारिश
|
भाव
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2200 मिमी
|
32 पैसे
|
1700 मिमी
|
42 पैसे
|
2300 मिमी
|
95 पैसे
|
1800 मिमी
|
1.05 रु.
|
2400 मिमी
|
1.80 रु.
|
1900 मिमी
|
1.90 रु.
|
2500 मिमी
|
3.25 रु.
|
2000 मिमी
|
2.50 रु.
|
2600 मिमी
|
5.00 रु.
|
2100 मिमी
|
3.50 रु.
|
मुंबई रेट कार्ड - मानसून सट्टा 2016
जून
|
जुलाई
|
अगस्त
|
सितंबर
|
300 मिमी – 32 पैसे
|
400 मिमी – 22 पैसे
|
400 मिमी – 24 पैसे
|
200 मिमी – 70 पैसे
|
400 मिमी – इवन
|
500 मिमी – 65 पैसे
|
500 मिमी – 66 पैसे
|
300 मिमी – 4 रु.
|
500 मिमी – 3 रु.
|
600 मिमी – 1.35 रु.
|
600 मिमी – 1.40 रु.
|
400 मिमी – 8 रु.
|
600 मिमी – 6 रु.
|
700 मिमी – 3 रु.
|
700 मिमी – 3.25 रु.
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