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सट्टाबाजार सेफ मोड में
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बनाए सट्टे के लिए खास एप
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सर्वर लगाए दुबई-सिंगापुर में
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एप लगते हैं सुरक्षित सटोरियों को
विवेक अग्रवाल
मुंबई, 15 मार्च 2019
देश बर के बुकियों ने आधुनिक तकनीक के सहारे ही इस बार का पूरा चुनावी
महासमर जीतने की योजना तैयार की है। बुकियों ने अपने स्तर पर कुछ इंजीनियरों की
मदद से स्मार्टफोन पर जुआ-सट्टा खेलने के लिए नए-नए एप तैयार करवा लिए हैं।
बुकियों के मुताबिक पंटर इस एक के जरिए देश के किसी भी कोने में
घूमते-फिरते कभी भी सट्टा खेल सकते हैं।
बने खास एप
बुकियों ने पुलिस और जांच एजंसियों से बचाव के लिए बेहद सुरक्षित तरीका
अपनाया है। अब वे तकनीक से सहारे कामकाज कर रहे हैं। उन्होंने सारा कामकाज मोबाइल
एप पर भेज दिया है।
पता चला है कि सटोरियों ने हर पंटर के मोबाइल में अपना खास एप लगवा दिया
है। इन एप के जरिए पंटर आराम से सट्टा लगा सकते हैं। सट्टे के भाव एप स्क्रीन पर वे
देख सकते हैं।
बुकियों का दावा है कि हर पल बदलते भावों की जानकारी तुरंत मिलना और
हार-जीत की जानकारी भी इस एप से तुरंत मिलेगी।
सर्वर दुबई-सिंगापुर में
एक सूत्र के मुताबिक बुकियों ने मोबाइल एप के सर्वर दुबई या सिंगापुर में
रखवाए हैं। इसके कारण भारतीय जांच एवं खुफिया एजंसियों की पहुंच इन सर्वर तक कभी
नहीं हो पाएगी।
एक बुकी बताता है कि यदि कोई पंटर या छोटा बुकि एप के साथ गिरफ्तार हो जाता
है, तो भी कुछ होगा नहीं। जब तक जांच एजंसी दुबई या सिंगापुर में सर्वर की जानकारी
हासिल करेगी, तब तक बुकी दुबई या सिंगापुर में बैठे इंजीनियरों की मदद से आंकड़े
ट्रांसफर कर नए सर्वर पर चले जाएंगे।
इसके बाद कोई जांच एजंसी कुछ करने की स्थिति में नहीं रहेगी। किसी बड़े बुकी
को गिरफ्तार करना भी एजंसियों के लिए आसान नहीं रह जाएगा।
गिरफ्तार पंटर या छोटे बुकी के बयानों के आधार पर ही बड़े बुकियों की
गिरफ्तारी होती भी है तो सबूतों के अभाव में वे आसानी से रिहा हो जाएंगे।
रकम लेन-देन भी एप से
रकम का आदान-प्रदान भी इस एप के जरिए हो सकता है।
बुकियों का कहना है कि एप में हर पंटर के खेलने की लिमिट तय की जाती है। पंटर
से तय लिमिट की रकम पहले ही सटोरियों के आदमी जाकर ले आते हैं। इसके अलावा किसी
फर्जी कंपनी या व्यक्ति के बैंक खाते में भी रकम मंगवाई जाती है।
बैंकों का असहयोग
कई बैंक खाते तो विदेशों में हैं। कुछ निजी भारतीय बैंक इस मामले में
खासे बदनाम हैं। ये अपने शरारती और धोखाधड़ी करने वाले खाताधारकों की जानकारियां
जांच व खुफिया एजंसियों को देने में काफी आनाकानी करते हैं।
अदालती आदेश से मजबूर होने पर जब कुछ जानकारी मुहैय्या भी करवाते हैं तो
आधी-अधूरी। इसके कारण अपराधी इन बैंकों में ही खाते खोलना पसंद करते हैं।
ये बैंक अपराधियों के खाते नकली दस्तावेजों के आधार पर तुरंत खोलते हैं।
इसका कारण यह है कि आपराधिक लेन-देन के कारण उन्हें मोटी कमाई होती है।
मनी वॉलेट का मजा
सट्टेबाजी के संसार में इंटरनेट पर मौजूद मनी वॉलेट बहुत काम आ रहे हैं।
इसका बड़ा कारण यह है कि मनी वॉलेट के जरिए एक-दूसरे को रकम भेजने पर कोई पाबंदी
नहीं है।
इतना ही नहीं मनी वॉलेट का रिकॉर्ड हर खाताधारक के हिसाब से अधिकारिक रूप
से सरकार के पास नहीं जाता है।
इसके कारण यह पता करना असंभव होता है कि किसने, किससे, कब और कितनी रकम ली-दी
है।
फोन फिर भी जिंदाबाद
सटोरियों का कहना है कि बढ़ती तकनीक ने उनका काम भी आसान कर दिया है। वे
अब फोन के जरिए खतरा उठाने के लिए तैयार नहीं हैं। यह जरूर है कि छोटे इलाकों और
गांवों मे, जहां इंटरनेट की पहुंच नहीं है या नेटवर्क अच्छा नहीं है, वहां छोटे
स्तर के बुकी अभी भी फोन के सहारे सट्टेबाजी करेंगे।
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