पत्रकार लेखक संजय सिंह की महत्वपूर्ण किताब 'एक थी शीना बोरा' पर नेहरू सेंटर में चल रहे राजकमल प्रकाशन समूह के पुस्तक मेला में गंभीर और सार्थक चर्चा हुई।
समय कम था। बहुत से श्रोता, बहुत कुछ सुनना चाह रहे थे लेखक से, लेकिन जितनी देर बात हुई उतने में भी बहुत सारी ऐसी जानकारियां निकलकर सामने आई जो शीना बोरा हत्याकांड पर नई रोशनी डालती है।
सत्य अपराध कथाएं, 375 पृष्ठ के उपन्यास जैसी शक्ल लेकर, जब साहित्य जगत में दस्तक देती हैं, और पाठकों के मन को विचलित एवं उद्वेलित करती हैं, तो महसूस होता है कि इस विषय पर अभी भी लोगों की प्यास बुझी नहीं है।
सत्य अपराध कथा क्षेत्र में अभी भी बहुत काम होना बाकी है। संजय सिंह जैसे पत्रकार लेखक जितनी अधिक तादाद में क्षेत्र में अपनी कलम का जौहर दिखाने आएंगे उतना अच्छा होगा।
पुस्तक शीना बोरा की जिंदगी की तहें आहिस्ता - आहिस्ता खोल कर तो चलती ही है, इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी के चरित्र एवं रिश्तो की बहुत ही महीन पड़ताल करती है। पीटर और इंद्राणी के बीच रिश्ता बनने के पहले के रिश्तो के बहुत ही बुरी तरह उलझे हुए रिश्तो के ताने-बाने और जाल को सुलझाने का प्रयास करते हुए हत्याकांड पर विहंगम दृष्टि डालती है।
कुल मिला कर यही कहूंगा की पुस्तक पठनीय है, इसे हर सुधी पाठक की लाइब्रेरी में जरूर होना चाहिए।
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