लिंबू मिर्ची - समाज से उपजी, समाज पर गहरा आघात करती सौ लघु कथाओं का संग्रह आज से प्रिंट में भी उपलब्ध हो गया। https://www.amazon.in/dp/8196406908
लिंबू मिरची किताब विवेक अग्रवाल की लेखकीय दृष्टि का अलग पहलू पेश कर रही है।
सत्य अपराध साहित्य को लेखनी से समृद्ध करते आ रहे विवेक अग्रवाल ने अन्य विधाओं में भी काम किया है। उनका पहला लघुकथा संग्रह लिंबू मिरची है।
यह किताब न जाने कितने विषयों और किरदारों के साथ हाजिरी लगाती है। विवेक अग्रवाल ने इन लघु कथाओं में न केवल विषयों का विस्तार तथा विविधता बनाए रखे हैं बल्कि किरदारों का अनूठा संसार भी गढ़ा है। वे कहानियां लिखते हुए सामाजिक बुराईयों पर गहरा प्रहार करते हैं। कुछ ऐसे बिंदु भी उठा लाए हैं, जो समाज को नई दशा और दिशा देते हैं।
इन कहानियों में समय साथ-साथ चलता है। समाज से उठाए विषय पर लघु कथाएं लिंबू मिरची में हैं। ये छोटी कहानियां मन में टीस भरती हैं। आंखों के कोर गिले करती हैं। कसमसाती हैं। दुखी करती हैं। कभी गुदगुदाती, हंसाती भी हैं।
हर कहानी का अपना व्यक्तित्व है क्योंकि हर लघुकथा अलग विषय, स्थान, वक्त, भाव, पात्र धारण करती है। किसी में इंसानी फितूर है, तो किसी में लालच की पराकाष्ठा है। किसी में समाज की बुराइयों पर कठोर टिप्पणी है, तो किसी रचना में सहज भाव से व्यंग्य चला आया है।
ये लघुकथाएं समाज का आईना हैं।
मंत्री जी का मोहल्ला में एक साल में हुए 52 दंगों और 52 घरों की खरीद-फरोख्त के जरिए महालालची और स्वार्थी हुक्मरान का खलचरित्र उधेड़ कर रखती है।
बज्जू की शवयात्रा में जनता के सेवक कैसे जनता के तानाशाही हुक्मरान बन बैठे हैं, पूरी शिद्दत से प्रकट होता है।
निकम्मा ऐसे बेटे की कहानी है, जो अपनी आवारगी से मिसाल कायम करता है।
किसान सम्मेलन वर्तमान की कठोर सच्चाई है, जिसमें ऊंच-नीच की गहरी खाई साफ नजर आती है।
लिंबू मिरची भारतीय विकृत मानसिकता और अंधविश्वास पर करारा प्रहार करती है।
पिटते भगवान समाज से उपजा व्यंग्य है।
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