रेड बैरेट डिजिटल एडिशन

1 भारतीय प्रधानमंत्री, 2 देशों के जासूसों व 5 आतंकी गिरोह के 22 जानलेवा हमलों से बचाने में सेना की खुफिया यूनिट 'रेड बैरेट' क्या सफल हुई? विवेक अग्रवाल का दिलोदिमाग घुमाने वाला सत्य घटनाओं से प्रेरित जबरदस्त उपन्यास का डिजिटल संस्करण पेश है।
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रेड बैरेट: भारतीय प्रधानमंत्री पर विदेशी जासूसों के हमलों को नाकाम करने की रोमांचक दास्तान

भारतीय प्रधानमंत्री पर एक के बाद एक हमलों की साजिश रची जा रही है! उन पर एक दो नहीं, पूरे 22 हमले हुए! कौन है जो प्रधानमंत्री की जान का दुश्मन है!? क्या चाहता है? क्यों मारना चाहता है? इसमें फायदा किसका है? क्या ये हमले नाकामयाब हुए या कामयाब रहे? सारे सवालों के जवाब दे रही है एक किताब - रेड बैरेट। 

अमरीका चाहता है कि भारतीय प्रधानमंत्री उसके इशारों पर नाचें। आंतरिक सुरक्षा से कारोबार तक, हर जगह पर अमरीका दबदबा कायम करने के लिए कोशिशें कर रहा है। भारतीय प्रधानमंत्री प्रियदर्शिनी जिद्दी और स्वाभिमानी महिला हैं, जिनके लिए भारत की तरक्की और संप्रभुता सबसे ऊपर है। वे झुकने के लिए तैयार नहीं, जो अमरीकी हुक्मरानों को रास नहीं आता है। तो क्या यही कारण है कि अमरीका ने प्रधानमंत्री वध का ठेका किसी को दिया है? 

पड़ोसी देश पाकिस्तान भी उनकी जान लेने पर आमादा है। उसकी खुफिया एजंसी आईएसआई भी भारतीय पीएम के खून की प्यासी है। वो भी लगातार भारत के अंदर और बाहर भारतीय प्रधानमंत्री को खत्म करने के प्रयासों में जुटी रहती है।

कुछ इस्लामी और सिख आतंकी भी उनकी जान के दुश्मन बने हुए हैं। वे भी हरचंद कोशिश कर रहे हैं कि इस इरादों की पक्की प्रधानमंत्री का वजूद दुनिया से मिटा दें।

इन चौतरफा हमलों और साजिशो को रेड बैरेट नाकाम करने में जुटी रहती है। 

सीआईए एजेंट रॉबर्ट 22 बार हमले की योजनाएं बनाता है, हर हमले का उसे रेड बैरेट से मुंहतोड़ जवाब मिलता है। 

रेड बैरेट का मुख्य काम भारतीय प्रधानमंत्री प्रियदर्शिनी की जीवनरक्षा है। रेड बैरेट के पास सिर्फ एक काम है - हर हाल में प्रधानमंत्री की रक्षा, देश के खिलाफ जारी कुचक्र रोकने और तोड़ने के लिए किसी भी हद तक जाना, दुश्मनों के एक्टिव होते ही दबोच कर सूचनाएं हासिल करना, दुश्मनों को पकड़ना संभव न हो, तो मार गिराना। रेड बैरेट के लिए सीमाओं का बंधन नहीं है। इन्हें सारी दुनिया में, कहीं भी, कोई भी, काम करने के लिए मुक्त रखा गया। 

सेना के इस अज्ञात ग्रुप के मुखिया ब्रिगेडियर विशंभर दयाल हैं, जो सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं।

रेड बैरेट टीम में 25 प्रमुख सदस्य हैं, जो सारा काम करते हैं। ये सब अपने अपने क्षेत्र और कामों के माहिर हैं। उनकी विशेषज्ञता का फायदा देश को खूब मिलता है। 

कभी-कभी सेना के अन्य डिवीजन या बटालियनों से साथी लिए जाते हैं। वे काम होने के बाद उनकी बटालियन / रेजीमेंट में वापस लौट जाते हैं। वे भी पूरी रेड बैरेट यूनिट के बारे में नहीं जान पाते हैं। 

रेड बैरेट उपन्यास पूरे घटनाक्रम का रोमांचक और लोमहर्षक वर्णन पेश करता है। भारतीय सैन्य खुफिया इकाई की जाबांजी के कुछ किस्से इस उपन्यास 'रेड बैरेट' में पेश हैं।

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