अहो गणराया!!
ज्ञान के दुष्काल में दें सबको समझ,
हे बुद्धिनाथ।
उपद्रव काल में करें संहार दुष्टजनों का,
हे एकदंत।
ऊधमी अंधभक्तों को सबक सिखाएं,
हे गदाधर।
कायरों के बीच पराक्रम का दें वरदान,
हे महाबल।
अमंगल के व्यापारियों से बचाएं,
हे मंगलमूर्ति।
अस्पतालों के प्रपंचों से आमजन को बचाएं,
हे मृत्युंजय।
मंहगाई से जूझते राष्ट्र के कष्ट हरें,
हे विघ्नेश्वर।
अधिपतियों को बनाएं पुनः सेवक,
हे गणाध्यक्ष।
बदहाल ब्रह्मांड में लाएं सुख,
हे मुक्तिदायी।
सबके 'मन की बात' सुनें,
हे गजकर्ण।
- विवेक अग्रवाल
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ज्ञान के दुष्काल में दें सबको समझ,
हे बुद्धिनाथ।
उपद्रव काल में करें संहार दुष्टजनों का,
हे एकदंत।
ऊधमी अंधभक्तों को सबक सिखाएं,
हे गदाधर।
कायरों के बीच पराक्रम का दें वरदान,
हे महाबल।
अमंगल के व्यापारियों से बचाएं,
हे मंगलमूर्ति।
अस्पतालों के प्रपंचों से आमजन को बचाएं,
हे मृत्युंजय।
मंहगाई से जूझते राष्ट्र के कष्ट हरें,
हे विघ्नेश्वर।
अधिपतियों को बनाएं पुनः सेवक,
हे गणाध्यक्ष।
बदहाल ब्रह्मांड में लाएं सुख,
हे मुक्तिदायी।
सबके 'मन की बात' सुनें,
हे गजकर्ण।
- विवेक अग्रवाल
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