आजादी की नई परिभाषा - कविता

*आजादी की नई परिभाषा*

अब आजादी,
तब मानी जाए,
जब सरकार में
सेवा - समर्पण आ जाए।
जब राजनीति में
सत्य, शुचिता आ जाए।
जब समाज से
ऊंचे-नीचे का भेद पूरा मिट जाए।
जब कारोबार में
दो का सौ बनना बंद हो जाए।
जब परियोजनाओं का
चालीस फीसदी खाया ना जाए।
जब हर इंसान को
छत, ईलाज, खाना मुहैया हो जाए।
...
अब आजादी,
तब मानी जाए,
जब इंसा को इंसा माना जाए।
...
*आजादी के उन असंख्य परवानों को सलाम, जिनकी रूहों से आबाद हुआ ये देश*
~ विवेक अग्रवाल

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